टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की अस्मिता दोरजी सप्लिमेंट्री ऑक्सीजन का उपयोग किए बिना माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) के दक्षिण शिखर (8745 मीटर) तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं

Spread the love

दोरजी को उनके अग्रणी प्रयास के लिए टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) द्वारा प्रशिक्षित और समर्थित किया गया

जमशेदपुर (संवाददाता ):- 38 वर्षीय अस्मिता दोरजी, जो टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) की एक वरिष्ठ प्रशिक्षक है, ने सप्लिमेंट्री ऑक्सीजन का उपयोग किए बिना माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) के दक्षिण शिखर (8745 मीटर) पर पहुंचने में सफल रही। वह 13 मई, 2022 को सुबह 6:30 बजे दक्षिण शिखर (8745 मीटर) से लौटीं और इस अविश्वसनीय उपलब्धि को हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं हैं।

उत्साहित दोरजी ने कहा कि वह निराश तो हैं लेकिन अपने प्रयास से संतुष्ट हैं। वह पिछले तीन वर्षों से शिखर पर चढ़ने के लिए प्रशिक्षण ले रही थी, जिसमें बिना ऑक्सीजन के चढ़ने के प्रयास को ध्यान में रखते हुए उसकी ताकत, धीरज और सहनशक्ति को बेहतर बनाने पर ध्यान दिया गया था। 8000 मीटर के निशान से आगे का अभियान मार्ग, जिसे ‘मृत्यु क्षेत्र’ भी कहा जाता है, कम घनत्व वाली हवा, तेज हवाओं और कड़ाके की ठंड के कारण बेहद खतरनाक माना जाता है। ऑक्सीजन की बहुत कम उपलब्धता के कारण, पर्वतारोहियों को जीवित रहने और सुरक्षित रूप से लौटने के लिए शिविर 3 यानी 7100 मीटर से ऊपर सप्लिमेंट्री ऑक्सीजन का उपयोग करने की आवश्यकता होती है। दुनिया में बहुत कम लोग हैं जिन्होंने बिना सप्लिमेंट्री ऑक्सीजन के माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की है।

13 मई, 2022 को, सुबह लगभग 6:00 बजे, जब वह दक्षिण शिखर (8745 मीटर) पर पहुंची, अस्मिता ने अपने शरीर में ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्थायी रूप से अपनी दृष्टि खो दी। उसके साथी शेरपा ने वापस लौटने का निर्णय लिया और दक्षिण शिखर से कैंप (8000 मीटर) तक उतारने में उसका साथ दिया। बेस कैंप में लौटने के बाद, वह एक और प्रयास करने की उम्मीद कर रही थी, हालांकि, डॉक्टरों ने उसे ऐसा नहीं करने सलाह दी क्योंकि उसमें फिर से हाई-एल्टीट्यूड सेरेब्रल एडिमा (HACE) के समान लक्षण विकसित हो सकते थे। उसने 18 मई, 2022 को बेस कैम्प से अपनी वापसी शुरू की और 22 मई, 2022 को काठमांडू लौट आई। टीएसएएफ द्वारा आयोजित किसी भी अभियान में सुरक्षा हमेशा से प्राथमिकता रही है।

अस्मिता को उनकी उपलब्धि पर बधाई देते हुए, टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के चेयरमैन और टाटा स्टील के वाईस प्रेसिडेंट (कॉर्पोरेट सर्विसेज) चाणक्य चौधरी ने कहा: “सप्लिमेंट्री ऑक्सीजन के बिना 8745 मीटर तक पहुंचने के बाद अस्मिता को अपने बीच वापस पाकर हम बेहद खुश हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि वह सप्लिमेंट्री ऑक्सीजन का उपयोग किए बिना इस ऊंचाई को हासिल करने में कामयाब रही, हमें उसकी उपलब्धि पर और भी गर्व होता है। यह किसी भी तरह से एक साधारण उपलब्धि नहीं थी, जिसमें अस्मिता की ओर से अकल्पनीय धैर्य, संकल्प और दृढ़ प्रतिज्ञा की आवश्यकता थी। टीएसएएफ में, हम देश में साहसिक खेलों को बढ़ावा देना और समर्थन देना जारी रखेंगे और पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।

चाणक्य चौधरी ने 29 मार्च, 2022 को हेमंत गुप्ता, हेड, टीएसएएफ और प्रेमलता अग्रवाल, मैनेजर, टीएसएएफ के साथ अभियान को हरी झंडी दिखाई थी।

अस्मिता 3 अप्रैल, 2022 को भारत से अभियान पर निकली और उसी दिन काठमांडू पहुंचीं। वह खुंबू क्षेत्र से होते हुए 8 दिनों के ट्रेक के बाद 14 अप्रैल को एवरेस्ट बेस कैंप (17,500 फीट) पर पहुंची। अनुकूलन के हिस्से के रूप में, वह 20 अप्रैल को माउंट लोबुचे ईस्ट (20,075 फीट) पर चढ़ी। उसके बाद, उसने 23,000 फीट पर कैंप 3 तक 2 और चक्कर लगाए। चूंकि वह बिना सप्लिमेंट्री ऑक्सीजन के माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश कर रही थी, उसने 25,000 फीट तक एक अतिरिक्त चक्कर लगाया और एक रात कैंप 3 में रुकी।

उसने 9 मई, 2022 को बेस कैम्प से अंतिम चढ़ाई की शुरुआत की। खतरनाक खुंबू हिमपात को पार करने के बाद, वह 9 मई को कैंप 2 (21,000 फीट) पर पहुंची, जहां उसे एक दिन आराम करना था। वह 11 मई को कैंप 3 पर पहुंची और 12 मई को सुबह 11 बजे कैंप 4 यानी साउथ कॉल (26,400 फीट) पर पहुंच गई। कैंप 4 में कुछ घंटों के आराम के बाद, वह 12 मई को रात 8 बजे शिखर पर चढ़ाई की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में थी। और अंत में, जबरदस्त प्रयास, दृढ़ संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाने के बाद, वह 13 मई, 2022 को दक्षिण शिखर से लौट आई।

दोरजी को उनके मिशन में टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) का सहयोग मिला। TSAF 2020 और 2021 में अस्मिता को माउंट एवरेस्ट पर भेजने की योजना बना रहा था। हालाँकि, कोविड-19 महामारी के कारण अभियान को स्थगित कर दिया गया था।

अस्मिता दोरजी के बारे में

अस्मिता दोरजी, मूल रूप से एक शेरपा, एवरेस्ट क्षेत्र के नामचे बाज़ार के ऊपर एक छोटे से गाँव थेसू में पैदा हुई थीं। हालाँकि, पहाड़ की ऑक्सीजन उसके खून में दौड़ती है, वह 1989 में अपनी माँ के निधन के बाद भारत चली गई। उनके पिता 1984 के दौरान बछेंद्री पाल के शेरपा थे और बाद में एक अन्य अभियान में उनका निधन हो गया। उसके बाद उन्हें बछेंद्री पाल ने परिवार के सदस्य के रूप में पाला। TSAF ने अस्मिता को 2001 में अपना मूल पर्वतारोहण पाठ्यक्रम और बाद में 2003 में उन्नत पर्वतारोहण पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए समर्थन दिया। फिर, उन्हें बाहरी नेतृत्व पाठ्यक्रम और अभियानों के संचालन के लिए TSAF में प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था।

तैयारी और पर्वतारोहण से जुड़ी उपलब्धियां

अस्मिता ने पर्वतारोहण के क्षेत्र में कई बेमिसाल उपलब्धियां हासिल करते हुए एक जांबाज पर्वतारोही के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाई है । उन्होंने 6000 मीटर से अधिक ऊंची 8 चोटियों पर फतह पाई है या चढ़ाई का प्रयास किया है। उन्होंने माउंट सतोपंथ (7075 मीटर), माउंट धर्मसुरा (6420 मीटर), माउंट गंगोत्री 1 (6120 मीटर), माउंट स्टोक कांगड़ी (6070 मीटर), कांग यात्से 2 (6270 मीटर), जो ज़ोंगो (6240 मीटर) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की है। उन्होंने सर्दियों के मौसम में माउंट यूटी कांगड़ी (6030 मीटर) पर चढ़ाई की है तथा सर्दियों में ही माउंट स्टोक कांगड़ी पर क्लाइम्बिंग का प्रयास करते हुए 5700 मीटर तक पहुंचने में सफलता पाई।

ये अभियान उसकी पर्वतारोहण यात्रापथ के निर्माण महत्वपूर्ण कारक साबित हुए। किसी सर्वोच्च शिखर पर एक अभियान के लिए बहुत सक्रिय तैयारी की आवश्यकता होती है जिसे उन्होंने अप्रैल 2019 में शुरू किया था। वह पिछले 3 वर्षों से प्रशिक्षण ले रही है, जिसमें क्लाइम्बिंग के दौरान क्रमशः ऑक्सीजन की कमी को ध्यान में रखते हुए, उनके द्वारा अपनी ताकत, धीरज और सहनशक्ति को बेहतर बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वह अपने प्रशिक्षण के अंग के रूप में 7000 मीटर और 6000 मीटर की विभिन्न चोटीयों पर चढ़ चुकी है साथ ही इसके अलावा, लंबी दूरी के लिए साइकिल चलाना और दौड़ना भी उनके प्रशिक्षण में शामिल है। उन्होंने उत्तरकाशी स्थित टीएसएएफ बेस कैंप जमशेदपुर के पास दलमा हिल्स के रास्तों में भी दौड़ने की खूब प्रैक्टिस की है। टीएसएएफ के अन्य एवरेस्टर्स के अनुभव और सीख ने भी उनकी तैयारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *