आंखें खोलो बाबू! मैं जा रही हूं… बहन के शादी की खुशी मातम में बदली…नाचते – नाचते भाई का हुआ देहांत…

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उतर प्रदेश :-
कहा जाता है कि किसी के घर की खुशी कब मातम में बदल जाए इस बात का अंदाजा सिर्फ ईश्वर को ही रहता है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश का है जहाँ एक तरफ बहन की शादी की तैयारी चल रही थी वही दूसरी तरफ भाई का देहांत हो गया।  विवाह एक ऐसा वक्त होता है जब खुशी और आंसू एक ही रथ पर सवार होकर आता है। बहन का घर बसने की खुशी और  बचपन का मायका छोड़ कर हमेशा के लिए ससुराल चले जाने की आंसू एक भाई के लिए ये बहुत ही खास समय होता है. लेकिन उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद में नियती ने ऐसा मंजर दिखाया कि शादी की खुशी मातम में बदल गयी।
ज्ञात हो कि  यहां चिल्हिया कस्बे में युवती की शादी के दिन दुल्हन को हल्दी लगाया जा रहा था।  घर में विवाह समारोह के माहौल में अचानक नाचते हुए दुल्हन के भाई की मौत हो गई।  इस घटना के बाद से परिवार में मातम पसर गया।  शादी की तैयारियां पूरी हो चुकी थी तो परिजनों ने घर में ही शव रख बारातियों का स्वागत किया।  इसके बाद बारात और शादी की रस्में विधि-विधान से पूरा होने के बाद दुल्हन और बारातियों को विदा किया गया।
जब विदाई हो गयी तब इसके बाद परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार किया।  जानकारी के मुताबिक चिल्हिया कस्बे के रहने वाले लोचन गुप्ता की बेटी की शादी जनपद गोरखपुर के सिंघोरवा गांव तय हुई थी।  बीते सोमवार शाम को बारात आना था और दिन में दुल्हन की हल्दी की रस्में चल रही थी. इस बीच घर में ही होम थियेटर पर गाना बज रहा था और घर के किशोर, किशोरियां और महिलाएं विवाह उत्सव में डांस कर रही थी।  इस नृत्य में दुल्हन का 19 वर्षीय भाई बैजू भी खुशी से डांस कर रहा था।
तभी वह नाचते नाचते अचानक से गिर गया।  बैजू के गिरने के बाद वह बेहोश हो गया।  बैजू को गिरा देख आनन-फानन में जिला अस्पताल ले जाया गया. वहीं जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे रेफर कर दिया।  इसके बाद परिजन उसे निजी अस्पताल ले गए जहां पंहुचते हुए उसकी मौत हो गई।
इस मामले में परिजनों के अनुसार उसकी मौत दिल का दौरा और दिमाग की नस फटने के चलते हुई।  इधर जब बैजू के निधन की जानकारी मिली तो विवाह के मंगल गीत गा रहीं महिलाएं रोने लगी।  इसके बाद देखते ही देखते शादी की खुशियां मातम में बदल गईं।  घटना के बाद दूल्हे की तरफ से लोग कुछ रिश्तेदारों को लेकर ही चिल्हिया पहुंचे।
इसके बाद वहां शादी की सभी रस्में पूरी की गई।  इसके बाद दुल्हन के पिता ने सुबह चार बजे अपनी बेटी और बारातियों को विदा करने के बाद बैजू के शव को अंतिम संस्कार किया।  वहीं विदाई के समय भाई की मौत के बाद दुल्हन उसके शव के पास बैठकर रोती रही।  बार बार वह कहती रही थी कि आंखें खोलो बाबू! मैं जा रही हूं।

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