कुब्यवस्था की त्रासदी झेल रहा रोहतास,टूट रही आस

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 बिहार / रोहतास ( दुर्गेश किशोर तिवारी):-क्या रोहतास के जनप्रतिनिधियों का दायित्व व कर्तब्य इस वैश्विक महामारी जानलेवा कोरोना त्रासदी के बीच अपने को अलग कर लेना या अस्पतालों में कुब्यवस्थाओ से जूझ रहे पीड़ित जनता से दूरी बना लेना या फिर शादी विवाह में जोशखरोश के साथ अपने समर्थकों संग शिरकत कर शोसल मीडिया में तस्वीर पोस्ट आदि करने तक ही सीमित है।क्या इनका यह उत्तरदायित्व नही बनता कि ध्वस्त हो चुके जिले का स्वास्थ्य एवं प्रशासनिक विधि ब्यवस्था को चुस्तदुरुस्त बनाने के लिए मजबूती से सामने आकर पहल करे व आवाज बुलंद करे।निरंतर आस्पतालों का निरीक्षण कर जरूरत के अनुसार वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, रेमडीसीयर दावा आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करे या फिर जरूरतमंद लोगों की सहायता करे। नित दिन कुब्यवस्था के शिकार लोग समुचित इलाज के अभाव में दम तोड़ते जा रहे है।वही अपने लोगो की  जिंदगी बचाने के लिए अस्पतालों में अवाम जदोजहद करते मारेफिर रही है।कुब्यवस्थाओ से लाचार विवस होते जा रही है।फिर भी जिनके मतो के बदौलत राजनीति में शीर्ष पद हासिल कर चुके जिले के तमाम छोटे बड़े निर्वाचित जनप्रतिनिधि संक्रमण आदि बीमारी से जूझते अपने मतदाताओं की मददगार साबित होने के बजाय विलुप्त हो गए है।जो निश्चित ही मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली है।निरंतर शोसल मीडिया के जरिये लोग आवाज बुलंद कर बेरहम जनप्रतिनिधियों की तलाश करने से लेकर अस्पतालों के कुब्यवस्थाओ से राहत दिलाने आदि का पोस्ट डालकर अस्पतालों में जिंदगी की जंग लड़ रहे लोग न्याय की गुहार लगा रहे है।वावजूद जिले के जनप्रतिनिधि खामोश व मूकदर्शक बन तमाशबीन बने दिख रहे है। रोहतास की जनता बीते चुनावों के दरमियान जो दलदल भावनाओं एवं शीर्ष नेताओं के नाम पर वोट कर ऐसे संवेदनहीन स्वार्थी प्रवृति के बहरूपिये को जिताने वाली को आज अपने कारगुजारियों पर न केवल पश्चाताप हो रहा है बल्कि शर्मशार भी होना पड़ रहा है कि काशः हमने शीर्ष नेता व दलीय भवनाओं के बंधन से मुक्त होकर किसी निस्वार्थ व निष्पक्ष एवं स्वतंत्र उम्मीदवार जैसे थर्डजेंद्रर( किन्नर)आदि को जिताया होता तो संकट की घड़ी में मुह छुपाकर दुबकने की जगह एवं त्रासदी में केवल सियासत करने की बजाय जनता के उम्मीदों पर खरा उतरने का कार्य अवश्य करते और यह दिन देखने को नही मिलता और न ही अफसोस करना पड़ता ।क्योकि औरो से अन्य स्वतंत्र उम्मीदवार समेत किन्नर समाज के लोग बगैर किसी लोभ लालच के अपने क्षेत्रीय जनता की जिंदगी बचाने के लिए ख़ौफ़नाक त्रासदी के बीच भी कुब्यवस्थाओ के खिलाफ न केवल आवाज उठाते बल्कि लोगो की जिंदगी बचाने के लिए अपने निधि से जनता की पैसा जनता की हिफाजत हेतू अवश्य अस्पतालों को देते ताकि ऑक्सीजन ,दावा समेत अन्य उपकरण की खरीददारी कर जान बचाया जा सके।लेकिन अन्य दलीय राजनीति से ओतप्रोत निर्वाचित रोहतास के जनप्रतिनिधि ऐसा करने में फ़िलवक्त असफल साबित होते दिख रहे है।क्योकि इन्हें तो अपने विधायक,सांसद आदि निधि का पैसा अपने क्षेत्रवासियों से ज्यादा महत्व पुल पुलिया आदि निर्माण में ही करेंगे ताकि उससे मोटी कमीशन व रिश्वत उन्हें नसीब हो सके।हालांकि जिले के बहुत सारे लोग किन्नर समाज को अपना उम्मीदवार बनाने के लिए हिमायती भी रहे है ।परंतु चुनाव के दरमियान लोगो की अरमान सीने में दम तोड़ कर रह गया। मजबूती से पहल नही किये जाने से दिल की आरमा आंसुओ में ही बह कर रह गया।जिसका खामियाजा ख़ौफ़नाक संक्रमणकाल में दिखने को मिल रही है।मानना है कि किन्नर समाज के लोगो मे लोभ लालच कम होता है और ये अपने समाज की प्रतिष्ठा को बरकरार रखने के लिए किसी भी कार्य मे बढ़चढ़कर हिस्सा लेने के साथ ही किसी भी हद तक जाने को आतुर होते है।ऐसे में पड़ोसी जिला(कैमूर) मोहनिया की विधायिका संगीता कुमारी इस महामारी में अपना दमखम दिखाते हुए न केवल पीड़ित लोगों के लिए मददगार साबित होते दिख रही है बल्कि अपने क्षेत्रवासियों की जिंदगी बचाने के लिए अपने विधायक निधि से तत्काल एक करोड़ रुपया ऑक्सीजन, दावा सहित अन्य उपकरण खरीदने के लिए सिफारिश कर अमलीजामा पहनाने का कार्य बखूबी रूप से करने से लोकप्रियता में बढ़ोतरी होते दिख रही है।जो काबिले तारीफ है।पश्चाताप की आग में जल रहे रोहतास के विभिन्न विधानसभा के लोगो का कहना है कि रोहतास के भी जनप्रतिनिधि भी काशःऐसे कदम उठाकर केवल अपने विधानसभा के नागरिकों के रक्षार्थ ही क्षेत्र में पड़ने वाले प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को दावा सहित अन्य उपकरण की ख़रीदगी हेतू तीस से चालीस लाख रुपया फिलहाल मुहैया करवा दे तो निश्चित ही बेकाबू संक्रमण पर काबू किया जा सकता था तथा लोगो का इलाज कर जिंदगी बचाई जा सकती थी।लेकिन रोहतास के जनप्रतिनिधि ऐसे दौर में एक दूसरे को मदद करने की जगह अपने को किनारा करते नजर आ रहे है। जनता का पैसा जनता की जिंदगी बचाने के लिए नही खर्च कर रहे है।इस महामारी में भी ढाक के तीन पात्र साबित हो रहे है।कही कोई अस्पतालों में पीड़ित मरीजों व उनके परिजनों का हालचाल जानने नही पहुच रहा।मोहनिया की विधायिका संगीता कुमारी निश्चित तौर पर बधाई की पात्र है जो अपने विस क्षेत्र की जनता का ख्याल कर जिंदगी बचाने के लिए इस तरह की पुरजोर कदम उठाई है।इससे भी रोहतास के जनप्रतिनिधियो को सबक लेनी चाहिए।परंतु मददगार साबित होने की जगह बिलुप्त होते दिख रहे है।

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