जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में भव्य रूप में मनाया गया 75वां स्वतंत्रता दिवस समारोह

Spread the love

जमशेदपुर : जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में 75वां स्वतंत्रता दिवस समारोह भव्य रूप में मनाया गया। यूनिवर्सिटी के सिदगोड़ा कैंपस में माननीय कुलपति महोदया प्रोफ़ेसर (डॉक्टर) अंजिला गुप्ता जी ने सुबह 08.00 बजे ध्वजारोहण किया। उन्होंने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में विशेष रूप से आजादी की लड़ाई में बहादुरी से लड़ने वाली गुमनाम वीरांगनाओं को याद करते हुए कहा कि देश की आजादी के संघर्ष में स्त्रियाँ एक और समानांतर संघर्ष में शामिल थीं। भारतमाता की आजादी के साथ साथ स्त्री की अस्मिता और अस्तित्व की स्थापना एक बड़ा और कठिन दायित्व था। झलकारी बाई, रानी अबाक्का, वेलु नाचियार, मतंगिनी हाजरा, गुलाब कौर, चकाली इलम्मा, पद्मजा नायडू, बिशनी देवी शाह, दुर्गावती देवी, सुचेता कृपलानी, अकाम्मा चेरियन, दुर्गाबाई देशमुख, उषा मेहता, पार्बती गिरि, तारकेश्वरी सिन्हा, स्नेहलता वर्मा और तिलेश्वरी बरूआ जैसी स्त्री स्वतंत्रता सेनानी, वे अनसंग हीरोज हैं, जिन्हें आज याद किये जाने की जरूरत है। आजादी के इन 75 सालों को सेलिब्रेट करना तब और सार्थक लगता है जब हम हमारे मौजूदा समय में डायन प्रथा के खिलाफ लड़ने वाली सरायकेला-खरसवां की पद्मश्री छुटनी महतो को याद करते हैं। जब हम पेड़ लगाकर दुनिया को रहने लायक बनाने में तत्पर पद्मश्री जमुना टुडू के संकल्प से सीख लेते हैं। झारखंड की माननीय पूर्व राज्यपाल और अब भारतवर्ष की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी की संघर्ष और अदम्य साहस भरी जीवन यात्रा हमारे लिये गौरव की प्रतीक है। कामनवेल्थ गेम्स में झारखंड की रूपारानी तिर्की, सलीमा टेटे और उनकी बहनें भी हमारी आईकान हैं। आजादी के इस जश्न के मायने और व्यापक हो जाते हैं जब हम इन्हें अपने हृदय में महसूस करते हुए तिरंगे को नमन करते हैं। उन्होंने झारखंड के क्रांतिवीरों को याद करते हुए कहा कि झारखंड की यह धरती बिरसा मुंडा के बलिदान की है। सिदो – कान्हू और उनकी बहनों फूलो – झानो की है, चाँद- भैरव की है, नीलाम्बर-पीताम्बर की है, पोटो हो की है। सबको याद करना और समुचित गरिमा प्रदान करना भारतीय लोकतंत्र की असली तस्वीर है।

उन्होंने यूनिवर्सिटी के रूप में मनाए जा रहे इस पहले आधिकारिक स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर अपने लगभग पैंतालीस मिनट के उद्बोधन में कहा कि हमारी शिक्षा और हमारी योग्यता तभी सार्थक है, जब वह राष्ट्र-निर्माण के काम आये। इस यूनिवर्सिटी की छात्राएं भी अपने जीवन और अपने संस्कारों में राष्ट्र के प्रति सर्वोच्च सम्मान की भावना सदैव रखेंगी, ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है। स्त्री की शक्ति स्त्री की शिक्षा से जुड़ी है। जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी स्त्री शिक्षा के विश्वसनीय केंद्र के रूप में सामने आई है। कॉलेज के यूनिवर्सिटी में परिवर्तित होने के बाद यह पहला आधिकारिक और विधिवत स्वतंत्रता समारोह है। मुझे यह क्षण एक तरफ संवेदित कर रहा है तो दूसरी तरफ ऊर्जस्वित भी। संवेदित इसलिए कि झारखंड, बिहार और बंगाल क्षेत्र के लिए यह पहली वीमेंस यूनिवर्सिटी है, जिसकी पहली कुलपति के रूप में मैं इस ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बन रही हूँ। ऊर्जस्वित इसलिए कि एक महाविद्यालय से विश्वविद्यालय बनने की यात्रा में बुनियादी स्तर से काम करने की जिम्मेदारी मेरे सामने है। कुलपति के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद मेरे सामने पहला दायित्व था इसे विश्वविद्यालय की व्यावहारिक संरचना में ढालना। इसके लिए पहले चरण में रजिस्ट्रार, फाइनेंस ऑफिसर और कंट्रोलर ऑफ एक्जामिनेशन की नियुक्ति की गई। दूसरे चरण में डीएसडब्ल्यू, प्राक्टर, आईक्यूएसी डायरेक्टर सहित सभी प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति कर ली गई है। सभी स्टैच्युटरी कमेटी का गठन कर लिया गया है। राजभवन, राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग, रूसा और यूजीसी के साथ समन्वय करते हुए विश्वविद्यालय को अपनी पूरी क्षमता के साथ फंक्शनल किया जा रहा है।

