

न्यूजभारत20 डेस्क:- एक नई श्रृंखला ‘एमएसवी इसाई विझा’ अद्वितीय संगीतकार की कालजयी धुनों के पीछे की जीवंत कहानियों को सामने लाएगी।
प्रसिद्ध संगीतकार एम.एस. के दामाद मोहन नायर द्वारा ‘एमएसवी इसाई विझा’ नामक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है। विश्वनाथन. श्रृंखला में एमएसवी की धुनों की विषयगत प्रस्तुतियां होंगी। उद्घाटन (इवेंट सपोर्ट अब्बास कल्चरल; ऑर्केस्ट्रा उदय रागम यूके मुरली इनिसाई मझाई) ने दर्शकों को कन्नदासन-एमएसवी सहयोग की एक झलक दी।

टीएमएस के बेटे बलराज ने ‘पुलंगुझल कोडुथा मूंगिलगले’ गाया। गांधी कन्नदासन ने बताया कि यह गीत कैसे अस्तित्व में आया। एवीएम के सरस्वती स्टोर्स एचएमवी के लिए कृष्ण के बारे में गीतों का एक एल्बम बनाना चाहते थे। जब एवीएम कुमारन ने कन्नदासन से संपर्क किया, तो कवि ने एक के बाद एक आठ गाने गाए। एमएसवी को संगीत तैयार करने में एक दिन से भी कम समय लगा। इनमें से एक गीत है ‘अमराजीविथम’ – कन्नड़ासन का संस्कृत में पहला गीत, जिसे एमएसवी ने गाया था। कृष्ण गणम नामक एल्बम बहुत हिट साबित हुआ।