मुंबई: जो डबल डेकर बसें मुंबई की पहचान हुआ करती थीं, वो आज से सड़कों पर नहीं दिखेंगी

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मुंबई: 90 के दशक में किसी भी हिंदी फिल्म में जब मुंबई का ओपनिंग सीन दिखाया जाता था, तब सीएसएमटी के सामने से गुजरती हुई बेस्ट की डबल डेकर बस जरूर आती थी। डीजल से चलने वाली बेस्ट की डबल डेकर बसें मुंबई की पहचान हुआ करती थीं, आज से सड़कों पर नहीं दिखेंगी। गुरुवार को आगरकर चौक से सीप्ज स्टेशन तक चलने वाली रूट क्रमांक 415 की बस अंतिम डीजल डबल डेकर बस थी। इस बस में सवार होने वाले लोगों ने तस्वीर के रूप में अपनी यादों को मोबाइल कैमरों में कैद किया और एक लंबी सांस भर बस से उतर गए। आखिर 86 साल से इन डबल डेकर बसों ने मुंबईकरों के दिलों में घर बनाया हुआ था।

‘मैं चाहता था बेटी भी अनुभव ले’

पुरानी डबल डेकर बंद होने की खबरें पढ़ने के बाद मुंबई के अतुल कुलकर्णी ने एक बार अपनी बेटी को इस बस में सवारी कराने की ठानी। 15 साल की आर्या अपने पापा अतुल के साथ रूट क्रमांक 415 की बस में पहली बार सवार हुई। उसके लिए यह पहला और आखिरी अनुभव था। अतुल ने अपने स्कूली दिनों की यादें ताजा करते हुए बताया कि कुर्ला से सांताक्रुज रूट पर चलने वाली डबल डेकर बसों में पूरा बचपन बीता है। पहली मंजिल की सबसे आगे वाली सीट, ताजा हवा की झोंके और दोस्तों का साथ उनकी यादों में हमेशा कायम रहेगा। आखिरी बस का आनंद लेने के लिए जीवन ज्योत प्रतिष्ठान संस्थान ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए बस इस बस को बुक कर लिया था।

कभी हुआ करती थीं 900 बसें

90 के दशक में बेस्ट के पास करीब 900 डबल डेकर बसें हुआ करती थीं। एक जमाना था, जब बेस्ट की बसों में लोकल ट्रेनों से ज्यादा यात्री सवारी करते थे। इस साल की शुरुआत में बेस्ट के पास केवल 50 बसें बची थीं। बसों का लाइफ स्पैन खत्म होने के कारण इन्हें फेज आउट करना ही था। अब इनकी जगह नई एसी डबल डेकर बसें आ चुकी हैं।

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