उच्च शिक्षा विभाग के साथ समन्वय करके इंटरमीडिएट के प्रकरण का उचित समाधान निकाला गया। उन्होंने सामने आ रही चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि यहाँ एक बड़ी चुनौती शिक्षक और शिक्षार्थी के अनुपात को मानक के अनुसार सुनिश्चित करना है। झारखंड में विश्वविद्यालय को स्थायी शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों की नियुक्ति का अधिकार नहीं है। यह एक बाधा है । फिर भी छात्राओं की गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई बाधित न हो, उसके लिए जो संभव प्रयास हो सकता है, मैं कर रही हूं। सभी खाली सैंक्शन्ड पोस्ट को भरने के लिए अधियाचना उच्च शिक्षा विभाग को जल्द ही भेज दी जाएगी। यूजीसी के प्रावधान के आधार पर प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए भी अधियाचना तैयार की जा रही है। इसके अलावा संविदा शिक्षक व युनिवर्सिटी टापर्स को भी नियमानुसार नियुक्ति देने की योजना है। आने वाले समय में SWYAM जैसे प्लेटफॉर्म को भी क्युरिकुलम का हिस्सा बनाया जाएगा। साथ ही जमशेदपुर और झारखंड की लोकल नीड को देखते हुए नए विभाग स्थापित किए जाने की तुरंत आवश्यकता है। फॉरेस्ट्री साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व रोबोटिक्स, एग्रो टूरिज्म और एग्री मैनेजमेंट की पढ़ाई को बकायदा शुरू किया जाएगा। आने वाले दिनों में इंटीग्रेटेड ला कोर्स, फोर ईयर इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स, नर्सिंग कोर्स भी इस विश्वविद्यालय में चलेंगे। शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों की भी व्यवस्था की जाएगी। कोशिश यह भी की जा रही है कि विश्वविद्यालय की आधारभूत संरचना बढ़ाते हुए एक ही कैंपस में मेडिकल व इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी संभव की जाय। नया कैंपस भी तैयार है। नए परिसर में शिफ्टिंग से पहले यहां सुरक्षा और संसाधनों की व्यवस्था सुनिश्चित करना जरूरी है। उसके लिए कमेटी बनाकर प्राक्कलन किया गया है। आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर लेने के बाद ही चरणबद्ध तरीके से तय किये गए विभागों शिफ्ट किया जाएगा। विश्वविद्यालय के संसाधनों को बढ़ाने के लिए मैं इस संस्था की छात्राओं के अभिभावकगण और एलुमनीज से भी आग्रह करती हूं वे आगे आकर अपने अनुभवों और संसाधनों से इस यूनिवर्सिटी को मजबूत बनायें।

