दूसरे दिन नौशक्ति के दूसरे स्वरुप “माँ ब्राम्हचारिणी” की हुई पूजा

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जमशेदपुर: नवरात्री के दूसरे दिन नवशक्ति के दूसरे स्वरुप “माँ ब्राम्हचारिणी” की पूजा होती है। अस्त्र के स्वरुप में माँ दायें हाथ में माला और बाएं हाथ मे कमंडल धारण किये रहती है।ब्राम्हचारिणी का अर्थ होता है तप की चरिणी यानी तप का आचरण करने वाली।  शास्त्रों में कहा गया है की माता ने राजा हिमालय के घर पुत्री के रूप में मैना के गर्भ से उत्पन्न हुयी थी।और देवार्षि नारद जी के कहे अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए जंगलों में निराहार हजारों वर्ष तक तप की थी।कई दिनों तक वर्षा धुप संकट सब सहते हुए खुले आकाश के नीचे कठिन उपवास की फिर अपने कठिन तप से महादेव को प्रसन्न भी का लिया था ।इस कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी पड़ा और उन्हें त्याग और तपस्या का देवी मना जाता है।

माँ ब्राम्हचारिणी के पूजा आराधना से मनुष्य में अनेको प्रकार से तप, त्याग,वैराग्य,सयम,इत्यादि की वृद्धि होती है।जीवन की कठिनाईया समाप्त होती है एवं सर्वत्र विजयी होती है।जीवन के कठिन संघर्ष में भी उनका मन अपने कर्तव्य से विचलित नहीं होता है।

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