माहवारी स्वच्छ्ता एवं महिला स्वास्थ्य जागरूकता अभियान के माध्यम से गांव की महिलाओं व किशोरियों को किया जा रहा है जागरूक ,  सेंटर फ़ॉर वर्ल्ड सॉलिडेरिटी एवं निश्चय फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में झारखंड के पूर्वी सिंहभूम, रांची, बोकारो, दुमका एवं सरायकेला जिलों में जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित , माहवारी के प्राकृतिक प्रक्रिया, बढ़ते बच्चों में होने वाले हॉरमोनल परिवर्तन, शारीरिक संरचना, प्रजनन तंत्र, गुड टच, बैड टच, महिलाओं को होने वाले गंभीर बीमारियों के खतरों एवं उसके बचाव के प्रति बच्चों को किया जा रहा है प्रशिक्षित

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जमशेदपुर / राँची :- झारखंड की ज्यादातर महिलाये व किशोरियां अनीमिया अर्थात खून की कमी से ग्रस्त है, वही बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण की समस्या से जूझ रहे है। बच्चों एवं महिलाओं के बेहतर पोषण हेतु झारखंड के कई ज़िलों में कार्य करने वाली संस्था सेंटर फॉर वर्ल्ड सॉलिडेरिटी ने किशोरियों को माहवारी स्वच्छ्ता के प्रति जागरूक करने के लिए मुहिम शुरू किया है। माहवारी स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र मे उल्लेखनीय कार्य कर रहे सामाजिक संस्था निश्चय फाउंडेशन के संस्थापक सचिव तरुण कुमार के साथ मिलकर सेंटर फॉर वर्ल्ड सॉलिडेरिटी झारखंड के पूर्वी सिंहभूम, रांची, बोकारो, दुमका एवं सरायकेला जिलों में माहवारी स्वच्छ्ता एवं महिला स्वास्थ्य जागरूकता कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।

सेंटर फॉर वर्ल्ड सॉलिडेरिटी के प्रोग्राम ऑफिसर रवि शंकर ने बताया कि “उचित पोषण के लिए किशोरियों व महिलाओं के लिए तिरंगा भोजन अहम है, वही उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए माहवारी स्वच्छ्ता की जानकारी भी बेहद आवश्यक है। झारखंड के पैडमैन के रूप से जाने जाने वाले तरुण कुमार अभियान के माध्यम से विभिन्न जिलों में संस्था से जुड़ी लगभग 500 किशोरियों को माहवारी स्वास्थ्य एवं संबंधित विषयों पर प्रशिक्षित कर रहे है।”

अभियान के तहत पिछले दिनों राँची, पोटका एवं धालभूमगढ़ में माहवारी स्वच्छ्ता एवं महिला स्वास्थ्य जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के दौरान किशोरियों को माहवारी के प्राकृतिक प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी, वही बढ़ते बच्चों में होने वाले हॉरमोनल परिवर्तन, शारीरिक संरचना, प्रजनन तंत्र, महिलाओं को होने वाले गंभीर बीमारियों के खतरे एवं उसके बचाव के बारे में विस्तार से बताया गया। कार्यशाला के दौरान बच्चों को सैनिटरी पैड एवं मेंस्ट्रुपीडिया कॉमिक्स भी वितरीत किया जा रहा है। कार्यशाला में भाग लेकर बच्चे काफी उत्साहित महसूस कर रहे है। धालभूमगढ़ के जूनबनी गांव की छात्रा पार्वती बताती है कि “कार्यशाला में भाग लेकर मैंने जाना कि हम लड़कियां माहवारी की प्रक्रिया से क्यों गुजरते है, इस दौरान हमारे शरीर मे क्या कुछ होता है, अब मुझे माहवारी स्वच्छ्ता के बारे में खुलकर बात करने का आत्मविश्वास मिला है।”

पिछले 6 वर्षों से भी ज्यादा समय से ग्रामीण इलाक़ों में माहवारी स्वच्छता एवं महिला स्वास्थ्य जागरूकता के लिए कई अभियानो के माध्यम से लगभग 50 हज़ार से ज्यादा किशोरियों एवं महिलाओं को जागरूक करने वाले तरुण कुमार कहते है कि “माहवारी स्वच्छ्ता जो मानव जीवन के अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा है, दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दो में से एक है। अच्छा लगता है कि अब इस दिशा में समाज की चुप्पी टूट रही है। सभी संस्थाएं इसी तरह आगे आकर अपने क्षेत्र के बच्चों को सही समय पर माहवारी स्वास्थ्य, किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक एवं मानसिक बदलावों, गुड टच, बैड टच एवं संबंधित सावधानियों के प्रति जागरूक करें, तो यह बच्चों एवं समाज के लिए काफी बेहतर होगा।”

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