स्थानीयता नीति, खतियान और स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता आज तक नहीं, धाड़ दिसुम विकास संघ की बैठक में हुआ चर्चा

Spread the love

जमशेदपुर : धाड़ दिसुम विकास संघ के तत्वाधान में नेतरा गांव में एक बैठक सम्पन्न हुआ जिसमें 4 गांव के प्रतिनिधि शामिल थे। बैठक में विस्तार से इस अंचल के गांव की समस्याओं पर चर्चा हुई। यह माना गया कि झारखंड आंदोलन के परिणाम स्वरूप गठित झारखंड प्रांत में जनता की आकांक्षाएं अभी भी अधूरी है। कोरोना के नाम पर शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया गया है जबकि बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की जा सकती थी।

आज भी स्थानीयता नीति का आधार 1932 के खतियान को नहीं माना गया है। स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता देने के बजाय झारखंड में अप्रचलित भाषाओं को महत्व दिया जा रहा है। सरकार कदमों से यह पता चलता है कि झारखंड की प्रशासनिक व्यवस्था में आज भी सामन्तवादी सोच  कायम है।

ग्राम सभा को निर्णायक भागीदारी नहीं देकर वार्ड सभा जैसे तकनीकी व्यवस्था के द्वारा ग्राम सभा को शिथिल किया गया है। इन सब समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह तय किया गया कि धाड़ दिसुम विकास संघ को  पुनर्गठित और गतिविधियों को तेज किया जाए। इस उद्देश्य से आगामी 20 फरवरी को नेतरा में एक व्यापक बैठक का आयोजन किया गया है।

आज की बैठक में अरविंद अंजुम, कुमार दिलीप, पति चरण, राघव सोरेन, वासेत किस्कू, अशोक किस्कू, रघुनाथ सोरेन, हिकिम टुडू, सालखान सोरेन, फर्मुल मुर्मू, सुरेश हेंब्रम आदि शामिल हुए तथा अध्यक्षता मेघराय सोरेन ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *