डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा संत लुक हॉस्पिटल ब्रिटिश काल का अस्पताल बदहाल,

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पाकुड़:- संथाल की धरती पाकुड़ के हिरणपुर में अंग्रेजों के समय 1929 में चर्च मिशनरी सोसायटी इंग्लैंड संस्था की ओर से 109 बीघा में फैला एक विशाल बड़ा भवन 170 बेड वाला संत लुक नामक अस्पताल बना.

ब्रिटिश काल का अस्पताल बदहाल, डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा संत लुक हॉस्पिटलइस अस्पताल के संस्थापक इंग्लैंड निवासी डॉक्टर एचसी एडमन्स ने 1929 से 1958 तक मरीजों की बेहतर इलाज कर सेवा दिया. उन्होंने इंग्लैंड छोड़कर संथाल की धरती में सेवा देने के मकसद से परिवेश किये. उस समय के दौर में यह अस्पताल बहुत ही प्रसिद्ध था. इस अस्पताल में 170 बेड के साथ साथ आंख का वार्ड, एक्सरे, डिस्पेंसरी, लैब,चाइल्ड किटेट व वेंटिलेटर क्लीनिक मौजूद था, लेकिन इस समय 20 बेड के भरोसे और डॉक्टर की कमी के कारण भगवान भरोसे अस्पताल चल रहा है.

गरीबों के लिए बेहतर इलाज

इस अस्पताल में गरीबों के लिए कम पैसे में बेहतर इलाज किया जाता था. इसलिए पाकुड़ के साथ साथ अन्य जिलों व अन्य राज्यों जैसे असम, पश्चिम बंगाल, नेपाल से भी इलाज के लिये लोग आते थे. हिरनपुर में स्थित संत लुक हॉस्पिटल के निर्माण आज़दी के पुर्व हुई थी. यह अस्पताल 1929 से लेकर 2014 तक अस्पताल अच्छे से चली, लेकिन डॉक्टर की कमी और विदेशी फंड अचानक बंद हो जाने के वजह से ये अस्पताल 2014 से लेकर आज तक संत लुक अस्पताल वीरान पड़ी हुई हैं. अब तक अस्पताल में डॉक्टरों की तैनाती व देखरेख के अभाव में अस्पताल दिनों दिन जर्जर होता जा रहा है. स्थिति यह है कि अस्पताल के खिड़की, दरवाजे भी टूट चुके हैं. अस्पताल परिसर में बड़ी-बड़ी घास फूस से भरी पड़ी है। अस्पताल की कुछ, कुछ इमारत गिरासू हालत में है. अगर स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन गंभीरता दिखाये तो हिरनपुर स्थित संत लुक अस्पताल को संजीवनी मिल सकती है.

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