

पटना (बिहार): बेरोज़गारी को राष्ट्रीय बहस बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले ‘युवा हल्ला बोल’ संस्थापक अनुपम ने बिहार की नीतीश सरकार को शिक्षक भर्ती के मुद्दे पर घेरा है। राजधानी पटना में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अनुपम ने STET 2019 की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सरकार की मंशा पर संदेह जताया।

अनुपम ने कहा कि जिस ढंग से माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा STET उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए मेधा सूची तैयार की गयी है उससे स्पष्ट है कि सरकार नियुक्ति को लेकर गंभीर नहीं है और ऐसी स्थिति बनाना चाहती है कि बहाली अटक जाए। शिक्षक नियोजन प्रक्रिया को किसी न किसी बहाने अदालत में लटकाना सरकार की फितरत बन गयी है।
बिहार में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के बारे में देश दुनिया को पता है। सरकार के अपने आँकड़ों के अनुसार ही बिहार में कुल 3,15,778 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। यह आँकड़ा चिंताजनक है और पूरे देश में सबसे ज़्यादा है। मुख्य प्रवक्ता ऋषव रंजन ने इसपर कहा, “ऐसे में किसी भी संवेदनशील सरकार को युध्दस्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति करनी चाहिए थी। लेकिन राज्य में कई उदाहरण है जो दर्शाते हैं कि कोई भी भर्ती प्रक्रिया बिना आंदोलन और कोर्ट कचहरी के आगे ही नहीं बढ़ती। पिछले दस सालों से STET 2011 उत्तीर्ण हजारों अभ्यर्थी बेरोज़गार बैठे हैं। उसी तरह 94000 प्राथमिक शिक्षक भी अपनी बहाली को लेकर लगातार आंदोलनरत रहे हैं। अब सरकार ने STET 2019 उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ ऐसा खेल कर दिया कि वो भी आक्रोश में हैं।”
जब से शिक्षा मंत्री ने STET 2019 के लिए मेरिट लिस्ट जारी किया है, तब से कई गड़बड़ियां और आरोप सामने आ चुके हैं जिनपर सरकार को संतोषजनक उत्तर देना चाहिए। डैमेज कंट्रोल की कोशिशों के बजाए सवालों का सामना करने से ही अभ्यर्थियों में सरकार के प्रति व्याप्त अविश्वास कम होगा।
इसी क्रम में ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सात सवाल पूछे:
1) STET उत्तीर्ण शिक्षक ‘मेरिट लिस्ट’ से बाहर क्यों जब सफल अभ्यर्थियों की संख्या कुल रिक्तियों से भी कम है?
2) बाहर किए गए शिक्षकों की जगह किन लोगों को और किस आधार पर मेरिट लिस्ट में घुसाया गया?
3) विषयवार कटऑफ क्यों नहीं बता रही सरकार?
4) अपने ही विज्ञापन का पालन क्यों नहीं कर रही सरकार?
5) कम अंक वाले ‘मेरिट लिस्ट’ में और ज्यादा अंक वाले बाहर कैसे हो सकते हैं?
6) भर्ती प्रक्रिया के नाम पर फोन करके रिश्वत की मांग क्यों की जा रही थी और ऐसे आरोपों की त्वरित जाँच क्यों नहीं गयी?
7) क्या एक बार फिर शिक्षक बहाली प्रक्रिया को कोर्ट के पचड़े में फसाने की कोशिश हो रही है?
‘युवा हल्ला बोल’ नेता और पूर्व डीएसपी डॉ. अखिलेश कुमार ने भी प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बिहार सरकार से मांग किया कि पूरी पारदर्शिता के साथ इन सवालों के जवाब दिए जाएं। राज्य सरकार या तो स्वयं अभ्यर्थियों की शंकाओं को दूर करें या फिर भर्ती प्रक्रिया पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों की स्वतंत्र जाँच हो।
डॉ. अखिलेश ने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार के युवाओं को बेरोज़गारी के अंधकार में धकेल दिया है। आज शिक्षित युवा भी अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित हैं और असमंजस की स्थिति में हैं। सरकार अगर बेरोज़गारी की विकराल समस्या को दूर करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाती तो ‘युवा हल्ला बोल’ इस अक्षम और असंवेदनहशील सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन करेगा।

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