पंचांग 21 जुलाई 2022 गुरूवार

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 पंचांग:- हिंदू कैलेंडर में पंचांग एक अनिवार्य हिस्सा है, जो सनातन रीति-रिवाजों का पालन करता है, और महत्वपूर्ण तिथियां प्रस्तुत करता है और एक सारणीबद्ध रूप में गणना करता है। पंचांग का उपयोग हमेशा ज्योतिष शास्त्र के लिए भी किया जाता है। इसमें न सिर्फ शुभ मुहूर्तों की जानकारी होती है बल्कि दिशा शूल, राहु काल आदि के बारे में भी बताया जाता है। इसके अलावा ग्रहों नक्षत्रों की स्थिति की जानकारी भी इसमें मिलती है। आगे जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…

21 जुलाई का पंचांग

21 जुलाई 2022, दिन गुरुवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि सुबह लगभग 08.12 तक रहेगी, इसके बाद नवमी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस दिन सूर्योदय अश्विनी नक्षत्र में होगा, जो शाम 06.37 तक रहेगा इसके बाद भरणी नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। गुरुवार को पहले अश्विनी नक्षत्र होने से मानस और उसके बाद रेवती नक्षत्र होने से पद्म नाम के 2 शुभ योग इस दिन रहेंगे। इनके अलावा धृति और शूल नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन बन रहे हैं। इस दिन राहुकाल दोपहर 02:12 से 03:51 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी…

गुरुवार को चंद्रमा मेष राशि में, सूर्य-बुध कर्क राशि में, शुक्र मिथुन राशि में, शनि मकर राशि (वक्री), मंगल-राहु मेष राशि में, केतु तुला राशि में और गुरु (वक्री) मीन राशि में रहेंगे। गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो दही या जीरा मुंह में डाल कर निकलें।

21 जुलाई के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें

विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- श्रावण
पक्ष- कृष्ण
दिन- गुरुवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- अश्विनी और भरणी
करण- तैतिल और गर
सूर्योदय – 5:56 AM
सूर्यास्त – 7:09 PM
चन्द्रोदय – Jul 21 12:10 AM
चन्द्रास्त – Jul 21 1:12 PM
अभिजीत मुहूर्त – 12:06 PM – 12:59 PM

21 जुलाई का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)

यम गण्ड – 5:56 AM – 7:35 AM
कुलिक – 9:14 AM – 10:54 AM
दुर्मुहूर्त – 10:21 AM – 11:13 AM और 03:38 PM – 04:31 PM
वर्ज्यम् – 12:44 AM – 02:29 AM

व्यतिपात योग (Vyatipat Yoga)
ज्योतिष शास्त्र में 27 शुभ-अशुभ योगों के बारे में बताया गया है। ये पंचांग के 5 अंगों में से एक है। इनमें से सत्रहवें योग का नाम व्यतिपात है। ये एक अशुभ योग है। व्यतिपात योग में किए जाने वाले कार्य से हानि ही हानि होती है। अकारण ही इस योग में किए गए कार्य से भारी नुकसान उठाना पड़ता है। जब किसी व्यक्ति के चौथे भाव में ये योग हो तो व्यक्ति बीमारी से पीड़ित रहता है। ऐसा व्यक्ति संतान तथा अन्य सुख से वंचित रह जाता है।

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