राष्ट्रीय एकता, अखंडता और पंथ निरपेक्षता का जीवंत उदाहरण हैं गुरू तेगबहादुर : राज्यपाल

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वीमेंस कॉलेज में गुरु तेगबहादुर पर केन्द्रित राज्य स्तरीय निबंध प्रतियोगिता का ऑनलाइन पुरस्कार समारोह संपन्न

जमशेदपुर : वीमेंस कॉलेज सोमवार को नौवें सिख गुरु तेगबहादुर जी के जीवन और शिक्षा पर केन्द्रित राज्य स्तरीय निबंध सह सम्मान प्रतियोगिता का ऑनलाइन आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि राज्यपाल सह झारखण्ड के राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने विजेता प्रतिभागियों सहित सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि वीमेंस काॅलेज ने तख़्त श्री हरमिंदर जी, पटना साहिब के साथ मिलकर इस आयोजन को सफल बनाया है।

उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर का जीवन और उनकी शिक्षाएं हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। गुरु ग्रंथ साहिब मध्ययुगीन समाज और साहित्य का ऐसा ऐतिहासिक दस्तावेज है जिसमें 11वीं से लेकर 17 वीं सदी के लगभग 600 वर्षों की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और राजनीतिक गतिविधियों का सार तत्व संरक्षित है। गुरू तेगबहादुर जी ने भारत की राष्ट्रीय एकता, अखंडता एवं पंथनिरपेक्षता का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया। यह सुखद संयोग है कि इस ग्रंथ में जितनी वाणियाँ सिख गुरुओं की हैं, उससे कहीं अधिक गैर सिख संतो-भक्तों की हैं। यह एक पुस्तक के माध्यम से वर्ण, जाति, प्रांत और भाषा से मुक्त होते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों से युक्त राष्ट्रीय एकता का यह अनुपम उदाहरण है।

गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाओं को इसलिए भी सबके सामने लाया लाया जाना आवश्यक है क्योंकि उन्होंने सिर्फ अपनी वाणियों के माध्यम से ही नहीं, बल्कि अपने कर्म के माध्यम से भी अनुकरण योग्य उदाहरण प्रस्तुत किए थे। उन्होंने लोगों को अपना आचरण सुधारने, सामाजिक अंधविश्वासों को दूर करने, ऊँच-नीच की भावना से ऊपर उठने तथा सभी बंधुओं को एक ही ईश्वर की संतान मानकर सह अस्तित्व के भाव को मजबूत करने का संदेश दिया था। उन्होंने स्त्रियों को सम्मान और स्वतंत्रता देने की पहल की। सम्मान और स्वाभिमान पूर्वक श्रम की कमाई से जीविकायापन करने की सीख गुरु तेग बहादुर सहित सभी सिख गुरुओं और अन्य भक्तों ने दी है। वे कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी संसार को त्यागने की बात कभी नहीं करते। बल्कि उसे सुधारने और संवारने तथा जीवन जीने लायक बनाने में अपना योगदान देने की बात करते हैं। सामाजिक दायित्वों से मुंह मोड़ने की जगह निर्भय, निर्वैर और निष्पक्ष बने रहकर संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। इसलिए यदि हम गुरु तेग बहादुर के आदर्शों को अपनाएं तो निश्चित रूप से राष्ट्रीय एकता सर्वधर्म समभाव की भावना मजबूत होगी। उनकी शिक्षा हमारी राष्ट्रीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है। आज करीब 400 वर्ष बीत जाने के बाद भी गुरु तेगबहादुर जी की शिक्षा हमें संदेश देती है कि भारत की असली शक्ति है विविधता में एकता। भारत अनेक धर्मों की जन्मभूमि और अनेक संस्कृतियों की मिलन भूमि है। भारत की एकता के मूल में समन्वय की वह शक्ति है जो यहां के अलग समूहों, अलग धर्मों, अलग क्षेत्रों और अलग भाषाओं को एक दूसरे से जोड़ देती है। भारत के लंबे इतिहास में जब भी संकट के क्षण आए हैं, समन्वय की इसी विराट चेतना का संबल पाकर हम हमेशा ही सुरक्षित निकल आए हैं। हमारे राष्ट्र निर्माताओं विशेष रूप से गांधी जी, आचार्य विनोबा भावे ने समन्वय की इसी भूमि पर पंथनिरपेक्षता और सर्वधर्म समभाव का आदर्श स्थापित किया है।

गुरु तेग बहादुर की 400 प्रकाश पर्व पर हमारा यह संकल्प होना चाहिए हम इस समन्वय की, पंथनिरपेक्षता की और सर्वधर्म समभाव की पताका को हमेशा बुलंद रखें। उन्होंने प्रतियोगिता के विजेताओं के नामों की उद्घोषणा भी की।

