आम बागवानी ने दी अलग पहचान।

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घाटशिला:- झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बिरसा हरित ग्राम योजना का लाभ लेकर विभाष महतो आज अपने क्षेत्र के किसानों को खेती-किसानी में आर्थिकोपार्जन की नई राह दिखा रहे हैं,घाटशिला प्रखंड अंतर्गत बड़ाखुर्शी पंचायत के रहने वाले विभाष महतो की पहचान प्रगतिशील किसान के रूप में होती है। पारंपरिक खेती से कुछ अलग करने की जिद ने उन्हें आम बागवानी के लिए प्रेरित किया, जो इनके लिए आय का एक सशक्त माध्यम भी बन गया है।

प्रखंड कार्यालय से बिरसा हरित योजना के संबंध में जानकारी मिलने पर अपनी जमीन में विभाष महतो ने योजना का लाभ लेने की इच्छा जताई जिसके बाद ग्रामसभा के माध्यम से आवेदन पर विचार करते हुए इनका चयन वित्तीय वर्ष 2017-18 में किया गया। कुल दो एकड़ की जमीन में विभाष महतो ने आम बागवानी शुरू की। तीन वर्ष की अथक मेहनत रंग लाई। आज वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में सफल हुए हैं। आम बागवानी से इस वर्ष हुई 1.5 लाख रुपये की आमदनी : प्रगतिशील किसान विभाष महतो बताते हैं कि पहले से बागवानी के संबंध में विशेष जानकारी नहीं होने के कारण उन्हें शुरू में परेशानी जरूर हुई।

लेकिन कृषि एवं बागवानी संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए उन्होंने समय-समय पर बागवानी मित्र भानुमति महतो से संपर्क किया, जिससे काफी लाभ हुआ। तीन वर्ष तक पौधों की देखभाल के बाद विभाष महतो को अपने सपने पूरा होते दिखने लगे, जिसमें इस वर्ष उन्होंने आम के सीजन में डेढ़ लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी की। विभाष महतो इस योजना से हुए लाभ को लेकर कहते हैं कि राज्य सरकार की संवेदनशील सोच व जिला प्रशासन के पदाधिकारियों द्वारा आम जनता की हक को उन तक पहुंचाने का जो कार्य किया जा रहा है उसके लिए सभी धन्यवाद के पात्र हैं। विभाष बताते हैं कि उनके खेत को देखने अब आसपास के किसान भी आते हैं तथा आम बागवानी करने को लेकर इच्छा जताते हुए उनसे तकनीकी जानकारी एवं मार्गदर्शन भी लेते हैं।

आजीविका के स्थाई स्त्रोत का सशक्त विकल्प है बिरसा हरित ग्राम योजना : मनरेगा योजना अंतर्गत क्रियान्वित की जाने वाली बिरसा हरित ग्राम योजना राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है। बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत प्राकृतिक संसाधनों के संवर्धन में निवेश को बढ़ाकर गांव के अति गरीब परिवार हेतु आजीविका के स्थाई स्त्रोत का सृजन किया जाता है। ताकि गांव के अति गरीब परिवार को रोजीरोटी के लिए पलायन ना करना पड़े। योजना के लाभुक का चयन ग्रामसभा के माध्यम से तथा चयनित योजना का अनुमोदन पंचायत कार्यकारिणी समिति द्वारा किया जाता है।

इस योजना के तहत गरीब इच्छुक परिवारों की जमीन पर मुख्यता आम के पौधों का रोपण होता है। इसके साथ अमरूद, नींबू तथा अन्य फलदार पौधे भी लगाए जाते हैं। योजना के चयन में मुख्यता अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आदिम जनजाति, बीपीएल परिवार, महिला प्रधान वाला परिवार, शारीरिक रूप से विकलांग वाले परिवार, वनवासी आदि को प्राथमिकता दी जाती है। वैसे लाभुकों को भी प्राथमिकता दी जाती है जिनकी आजीविका मुख्य रूप से खेती पर आधारित है।

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