अति प्राचीन है मां यक्षिणी भवानी भलुनी धाममें श्री मद देवी भागवत महापुराण यज्ञ हो रहा आयोजन

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दावथ /रोहतास (चारोधाम मिश्रा):- दिनारा प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर पूरब भलुनी स्थित यक्षिणी भवानी धाम अति प्राचीन प्रसिद्ध शक्तिपीठ के प्रांगण में नौ दिवसीय श्री मद देवी भागवत महा पुराण यज्ञ का आयोजन हो रहा है।आचार्य देवबंश पंडित व भिखारी बाबा काशी वाले के नेतृत्व में नौ विद्वान पंडितों के द्वारा पूजा अर्चना की जा रही है।यज्ञ का संचालक विजय पंडित ने बताया की श्री मद देवी भागवत महा पुराण यज्ञ 14 मार्च से शुरु है जो 22 मार्च तक चलेगा। बताते चले की मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। श्रीमद देवी भागवत, मार्कण्डेय पुराण के अलावे वाल्मीकि रामायण में भी यक्षिणी भवानी का वर्णन मिलता है। मान्यता के अनुसार देवासुर संग्राम के बाद अहंकार से भरे इंद्र को यक्षिणी देवी ने यहीं सत्य का पाठ पढ़ाया था। इंद्र ने देवी दर्शन के पश्चात उनकी स्थापना की थी। कहा गया है कि हंस पृष्ठे सुरज्जेष्ठा सर्पराज्ञाहिवाहना, इन्द्रस्यच तपो भूमिरू शक्तिपीठ कंचन तीरे। यक्षिणी नाम विख्याता त्रिशक्तिश्च समन्विता।पुराणों व अन्य धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी अति प्राचीन हैं। यक्षिणी मां दुर्गा का ही एक नाम है। मंदिर में देवी की प्रतिमा के अलावे भगवान शंकर व कुबेर की प्राचीन प्रतिमा भी स्थापित है, जो पूर्व मध्यकालीन है। मंदिर का पुनर्निर्माण आधुनिक काल में हुआ है। हालांकि देवी की प्रतिमा सहित मंदिर में स्थापित अन्य प्रतिमाएं पूर्वमध्यकालीन हैं। मंदिर के बाहर एक अति प्राचीन व विशाल तालाब है। आसपास में वन के अवशेष आज भी विद्यमान हैं। जिसमें काफी संख्या में लंगूर रहते हैं। सरकार ने मैदानी इलाके के इस वन क्षेत्र के लिए को बचाने के लिए इसे वन्य आश्रयणी घोषित किया है।

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