पूत बना कपूत , झारखण्ड में जिस माँ ने बेटे को दी अपनी नौकरी , उसी माँ के साथ बेटे बहु ने किया अत्याचार , माँ की लाश को घर के आंगन तक नहीं घुसने दिया , जब बेटियां शव ले के जाने लगी तो चिल्ला कर बोला बेटा – अंतिम संस्कार दुसरे गाँव में जा कर करना

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रांची : झारखंड में मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना घटी. झारखंड की राजधानी रांची में एक बेटे ने मानवता को शर्मसार कर दिया. मां एक ऐसा शब्द है, जिसमें सारा संसार समां जाता है, लेकिन कलियुगी बेटे और बहु ने तो सारी हदें पार कर दी और ऐसी अमानवीय घटना को अंजाम दिया कि आपको उनके कृत्य को जानकर मन करेगा कि क्या सचा बेटा और बहु को दे दिया जाये. घटना रांची की है, जहां मां सांझो देवी की मौत हो गयी. मौत होने के बाद घर के दरवाजे पर एंबुलेंस पर मां की लाश लेकर बेटियां खड़ी थी. बहनें घर के आंगन तक गयी, गिड़गिड़ाते रही कि दरवाजा खोल दें और मां का अंतिम संस्कार कर दें. लेकिन घर में इकलौता बेटा अपनी पत्नी के साथ घर में ही बंद रहा. घर के बाहर ताला उलटे जड़ दिया. बेटियां गुहार लगाती रही. बेटियों ने गेट को तोड़ने की भी कोशिश की, लेकिन बेटा और बहु का दिल नहीं पसीजा. आखिरकार थक हाकर बेटियां अपनी मां को आखिरी विदाई देने के लिए शवघाट तक ले गयी और अंतिम संस्कार किया. कलियुगी बेटे ने तो लाश ले जाते वक्त घर के आंगन से ही चिल्ला दिया कि अंतिम संस्कार भी दूसरे गांव में ले जाकर कर देना, इस गांव में नहीं करना. इस दौरान भाई के इस व्यवहार से दुखी बहनें रोती रही, बार बार कहती रही कि मां को कोरोना नहीं था. उनकी रिपोर्ट नेगिटेव आयी थी, लेकिन इकलौता बेटा और बहु पर कोई असर नहीं पड़ा और अंत में दोनों बहनों ने अपनी मां के शव को कंधा दे दिया और गांव से एक किलोमीटर दूर शमशान घाट में अपनी मां का अंतिम संस्कार कर दिया. 55 साल की सांझो देवी की मौत सीसीएल रांची के गांधीनगर अस्पताल में हुई थी. उनकी तबीयत बिगड़ने पर बेटी रीना देवी और दीपिका ने कच्छप अस्पताल में भर्ती कराया था और उनकी सेवा भी कर रही थी. 13 दिनों तक मां का इलाज चल रहा था, लेकिन उनका बेटा लालू उरांव और उनकी बहु देखने तक नहीं गये. बेटे को शक था कि उसकी मां को कोरोना हो गया है. इस कारण बेटा अस्पताल नहीं जा रहा था. अंतत: सांझो देवी की मौत हो गयी. सांझो देवी के पति सीसीएल में नौकरी करते थे. सेवाकाल के दौरान ही वर्ष 2009 में उनकी मौत हो गयी, जिसके बाद अनुकंपा के आधार पर पहले उनकी पत्नी सांझो देवी को नौकरी मिलना था, लेकिन मां ने अपने इकलौते बेटे को नौकरी दिलायी और वर्ष 2011 से लालू उरांव नामक बेटा सीसीएल में नौकरी करने लगा. बेटियों के मुताबिक, नौकरी पाने के बाद से ही वह हमेशा मां के साथ झगड़ा करता था. मां को भरण पोषण के लिए पैसे तक नहीं देता था, जिस कारण उनकी मां मजदूरी कर अपना गुजारा करती थी. दोनों ब हनों की शादी हो गयी है और वह अपने ससुराल में रहती है, लेकिन मौत के बाद बेटियों ने ही मां का अंतिम संस्कार किया. इस घटना के बाद लोग बेटे और बहु को सजा देने की मांग कर रहे है.

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