स्वर्ण महासंघ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बनाए गए जमशेदपुर के डीडी त्रिपाठी

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नई दिल्ली:-  सवर्ण महासंघ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की दिल्ली में कल सम्पन्न हुई राष्ट्रीय कोर कमेटी के बैठक के बाद शीर्ष स्तर पर लोकतांत्रिक तरीके से संगठन के मुख्य तीन पदों राष्ट्रीय अध्यक्ष,राष्ट्रीय संगठन महामंत्री एवं राष्ट्रीय संयोजक का चुनाव किया गया । यूपी चुनाव के मद्देनजर बुलाई गई इस बैठक के बाद उक्त तीनों पदों पर चुनाव का प्रस्तव आया क्योंकि इन तीनों पदों का कार्यकाल 11 दिसम्बर को समाप्त हो रहा था। जिसमें पूरे देश के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर ठाकुर ओम प्रकाश सिंह (मुंबई), राष्ट्रीय संगठन मंत्री डी डी त्रिपाठी ( जमशेदपुर -झाड़खंड) एवं राष्ट्रीय संयोजक विनोद कुमार तायल (पंजाब ) के चयन पर अपनी मोहर लगा दी….जो क्रमशः श्री गजेंद्रमणि त्रिपाठी (अध्यक्ष), ठाकुर किरण पाल सिंह ( संगठन महामंत्री ) एवं ठाकुर ओम प्रकाश सिंह ( राष्ट्रीय संयोजक ) का स्थान लेंगे।
ज्ञात हो कि श्री डी डी त्रिपाठी इसके पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री के पद पर थे जिन्हें संगठन महामंत्री की बड़ी जिम्मेदारी के साथ ही अन्य राज्यों में संगठन विस्तार की बड़ी जिम्मेदारी मिली हैं।

त्रिपाठी ने इस आशय की सूचना देते हुए बताया कि संगठन देश में संवैधानिक रूप से आज़ादी के बाद संविधान के आड़ में सवर्णों के प्रति जो राजनीतिक घृणा परोसी जा रही और जो अनवरत सत्ता शीर्ष पर बैठने वालों के द्वारा पोषित की जा रही हैं उसके खिलाफ शंख नाद करेगा।त्रिपाठी ने कहा कि दुर्भाग्य हैं कि जिस वर्ग ने संघे शक्ति कलियुगे का मंत्र दिया वो आज संगठनहीनता का शिकार होकर अपने अस्तीत्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं।भाजपा सहित सभी पार्टियों में देश की 135 करोड़ की आवादी को संगठनात्मक भागीदारी ओबीसी,एसटी,एससी और धर्म के नाम पर अल्पसंख्यक मोर्चा के नाम पर भागीदारी दी हुई हैं किंतु सवर्णों को मात्र राजनीतिक घृणा ! सभी वर्गों की हितों की रक्षा के लिए संस्थागत सुरक्षा “आयोग ” के रूप में मिला हुआ हैं किंतु सवर्णों को मिलता हैं 18/A जैसा कानून जो सवर्णों को जन्मजात अपराधी ,शोषक,प्रताड़क एवं उत्पीड़क मान कर दोयमदर्जे का नागरिक बनाता हैं।

त्रिपाठी ने साफ शव्दों में कहा कि अब हम अपने बीच के अंदर छिपे सवर्ण नामधारी रँगे सियारों के भरोसे नहीं रह सकते जो जून 2018 में 18/A के पास होते वक्त संसद में विरोध की छोड़े किन्नरों की तरह ताली बजा रहें थे । वो दिन हमारे लिए दुर्भाग्य का पल था जब पता चला कि नैशर्गिक न्याय तक से हमें तथाकथित संविधान ने हमें वंचित कर दिया और संसद में 795 सांसदों में एक भी सांसद सवर्ण नहीं था…था तो मक्कार,चापलूस एवं स्वार्थी।

हमने साफ कहा हैं कि हम किसी के विरोध में नहीं बल्कि अपने आने वाली पीढ़ियों से नज़र मिला सके इसके लिए संघर्षरत हैं। और यदि 2022 के पूर्व भाजपा सहित सभी पार्टियाँ सवर्ण मोर्चा का गठन अपनी पार्टी के अंदर नहीं करती एवं भाजपानीत केंद्र सरकार शक्ति संपन्न राष्ट्रीय सवर्ण आयोग का गठन नहीं करती हैं तो हम ” सवर्ण आयोग एवं सवर्ण मोर्चा नहीं तो वोट नहीं ” के नारे के साथ 2022 के आसन्न चुनाव का वहिष्कार करेंगे। श्री त्रिपाठी ने नए मिले दायित्व के लिये समस्त प्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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