भारत की बेटी अश्विनी केपी ने यूएनएचआरसी में जगह बनाने वाली पहली महिला बनी ……

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कर्नाटका:कर्नाटक के एक छोटे शहर चिक्कबल्लापुर से यूएनएचआरसी में जगह बनाने वालीं अश्विनी पहली भारतीय हैं।यह खबर हमे गौरवान्वित इसलिए भी कर रहा है क्युकी वो पूरे एशिया की भी  इकलौती महिला हैं।

चिक्कबल्लापुर की रहने वाली अश्विनी केपी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में विशेष दूत बनी हैं। कुछ दिन पहले ही जांबिया के रहने वाले “ई तेंदाई अचियूम” ने अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था, उनके इस्तीफा देने के बाद यूएनएचआरसी की तीन सदस्यीय सलाहकार समिति ने भारत के 36 वर्षीय अश्विनी केपी को स्पेशल रिपोर्टर नियुक्त किया है। जो की दलित कार्यकर्ता और राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर रह चुकी है। अश्विनी यूएनएचआरसी की छठवीं स्पेशल रिपोर्टर हैं। इनका तीन साल का कार्यकाल एक नवंबर से शुरू होगा। इस पद पर अब तक अफ्रीकी देशों के लोग ही काम करते रहे हैं।

कर्नाटक से यूएनएचआरसी तक का सफर तय करने मे अश्विनी का जीवन काफी संघर्षमायी रहा।1986  में एक दलित परिवार में अश्विनी केपी का जन्म हुआ था। उनके पिता कर्नाटक प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे। उनकी शुरुआती स्कूली पढ़ाई कर्नाटक में ही हुई। अश्विनी को एक दलित होने के कारण स्कूल और कॉलेज में काफी भेदभाव और अपमान झेलना पड़ा। अश्विनी ने नयी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के साउथ एशियन स्टडीज से एमफिल और पीएचडी की पढ़ाई की। पीएचडी के दौरान उन्होंने दलित मानवाधिकारों के संदर्भ में भारत और नेपाल का तुलनात्मक अध्ययन किया। अश्विनी केपी ने अपनी थिसिस का विषय ‘दलित मानवाधिकारों का अंतरराष्ट्रीय आयाम: भारत और नेपाल का एक केस स्टडी’ रखा। डॉक्टरेट थीसिस की प्रक्रिया में उन्हें भारत और बाहर, दोनों जगह कई वरिष्ठ दलित कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों के साथ जुड़ने का अवसर मिला।

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