बिक्रमगंज /रोहतास (राजू रंजन दुबे और चारोधाम मिश्रा):– नोखा नगर परिषद के बलीगावा ग्राम में चल रहे श्री पयहारी जी दिव्य महायज्ञ में श्री महेश्वर दास त्यागी जी महाराज ने गुरुवाणी कहते हुए कहा कि गोपीयों जैसा प्रेम ही भगवान को बांध सकता है । गोपीयां निरंतर ठाकुर जी को अपनी बुद्धि में विराजमान रखती हैं । बड़े-बड़े योगी महात्माओं को तो परमात्मा का नित्य स्मरण करते रहने के लिए पड़ता है लेकिन बृज की गोपीयां कन्हैया को भूलने का प्रयास करने पर भी भूल नहीं पाती । गोपीयां भगवे वस्त्र नहीं पहनती फिर भी उनका मन कृष्ण प्रेम में रंगा रहता है । भगवान की लीलाएं देखती हुई गोपीयां घर का कामकाज भूलकर पागल सी हो जाती थी । गोपी किसी महिला या पुरुष का नाम नहीं बल्कि गोपी एक भाव है । गोपी का अर्थ है- गोपी यानि इंद्रियां यानि पीना । जो अपनी प्रत्येक इंद्री से ठाकुर जी का रस पान करता है वही गोपी है । गोपीयां भक्ति मार्ग की आचार्य हैं । जो कृष्ण कथा कृष्ण लीला में तन्मय हो जाता है वह भगवान की भक्ति पाते हुए मुक्त हो जाता है । प्रत्येक कार्य को भक्तिमय बनाओ और भगवान के साथ गुरु से निष्काम प्रेम करो । ज्ञान और योग पर भक्ति विजयी बताई गई । यह यज्ञ उपेंद्र बाबा के देखरेख में हो रहा है जिसमें बलीगावा के अगल बगल के सभी गांव का सहयोग यज्ञ में भरपूर मिल रहा है । मौके पर भोजपुरी राइटर गोल्डन प्रिय , भोजपुरी गायक रितेश जोशीला सहित कई लोग उपस्थित थे ।
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