जमशेदपुर:- पिछले सप्ताह से छात्र और छात्र संगठन दीक्षांत समारोह एक साथ कराने की मांग को लेकर लगातार धरना-प्रदर्शन-ज्ञापन विभिन्न माध्यमों से दे रहे। लेकिन विश्वविद्यालय छात्रों की भावनाओं को न समझते हुए अपने अड़ियल रवैये पर बरकरार है। इस संबंध में एआईडीएसओ कोल्हान विश्वविद्यालय प्रभारी सोहन महतो ने कहा कि दीक्षांत समारोह हर वर्ष होने चाहिए और उस वर्ष के सभी गोल्ड मेडलिस्ट एवं सभी उत्तीर्ण छात्रों को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित करते हैं, इस मौके पर महामहिम राष्ट्रपति एवं राज्यपाल मुख्य अतिथि के रूप में रहते हैं। यह जरूरी नहीं है कि सभी छात्रों को खड़े होकर राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल ही सर्टिफिकेट अपने हाथों से देते हैं, बल्कि मंच पर उपस्थित अन्य अतिथि भी सर्टिफिकेट देते हैं,परंतु उस मंच का एक गरिमा होता है क्योंकि मंच के अतिथि राष्ट्रपति और राज्यपाल होते हैं.विद्यार्थी अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं। लेकिन देश और दुनिया के विश्विद्यालय के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा कि एक साथ 15 जगहों पर दीक्षांत समारोह किया जा रहा। ऐसे में सवाल है।
एकसाथ सबको राज्यपाल व कुलाधिपति के समक्ष सर्टिफिकेट देकर सम्मान करने से वंचित किया जा रहा? विश्विद्यालय क्यों छात्रों के साथ धोखा किया?छात्रों की संख्या अधिक है तो इसका जिम्मेदार कौन है? क्या कुलपति सहित सभी पदाधिकारियों को अपने छात्रों की संख्या का अंदाजा नही था?क्यों हर साल दीक्षांत समारोह का आयोजन नही किया जाता?समय लेकर एकसाथ सबको सम्मानित करने का प्रयास क्यों नही किया जा रहा? रजिस्ट्रेशन के समय ही ऐसी संभावना का जिक्र क्यों नही किया गया?कॉलेजो में सर्टिफिकेट बांटना हो तो छात्रों से वसूली गयी 47 लाख का क्या करेगी विश्विद्यालय?करीब 1600 मायूस छात्रों ने एकदिन में दीक्षांत समारोह में शामिल होने से अपना नाम वापस ले लिया, उनको परेशान और अपमान करने की जिम्मेदारी किसकी?जब छात्र सप्ताह भर से अपनी बात रख रहे तो क्यों उनकी बातों पर ध्यान नही दिया जा रहा?
आज सैकड़ो की संख्या में कुलपति का घेराव किया गया, लेकिन विश्विद्यालय प्रशाशन चुप है। एआईडीएसओ विश्वविद्यालय के इस अड़ियल रवैया की घोर निंदा करता है और छात्र-छात्राओं से एक बड़ा आंदोलन संगठित करने की अपील करता है।
Reporter @ News Bharat 20