सोना देवी विश्वविद्यालय में विशिष्ठ व्याख्यानमाला का आयोजन

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घाटशिला: सोना देवी विश्वविद्यालय, पूर्वी सिंहभूम के प्रांगण में “विशिष्ठ व्यक्तित्व के व्यक्तियों द्वारा द्वितीय व्याख्यान श्रृंखला” का आयोजन किया गया। आज की व्याख्यान श्रृंखला के वक्ता आध्यात्म जगत के विख्यात एवं लब्ध प्रतिष्ठित प्रेरक तथा युवा मार्गदर्शक हिज ग्रेस नाम प्रेम प्रभु, अध्यक्ष, इस्कॉन, धनबाद थे। आज के व्याख्यान का थीम ” युवाओं के जीवन निर्माण एवं चरित्र गठन के लिए कुछ दिशा निर्देश एवं राष्ट्र निर्माण हेतु युवाओं की भूमिका हेतु कुछ सुझाव ” था । आज की व्याख्यानमाला में सोना देवी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रभाकर सिंह, कुलपति प्रो. जे. पी. मिश्रा , कुलसचिव प्रो.(डॉ.) गुलाब सिंह ‘आज़ाद’ , परीक्षा नियंत्रक मिथिलेश सिंह , विभिन्न स्कूलों/ विभागों के प्राचार्यगण , प्राध्यापकगण एवं सहायक अध्यापक तथा बहुत बड़ी संख्या में छात्र – छात्राएं उपस्थित रहे।

सोना देवी विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो.(डॉ.) गुलाब सिंह ‘आज़ाद’ ने हिज ग्रेस प्रेम प्रभु जी का शॉल एवं पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। बायोटेक्नोलॉजी विभाग की प्राध्यापक डॉ. नित नयना ने हिज ग्रेस नाम प्रेम प्रभु का संक्षिप्त परिचय दिया। माननीय प्रेम प्रभु जी ने अपने बहुत ही प्रेरणादायक एवं ज्ञानवर्धक भाषण में सोना देवी विश्वविद्यालय के छात्र – छात्राओं तथा संकाय सदस्यों को जीवन निर्माण एवं चरित्र गठन के बहुत ही महत्वपूर्ण एवं उपयोगी दिशा- निर्देश दिए जो भारतीय संस्कृति के महान ग्रन्थों- श्रीमद भगवदगीता, महाभारत, केनोपनिषद आदि को उद्धरित करते हुए दिए। प्रेम प्रभु जी ने कहा की विकास एवं उन्नति हेतु अपने मन को नियंत्रण करना बहुत जरुरी है। उन्होंने कहा की व्यक्ति के जीवन में मन की बहुत बड़ी भूमिका है एवं व्यक्ति के सर्वांगीण विकास हेतु उसे अपने मन पर नियंत्रण करना अनिवार्य है और इसके लिए उसे अपनी बुध्दि को मजबूत बनाना होगा जिससे की वह सूझ – बूझ , दृणनिश्चय तथा विभेदीकरण के साथ निर्णय ले सके।

व्यक्ति के धर्म संकट में बुध्दि के यही दोनों तत्व उसे सही मार्ग दिखाते है। उन्होंने कहा कि युवाओं को अपने जीवन निर्माण एवं चरित्र गठन के लिए अच्छे साहित्य का अध्ययन करना, महान पुरूषों के जीवन चरित्रों से प्रेरणा लेना, अच्छे लोगों के साथ सत्संग करना तथा अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखने का अभ्यास करना जरुरी है। उन्होंने युवाओं से निवेदन किया की इन्ही चार-पॉँच साल आप अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करते हुए अच्छी आदतों एवं श्रेष्ट मानवीय गुणों को अपने व्यक्तित्व में आत्मसात करने की कोशिश करें । कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. डॉ. गुलाब सिंह ‘आज़ाद’ ने हिज ग्रेस प्रेम प्रभु जी द्वारा दिए गए प्रेरणास्प्रद एवं जीवन उपयोगी भाषण की ह्रदय से भूरि – भूरि प्रशंसा की तथा उन्होंने विद्यार्थियों से निवेदन किया कि वे हिज ग्रेस प्रेम प्रभु जी द्वारा युवाओं के जीवन निर्माण एवं चरित्र गठन के लिए बताए गए दिशा-निर्देशों का तथा उनके व्यावहारिक एवं आध्यात्मिक अनुभवों का जीवन के हर मुकाम पर उपयोग करते हुए स्वयं को एक श्रेष्ठ नागरिक बनाकर राष्ट्र निर्माण हेतु अनवरत योगदान करते रहेंगे ।

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