एक बार फिर अंधेरे में जीवनयापन को विवश दिख रहे विधुत उपभोक्ता,बकायेदारों की कट रही कनेक्शन से आक्रोश ब्याप्त, सैकड़ो पर लटकी तलवार

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बिक्रमगंज:- सूबे के मुखिया नीतीश कुमार बीते विस चुनाव में लालू राबड़ी राज के लालटेन युग समेत काले दिनों की यादों को ताजा कर सत्ता के सिंहासन पर पुनः आसीन हो गए।मुखिया को शायद इस बात का तनिक भी एहसास नही होगा कि उनके ही शासनकाल में आज भी काले दिन बरकरार है तथा मनमाने तरीके से बिजली का बिल थमा कर लोगो को अंधेरे में जीवनयापन करने को मजबूर कर दी जायेगी।रिश्वत एवं कमीशनखोरी के चंगुल में पूरी तरह से उलझा सूबे में सुशासन की सरकारी तंत्र का एक हिस्सा अब वैध उपभोक्ताओं को गलत बिजली का बिल थमा कर राजस्व वसूली करने का दविश बनाकर मानसिक आर्थिक शोषण करने पर आमादा दिख रहा  है। बढ़ते अपराध व भ्रष्टाचार का बोलबाला तो चरम सीमा पर पहुँच ही गया है।सरकार साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी लिमिटेड के सहारे गलत विपत्र भेज सरकारी खजाने को भरना चाहती है।दविश भी इस कदर बनाई जा रही है कि फर्जी बिल का सुधार करने के बजाय उपभोक्ताओं का सीधा कनेक्शन विच्छेद कर घर मे अंधेरा पसारने के साथ बिजली से संचालित सभी तकनीकों को ठप कर दिया जा रहा है।ऐसा ही दृश्य इन दिनों बिक्रमगंज सहित अनुमंडल के विभिन्न प्रखंड क्षेत्रो में देखने व सुनने को मिल रहा है।जहां हजार से अधिक विधुत विपत्र का भूगतान नही करने वाले बकायेदार उपभोक्ताओं का कनेक्शन काट दिया जा रहा है। जिनकी तादाद सैकड़ो में पहुच गई है।जबकि दबंग व उच्ची पहुँच रखने वालों के अलावा सरकारी गैरसरकारी, छोटे बड़े उधोग धंधे वाले जिनके ऊपर हजारो व लाखों का बिल बकाया होना बताया जा रहा है उनके घरों, संस्थानों व कार्यालयों में रौशनी दिन रात बेख़ौफ होकर जगमगा रही है।आलम यह है कि सूर्यास्त होते ही रौशनी की जगह घर मे जहां अंधेरा पसरा नजर आने लगा है वही बिजली से संचालित अन्य उपकरण ठप पड़ जाने से पीने की पानी के लिए भी लोग इधर उधर भटकने दिख रहे है। हालांकि हजारों के बकायेदारों की सूची में केवल आम पब्लिक ही नही है।बल्कि सरकारी, गैरसरकारी महकमा भी शामिल है।जिन पर लाखों का विधुत बिल बकाया होना बताया जा रहा है।बावजूद सरकारी विभागों, गैर सरकारी संस्थाओं पर नियमक़ानून का लगाम लगाने के बजाय आम उपभोक्ताओं पर कहर ढाने का सिलसिला जारी रख विधुत विच्छेद की जा रही।लापरवाही व उदासीनता के पर्याय बने अधिकारी अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए कनेक्शन काट कर उपभोक्ताओं में दहशत का माहौल कायम होने के साथ आक्रोश ब्याप्त होता जा रहा है।उपभोक्ता ने बताया कि मेरा वर्षो से मीटर खराब होने की वजह से मीटर रीडिंग नही होता और न ही नियमित विधुत विपत्र ही आता है कि ज्ञात कर प्रत्येक माह भूगतान किया जा सके।यह कार्य वर्षो से ठप पड़ा है। वावजूद हजारो एवं लाखो का विधुत बिल होना बताया जा रहा है।नाम नही छापने के शर्त पर एक ग्रामीण उपभोक्ता ने बताया कि किसी माह में 22 रुपया तो किसी माह 30 रुपया के हिसाब से दस वर्षों का 76 हजार बिल आया है।जबकि अत्यधिक बिजली की खपत भी नही है। इसी प्रकार शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले अन्य उपभोक्ताओं का दर्दे दस्तान भी कुछ इसी प्रकार का है।किसी का करीब डेढ़ लाख तो किसी का लाख रुपया तो किसी का हजारो में डिफेक्टिक बिल का विपत्र होना बताया जा रहा है।जिसका भूगतान कर पाना हर किसी के बलबूते से बाहर दिख रहा है।उपभोक्ताओं का आरोप है कि विधुत विभाग का निजीकरण होने से जहां साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी के कर्मचारी अत्यधिक सुध जोड़कर मनमाने तरीके से  विपत्र भेज जबरन राजस्व की उगाही में जुटे है तथा निरंतर फोन कर बकाया राशि का शीघ्र भूगतान नही करने पर कनेक्शन काट दिए जाने की बाते कह मानसिक व आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।वही विधुत विभाग के अधिकारी त्रुटिपूर्ण विपत्र के प्रति अपनी उदासीनता एवं लापरवाही का परिचय देते हुए अभियान चलाकर उपभोक्ताओं का कनेक्शन काट पुनः लालटेन युग मे जबरन ढ़केल रहे है।हालांकि यह जांच का विषय है।लेकिन यह मामला किसी एक दो उपभोक्ताओं के संग होना नही दिख रहा। बल्कि ऐसे उपभोक्ताओं की फेहरिस्त काफी लम्बा है।जिसका हल कर पाना विभाग को टेडी खीर साबित हो सकता है।फिलहाल त्रुटिपूर्ण विपत्र के सुधार हेतू नित दिन विधुत कार्यालयों में उपभोक्ताओं की भीड़ उमड़ रही है। जहां अधिकारियों संग नोकझोंक होने की चर्चा भी परवान पर है।

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