सैल्युट तिरंगा झारखंड के कार्यकारी अध्यक्ष रवि शंकर तिवारी ने 1932 के स्थानीय नीति का खुलकर विरोध किया है उन्होंने बताया कि ऐसा कर फिर एकबार सरकार झारखंड को अशांत कर बाहरी भीतरी की लड़ाई करा अपनी राजनीतिक रोटी सेकना चाहती है।
श्री तिवारी ने बताया ने कि सरकार अगर इतना ही आदिवासियों मूलवासियों की हितैषी है तो उनके शिक्षा और रोजगार के तरफ ध्यान दे। कोल्हान के सर्वे सेटलमेंट 1964-65,एवं 70 में हुआ था जिसे सरकार नही मान रही। ऐसा करने से कई लोग रिफ्यूजी हो जाएंगे।सरकार को प्रस्ताव पर पुर्नविचार करना चाहिए ऐसा नही हुआ तो इसके विरोध में आंदोलन किया जाएगा। श्री तिवारी ने बताया कि जब झारखंड अलग राज्य बना तो जो आज झारखंड के मूलवासियों के हितैषी बने हुए है उन्होंने उस समय विरोध क्यों नही किया।
Reporter @ News Bharat 20