भगवान जगन्नाथ दिकबर्दा गॉव में स्थित मौसीबाड़ी में नौ दिनों तक विश्राम के बाद दिकबर्दा से रथ पांचरुलिया होकर मुख्य मंदिर खामार लौट आए।

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बहरागोड़ा:- बरसोल के दिकबर्दा गॉव मैं माघी रथ के अबसर पर भगवान जगन्नाथ दिकबर्दा गॉव में स्थित मौसीबाड़ी में नौ दिनों तक विश्राम के बाद रविवार को दिकबर्दा से रथ पांचरुलिया होकर मुख्य मंदिर खामार लौट आए। उनके साथ बहन सुभद्रा एवं भाई बलराम भी मुख्य मंदिर लौटे। बंगाली माघ माह की कृष्ण पक्ष पूर्णिमा के मौके पर मुख्य पुरोहित शंकर प्रसाद कर के सान्निध्य में घुरती रथयात्रा का आयोजन किया गया। भगवान जगन्नाथ के जयघोष के साथ श्रद्धालुओं ने भगवान के सामने सिर नवाकर और दोनों हाथ ऊपर उठाकर अपनी हाजिरी लगायी। मौसीबाड़ी से बाहर आकर भगवान जगन्नाथ जैसे ही रथारूढ़ हुए तो पूरा परिसर एक बार फिर से जगन्नाथमय हो गया। रथयात्रा आरंभ होने से पहले हर हाथ रस्सा थामने को व्याकुल था। सभी की यह चाहत थी कि प्रभु के रथ को खींचने में उनका भी योगदान हो। जिसे यह सौभाग्य नहीं मिल सका वह रस्सा के एक छोर को थामने के लिए इधर-उधर दौड़ लगाते रहे। जो श्रद्धालु रस्सा नहीं थाम सके वह दोनों हाथ जोड़कर प्रभु का अभिवादन करते दिखे। पूरे क्षेत्र संख्य घंटा से गूंज उठा,भक्तों के बीच चॉकलेट,बिस्कुट, मिठाईयां आदि फेंके गये। मौसीबाड़ी से मंदिर रथ रात 8 बजे पहुंचे। मौके पर सुजीत गिरी,सपन त्रिपाठी,तपन त्रिपाठी,अन्नदा माहापात्र, बमकेश त्रिपाठी,दीपंकर त्रिपाठी,सुशिल मिश्रा, कृष्ण चंद्र त्रिपाठी,अमिओ मिश्रा , अनिल साहू,सरूप साहू,अमरजीत साहू,कृष्ण साहू, डीजेन साहू,असीस मिश्रा आदि ने अनुष्ठान को सफल बनाने में जुटे रहे।

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