उन्होंंने आगे कहा कि झारखंड राज्य में इसी साल से नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई है। एक नयी यूनिवर्सिटी जिसके पास सीमित संसाधन हैं, के लिए नयी शिक्षा नीति को आत्मसात करना चुनौतीपूर्ण ही कहा जाएगा। लेकिन आप सबके सहयोग से हम इसे भी लागू करने में सफल रहे हैं। मुझे लगता है कि चुनौतियां हमारे उस पोटेंशियल को भी सामने ला देती हैं, जिससे शायद हम भी अनजान होते हैं। दरअसल नयी शिक्षा नीति एजुकेशन और इंप्लायमेंट के अंतराल को मिटाती है। मल्टीपल एंट्री और एक्जिट का विकल्प डिग्री मिलने और रोजगार पाने के संबंध में इन्क्रीमेंटल ग्रोथ की जगह क्वांटम जंप की संभावना पैदा करता है। आप देखें कि नई शिक्षा नीति में वोकेशनलाइजेशन, स्किल डेवलपमेंट और एंप्लॉयमेंट पर फोकस है। इसलिए यहां चल रहे पाठ्यक्रमों में जरूरी बदलाव किए जाएंगे। यह औद्योगिक क्षेत्र है, इसलिए इंस्टीट्यूशन इंडस्ट्रीज इंटरलिंक (ट्रिपल आई) के कॉन्सेप्ट को मूर्त रूप देने की प्रक्रिया चल रही है। इंप्लायमेंट की संभावना वाले कोर्सेज को और संबंधित इंडस्ट्रीज को आइडेंटिफाई करना विभागों और आईक्यूएसी का दायित्व होगा ताकि इंडस्ट्रीज के साथ एमओयू करके छात्राओं का भविष्य बेहतर बनाया जा सके। फैकल्टी मेंबर्स को टीचिंग के साथ रीसर्च पर भी फोकस करना होगा। रीसर्च टीचिंग क्वालिटी को तो बढ़ाता ही है, फैकल्टी मेंबर्स को भी कई रूपों में एनरिच करता है। आईसीएसआर, यूजीसी, रूसा, स्ट्राईड के अलावा कई सरकारी फंडिंग वाले प्रोजेक्ट्स लाकर, ससमय निष्पादन करना और अधिकाधिक पेटेंट हासिल करना, हमारी प्राथमिकता में है। नामांकन और परीक्षा प्रणाली को अधिक प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी बनाया जा रहा है। इसके दूरगामी परिणाम दिखेंगे।

यह जनजातीय बहुल क्षेत्र है। इसलिए हमारी भविष्य की पालिसी इस पापुलेशन को केन्द्र में रखकर तैयार होगी। ग्रामीण पृष्ठभूमि की छात्राओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना हमारी प्राथमिकता में है। मिनिस्ट्री ऑफ रूरल डेवलपमेंट के प्रतिनिधियों से हमारी एक चरण की बात हो चुकी है। छात्राओं को स्किल्ड बनाने के लिए हम रूरल डेवलपमेंट के कोर्स इंट्रोड्यूस करने जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में ऊर्जा, खाद, फल-फूल-सब्जी, औषधि आदि की जैविक उत्पादन और प्रोसेसिंग का प्रशिक्षण कराया जाएगा। इस क्षेत्र में काम कर रही सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं से हम संपर्क में हैं। यह औद्योगिक रूप से समृद्ध जगह है। कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत टाटा समूह की औद्योगिक कंपनियों के अलावा दूसरी कंपनियों के एक्सपर्ट रिसोर्स पर्सन हमारे यहाँ विजिटिंग फैकल्टी के रूप में आकर छात्राओं को ट्रेंड करें, इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। छात्राओं के लिए महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय, जनजातीय विकास मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय एवं विभिन्न आयोगों से प्रोजेक्ट्स लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मेधावी छात्राओं को स्कॉलरशिप और शहीदों की बेटियों की शुल्क माफी के लिए ड्राफ्ट पालिसी तैयार करायी जा रही है। कोई भी छात्रा आर्थिक संकट के चलते उच्च शिक्षा से वंचित न हो, यह हर हाल में सुनिश्चित करने की कोशिश रहेगी।
उन्होंने यूनिवर्सिटी के विकास के लिए अपने रोड मैप की दिशा स्पष्ट करते हुए कहा कि नयी शिक्षा नीति सामाजिक समावेशन पर भी जोर देती है। इसलिए कंम्युनिटी इंगेजमेंट और राष्ट्रप्रेम को बढ़ावा देने के लिए एनएसएस और एनसीसी को और एक्टिवेट किया जा रहा है। गोद लिये जाने वाले गावों की संख्या बढ़ाकर बड़े पैमाने पर इसे चरितार्थ किया जाएगा। उन्नत भारत अभियान तथा एक भारत श्रेष्ठ भारत के जरिये भी इस दिशा में आगे बढ़ा जा रहा है। छात्राओं की अंतरराष्ट्रीय स्तर की लर्निंग सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय को आइडेंटिफाई करके कम से कम एक सेमेस्टर की पढ़ाई वहाँ से कराने के लिए जल्द ही एमओयू किया जाएगा। इस संबंध में भारतीय विश्वविद्यालय परिसंघ की सेक्रेटरी जनरल से मेरी सकारात्मक बातचीत हो चुकी है। परिसंघ की सदस्यता मिलने से छात्राओं को अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने की सुविधा मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च कोलैबोरेशन के मौके बढ़ेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक अध्ययन- अध्यापन का परिवेश तैयार होगा। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ एजुकेशनल एमओयू और इंटर एक्सचेंज में सहायता मिलेगी। अंतरविश्वविद्यालयी, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार्स, सिम्पोजिया, वर्कशॉप्स तथा खेलकूद प्रतियोगिताओं में प्रतिभागिता के अवसर मिलेंगे। कुल मिलाकर छात्राओं और फैकल्टी मेंबर्स का होलिस्टिक विकास संभव होगा।
उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि यहाँ बेटियों की बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को लेकर पैरेंट्स में काफी पॉजिटिव सोच और जागरूकता है। जमशेदपुर की इस पहली स्टेट वीमेंस यूनिवर्सिटी के विकास के लिए जनप्रतिनिधिगण, स्टूडेंट्स यूनियन और मीडिया का भी सहयोगात्मक नजरिया है। अंत में उन्होंने सबका आह्वान करते हुए कहा कि निश्चित रूप से हमारी चुनौतियां बड़ी हैं लेकिन विश्वास कीजिए कि हमारे हौसले इनसे कहीं बड़े और फौलादी हैं। मैं आश्वस्त हूँ कि सभी के सहयोग से आने वाले दिनों में वीमेंस यूनिवर्सिटी को वीमेंस एजुकेशन के ब्रांड के रूप में स्थापित कर सकूंगी।

इस अवसर पर सांस्कृतिक समारोह का शानदार संयोजन संगीत विभागाध्यक्ष डॉक्टर सनातन दीप ने किया। उनके और उनकी छात्राओं की टीम द्वारा राष्ट्रगान, देशभक्ति गीत, वंदे मातरम की प्रस्तुति ने सबको भावविभोर कर दिया। बिष्टुपुर परिसर में माननीय कुलपति महोदया ने 09.30 पर ध्वजारोहण किया और उसके बाद इंडोर स्टेडियम में छात्राओं ने एक से बढ़कर एक नृत्य और संगीत के कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां देकर सबको रोमांचित कर दिया। आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं की विजेता छात्राओं को माननीय कुलपति महोदया द्वारा पुरस्कृत किया गया। माननीय कुलपति ने कहा कि वीमेंस यूनिवर्सिटी की छात्राओं में पोटेंशियल है। इनके ओवरऑल ग्रोथ के लिए विश्वविद्यालय जल्द ही बड़े निर्णय लेने जा रहा है।

मौके पर डीएसडब्ल्यू डॉक्टर किश्वर आरा, वित्त पदाधिकारी डॉक्टर पी. के. पाणि, कुलानुशासक सह माननीय कुलपति महोदया के विशेष कार्य पदाधिकारी डॉक्टर अविनाश कुमार सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर रमा सुब्रमण्यन, आईक्यूएसी निदेशक श्री राजेंद्र कुमार जायसवाल, वोकेशनल कोर्सेज की समन्वयक डॉक्टर अन्नपूर्णा झा सहित सभी संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मी और छात्राओं की सक्रिय सहभागिता रही। संचालन हिन्दी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉक्टर नूपुर अन्विता मिंज ने किया और विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर प्रभात कुमार सिंह ने सारगर्भित धन्यवाद ज्ञापन किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *