नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सम्मेलन: शोध और नवाचार से सतत विकास पर चर्चा

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जमशेदपुर : “सही प्रश्न पूछिए, और प्रकृति अपने रहस्यों का द्वार खोल देगी।” – सी वी रमन का यह प्रसिद्ध वाक्य यह उल्लेखित करता है कि जब आप सही सवाल पूछते हैं, तो प्रकृति खुद ही अपने रहस्यों को आपके सामने खोल देती हैं। शोधकर्ताएं भी कुछ इसी लहजे से अपने शोध पत्रों पर काम करते हैं। हमारे समाज में कईं ऐसे विषय हैं जिनपर पर चर्चा करना आवश्यक है। इससे न  सिर्फ विद्यार्थियों को सीखने या जानने को मिलता है बल्कि एक पूरे समाज को ज्ञान का भंडार मिलता है। शोध पत्र शोधकर्ताओं और छात्रों द्वारा लिखे जाने वाले दस्तावेज़ होते हैं जो किसी विशिष्ट विषय या समस्या पर शोध के परिणामों को प्रस्तुतकर्ता हैं। ये पत्र नए जाएं और अनुसंधान के परिणामों को साझा करने का एक माध्यम बनते है।

20 दिसंबर, 2024 नेताजी सुभाष विश्विद्यालय में सतत विकास के लिए बहु-वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले सत्र का आयोजन किया गया। इसमें देश के विभिन्न प्रांतों से आएं शोधकर्ताओं ने अपने शोध पत्रों का प्रदर्शन किया। हर एक शोधकर्ताओं ने विभिन्न विषयों पर अपने शोध पत्र पेश किए जिसमें न सिर्फ उनके वर्षों की मेहनत झलकी बल्कि उनके ज्ञान का भी परिचय मिला।

शोध के माध्यम से विकसित देश विकासशील देशों पर आधिपत्य स्थापित करने का प्रयास करते हैं- डॉ. मनीष कुमार झा
माननीय अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर इस कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत किया। गणेश वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसके पश्चात नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. पी. के. पाणि ने शोध के बारे में अपना दृष्टिकोण साझा किया – ” शोध पत्र न सिर्फ ज्ञान को बढ़ावा देता है बल्कि कुछ जानने की ललक को भी बढ़ावा देता है। आशा है कि नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी होते रहेंगे”। इस कार्यक्रम में डॉ. मनीष कुमार झा मुख्य वैज्ञानिक, खनिज खनन एवं पुर्नचक्रण विभाग ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मानव जीवन में शोध का विशिष्ट महत्व है। वर्त्तमान समय में विकसित देश अपने खनिजों का दोहन नहीं कर रहे हैं और खनिज संबंधित अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए वो विकासशील देशों के संसाधन का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसा करके वो अपने संसाधनों का संरक्षण कर रहे हैं ताकि भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके और जब दूसरे देशों के संसाधन समाप्त हो जाएं तब वो अपने संसाधनों को अधिकतम मूल्य पर बेच सकें। शोध के माध्यम से वो अपने लिए नए आपूर्तिकर्ताओं की खोज करते हैं और नए बाजारों की तलाश करते हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि सौरभ स्नेहव्रत सह प्राध्यापक, एक्स एल आर आई ने कहा ” किसी भी विषय पर शोध करना न सिर्फ ज्ञान को बढ़ाता है, बल्कि उस ज्ञान के विभिन्न तत्वों को और निखारकर सभी के सामने लाता है”।
सतत विकास के लिए बहु-वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. पी. के. पाणि, प्रतिकुलपति प्रो. डॉ. आचार्य ऋषि रंजन, कुलसचिव नागेंद्र सिंह, परीक्षा नियंत्रक प्रो. मोईज़ अशरफ, प्रशासनिक विभाग के अनुष्ठाता प्रो. नाजिम खान, शैक्षणिक विभाग के अधिष्ठाता प्रो. दिलीप शोम,  आईटी विभाग के अधिष्ठाता, प्रो. डॉ. रंजन मिश्रा, शोध विभाग के अधिष्ठाता प्रो. डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, कला एवं मानविकी विभाग के अधिष्ठाता, प्रो. डॉ. एस. के. खान, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए और शोध की बारीकियों एवं मानव जीवन में इसकी उपयोगिता के विषय में नवीन तथ्यों से अवगत हुए। आज के शोधपत्र प्रस्तुति में कुल 100 प्रतिभागियों ने शोधपत्र प्रस्तुत किये। इस दो दिवसीय सम्मेलन का समापन 21 दिसंबर, 2024 को पुरस्कार वितरण समारोह के साथ किया जाएगा।

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