बड़ों से लेकर नन्हे बच्चों तक, देशभर में सभी ने धूमधाम से मनाई ईद

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जमशेदपुर:- देशभर में धूम-धाम से ईद-उल-फितर का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया. सोमवार शाम को शव्वाल का चांद दिखाई दिया.  रमजान के 30 रोजों के बाद ईद का त्योहार सबके चेहरों पर खुशियां लेकर आया है. इस्लाम में ईद-उल-फितर को सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. कई वर्षों बाद ऐसा मौका आया है जब दूसरे त्योहारों के साथ ईद का त्योहार भी आजादी के साथ मनाने की इजाज़त मिली है. वरना इससे पहले तो ईद उल फितर और ईद उल अज़हा पर कोरोना का साया मंडरा रहा था.

हर मुस्लिम परिवार को ईद का बेसब्री से इंतजार रहता है. मुस्लिम समुदाय में ईद पर अच्छी खासी रौनक देखने को मिलती है. इस दौरान मस्जिदों को सजाया जाता है. लोग नए-नए कपड़े पहनने के साथ घरों में पकवान बनाते हैं. मुस्लिम समुदाय के इस सबसे बड़े त्योहार ईद पर घरों में मीठे पकवान, खासतौर पर सेवई बनाई जाती है.

ईद-उल-फितर के दिन गरीबों को दान दिया जाता है, जिसे जकात फितरा कहा जाता है. जकात फितरा लोगों की आय के मुताबिक होती है. ईद के अलावा रमजान के पूरे महीने में भी गरीबों को दान दिया जाता है.  इस महीने में जितना दान दिया जाए, उतना ही सबाब मिलता है.

कहा जाता है कि रमजान के महीने में कोई भी अच्छा काम करने पर 70 गुना सबाब मिलता है.  इसलिए इस महीने में लोगों को बुरे कामों से दूर रहने के लिए कहा जाता है. ईद के दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक दूसरे के गले मिलते हैं.  इसे भाईचारे का त्योहार भी कहा जाता है. ईद के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि 624 ईस्वी में पहली ईद-उल-फितर या मीठी ईद मनाई गई थी.  ईद पैगम्बर हजरत मुहम्मद के युद्ध में विजय प्राप्त करने की खुशी में मनाई गई थी। तभी से ईद मनाने की परंपरा चली आ रही है.

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