मानवतावाद का मैनिफेस्टो है गुरू तेगबहादुर का जीवन दर्शन : श्री अर्जुन मुंडा

समारोह के उद्घाटनकर्त्ता केन्द्रीय मंत्री, जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार श्री अर्जुन मुंडा ने इस आयोजन के लिए वीमेंस कॉलेज परिवार को बधाई दी। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सोच रही है कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास भारत की सांस्कृतिक पहचान है। इस कड़ी में नौवें सिख गुरू तेगबहादुर जी के चार सौवें प्रकाश पर्व को पूरे देश में भव्यता के साथ आयोजित करना एक महत्वपूर्ण प्रयास है। गुरु तेगबहादुर का पूरा जीवन ‘वे ऑफ लिविंग’ को ‘वे ऑफ गीविंग’ के रूप में चरितार्थ करता है। हमें इसका अनुसरण करना चाहिए। सच्चे धर्म की रक्षा के लिए दी गई कुर्बानी व्यापक अर्थ में देखें तो लोकतांत्रिक मूल्यों और मानव अधिकारों की रक्षा के लिए दी गई कुर्बानी भी है। लेकिन उनका यह त्याग हमें धार्मिक कट्टरता नहीं सिखाता बल्कि सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाता है। सर्वधर्म समभाव में ही धर्म निरपेक्षता का वास्तविक अर्थ समाहित है। हम सभी जानते हैं और खासकर के युवा पीढ़ी को यह जरूर जानना चाहिए सिख धर्म में पुस्तक को सर्वोच्च और शाश्वत गुरू के रूप में स्वीकार किया गया है। आदिग्रन्थ को गुरू ग्रन्थ साहिब कहा जाता है। यह अनूठा है। किसी व्यक्ति या मूर्ति की पूजा करने से अच्छा है उदात्त और श्रेष्ठ विचारों की पूजा करना। गुरू ग्रन्थ साहिब और गुरू तेगबहादुर की शिक्षाएं केवल सिख धर्म का नहीं बल्कि व्यापक मनुष्यता का मेनिफेस्टो है। गुरू को ईश्वर मानना और प्रायः ईश्वर से भी ऊंचा दर्जा देना भारतीय देशज संस्कृति की सर्वोत्तम उपलब्धि है।

इसके पहले समारोह की मुख्य आयोजक केयू की पूर्व कुलपति सह वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या प्रोफेसर शुक्ला महांती ने महामहिम राज्यपाल, माननीय केन्द्रीय मंत्री सहित देश विदेश से जुड़े वक्ताओं का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री जी निर्देशानुसार पर केन्द्रीय उच्च शिक्षा विभाग और एआईसीटीई के आदेशानुसार यह आयोजन किया गया। राज़्य स्तरीय इस निबंध प्रतियोगिता का उद्देश्य युवा पीढ़ी में राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक सौहार्द की भावना को मजबूत करना था। राज्य भर से करीब दस संस्थानों से एक हजार से अधिक प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं। हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में अलग अलग विजेताओं को चुना गया। प्रोत्साहन पुरस्कार भी दिये गये। उन्होंने कहा कि गुरु तेगबहादुर जी पर केन्द्रित वेबिनार और इस निबंध प्रतियोगिता के माध्यम से हम युवाओं में यह संदेश पहुंचाने में काफी हद तक सफल रहे कि शीश कटाकर भी मानव धर्म, स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा करना गुरू तेगबहादुर जी के जीवन की सबसे बड़ी सीख है।

कार्यक्रम को तख़्त श्री हरमिंदर जी, पटना साहिब के उपाध्यक्ष सरदार इंदरजीत सिंह, सेन्ट्रल गुरूद्वारा प्रबंधक समिति, जमशेदपुर के पूर्व महासचिव सरदार गुरुदयाल सिंह, सरदार कुलबिंदर सिंह, श्री सहज पाठ सेवा, अमृतसर के सरदार दिलबाग सिंह और न्यूजीलैंड में मैनेजमेन्ट कंसल्टेंट और विद्वान वक्ता डाॅ.  तरसेम लाल टांगरी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम की शुरुआत में सरदार गुरदीप सिंह व टोली ने सबद कीर्तन की मोहक प्रस्तुति दी। डाॅ. सनातन दीप ने देशभक्ति गीत गाया। संचालन डाॅ. श्वेता प्रसाद और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नूपुर अन्विता मिंज ने किया। इस अवसर पर डाॅ. राजेंद्र कुमार जायसवाल सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं ऑनलाइन जुड़े रहे। तकनीकी सहयोग ज्योतिप्रकाश महांती, के प्रभाकर राव व रोहित विश्वकर्मा ने किया।

विजेताओं की सूची:

हिन्दी माध्यम –

प्रथम- मनीषा लोहार, जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज

द्वितीय- मोनिका महतो- जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज

तृतीय- कुमारी अनुप्रभा, गवर्नमेंट वीमेंस टीचर ट्रेनिंग काॅलेज, राँची

प्रोत्साहन पुरस्कार- शीतल सिद्धू, गवर्नमेंट वीमेंस टीचर ट्रेनिंग काॅलेज, राँची

बाहालेन पूर्ति- इंस्टीट्युट फाॅर एजुकेशन, सराईकेला

अंग्रेजी माध्यम-

प्रथम- रवीना खोसला, जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज

द्वितीय- संदीप सिंह, रंभा काॅलेज ऑफ एजुकेशन, गीतिलता

तृतीय- पूजा सलुजा, स्काॅलर बीएड काॅलेज, गिरिडीह

प्रोत्साहन पुरस्कार- अंकिता महतो, गवर्नमेंट वीमेंस टीचर ट्रेनिंग काॅलेज, राँची

इफ्फत साज़िया- गोड्डा काॅलेज

प्रथम पुरस्कार के रूप में रू. 5000/-, द्वितीय पुरस्कार रू. 3500/-, तृतीय पुरस्कार रू. 2500/- के अलावा प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में रू. 1000/-, प्रमाणपत्र व स्मृति चिह्न प्रदान किया गया।

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