

न्यूजभारत20 डेस्क/जमशेदपुर:- “गावहो सच्ची बाणी”-2024 कीर्तन और सिख इतिहास मुकाबला का फाइनल रविवार को साकची गुरुद्वारा में संपन्न हुआ। बीबी सिमरन कौर जवद्दी टकसाल लुधियाना वाली और ज्ञानी सुच्चा सिंह मेहता चौक पंजाब वाले ने जज की भूमिका निभाते हुए प्रतिभागियों के गुरवाणी स्वर व सुर-ताल को तराशते हुए प्रतिभागियों का चयन किया। संगत ने इस आयोजन की प्रशंसा की। साथ ही मुख्य अतिथि राज्य अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष ज्योती सिंह मथारु ने कहा कि युवा पीढ़ी को धर्म के प्रति जागरूक करने का यह प्रयास अच्छा है। आने वाले समय में झारखंड बंगाल स्तर पर कार्यक्रम करने की बात करते हुए उन्होंने अपना सहयोग देने का आश्वासन दिया।

सजा कीर्तन दरबार, संगत हुई निहाल
फाइनल के बाद साकची गुरुद्वारा में विशेष कीर्तन दरबार आयोजित किया गया। गुरुद्वारा के हजूरी रागी भाई संदीप सिंह ने गुरवाणी कीर्तन कर संगत को गुरु चरणों से जोड़ा। इसके बाद भाई हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने गुरवाणी के विचार प्रकट किये। फिर बीबी सिमरन कौर ने कीर्तन गायन करने के बाद कीर्तन मुकाबले के प्रतिभागियों की घोषणा की। ज्ञानी सुच्चा सिंह ने भी श्री गुरु हरिकिशन साहेब की कथा सुनाते हुए गुरवाणी के उपदेशों से संगत को गुरु घर से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। साकची के प्रधान निशान सिंह, प्रकाश सिंह, तारा सिंह, हरविंदर सिंह मंटू ने भी कार्यक्रम की सराहना की।
अतिथियों ने किया विजेताओं को पुरुस्कृत
इस प्रतियोगिता के प्रतिभागियों का हौंसला बढ़ाने के लिए मुख्य अतिथि के रूप में राज्य अल्पसंख्यक आयोग के प्रदेश उपाध्यक्ष ज्योति सिंह मथारू, शहर के समाजसेवी शिव शंकर सिंह, झारखंड सिख फेडरेशन के अध्यक्ष अमरजीत सिंह, सीजीपीसी के पूर्व प्रधान गुरमुख सिंह मुखे, सेंट्रल सिख स्त्री सत्संग सभा की प्रधान बीबी कमलजीत कौर, साकची गुरुद्वारा के प्रधान निशान सिंह, बिष्टुपुर गुरुद्वारा के प्रधान प्रकाश सिंह, सोनारी के प्रधान तारा सिंह, जमशेदपुर चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष हरविंदर सिंह मंटू समेत विभिन्न गुरुद्वारा के प्रधान पहुंचे। कीर्तन मुकाबला के दोनों ग्रुप में प्रथम पुरुस्कार 31 सौ, द्वितीय 21 सौ और तृतीय 11 सौ रुपये के साथ ट्राफी देकर सम्मनित किया गया। साथ ही करीब 70 से ज्यादा सभी प्रतिभागियों को भी सर्टिफिकेट, गिफ्ट देकर उनका भी हौंसला बढ़ाया गया। कार्यक्रम में सहयोग करने वाले कई लोगों को भी सम्मानित किया गया। अंत में संगत के बीच गुरु का अटूट लंगर भी वितरित किया गया।