अटल सुहाग के लिए सुहागिनों ने की वट सावित्री की पूजा

Spread the love

दावथ /रोहतास (चारोधाम मिश्रा):-पति के दीर्घायु की कामना के लिए महिलाओं ने बुधवार को व्रत रखकर वट सावित्री की पूजा की और बरगद, पीपल पेड़ की परिक्रमा कर आशीर्वाद लिया। पूजा के लिए थाली सजाकर महिलाएं सुबह ही वट-पीपल के वृक्ष के पास पहुंची और वट वृक्ष के चारों ओर 108 परिक्रमा कर धागा लपेटा।पति के सुख, समृद्धि और परिवार की कुशलता के लिए कामना की। सुहागन शिवानी सिंह,अनु मिश्रा, नेहा सिंह ,आदि व्रतियों ने कहा कि पौराणिक मान्यता के अनुसार बरगद के पेड़ में पूर्वजों की आत्माओं का वास होता है।, इसलिए महिलाएं अमावस्या के दिन व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा अर्चना कर परिक्रमा करती है। पूजा के लिए महिलाओं ने बांस में चना बेसन का बर्रो बनाया था, जिसे वृक्ष पर चढ़ाने के बाद महिलाओं ने वृक्ष के चारों ओर परिक्रमा करते हुए पल्ली दाना, रेवड़ी मिठाई,का भोग चढ़ाया।साथ ही महिलाओं ने पंखा जलभरे घड़े,अन्न,और द्रव्य पंडित जी को दान किया।।कई महिलाओं ने निर्जला व्रत भी रखा।वट सावित्री के संबंध में यह कथा प्रचलित है कि सावित्री भद्र देश के राजा की पुत्री थी। राजा को अपनी पुत्री के लिए गुणकारी वर नहीं मिल रहा था, तब उसने सावित्री को अपने लिए वर ढूंढने को कहा।इसके बाद सावित्री ने साल्व देश के निष्कासित राजकुमार सत्यवान को अपने वर के रुप में चुना। जब उसकी मृत्यु हुई तो सावित्री ने यमराज से भी अपने पति का जीवनदान प्राप्त कर लिया।उसी समय से वट सावित्री की कथा प्रचलित हुई और हिन्दू महिलाएं अमावस्या के दिन वट सावित्री की पूजा करती हैं।विभिन्न स्थानों में महिलाओं ने सामूहिक रुप से वट सावित्री की पूजा की।ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष के जड़ों में ब्रहमा, तने में विष्णु तथा डालियो के पत्ते में भगवान शिव का वास होता है।इसलिए इस पूजा में स्त्रियां तीन देवों का आशीर्वाद प्राप्त करती है।हिंदु धर्म में पतिव्रता सुहागनो के लिए वट सावित्री व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।ऐसी मान्यता है कि इससे पति की आयु लंबी होती है।उसके जीवन से संकट टल जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *