वेस्ट बोकारो :- ऐसा माना जाता है कि दूसरों को उन चीजों को हासिल करने के लिए सशक्त बनाना ही लीडरशिप है, जिन्हें वे असंभव मानते हैं। इस विचार से प्रेरित होकर इचाकडीह गांव की 12 महिलाओं का एक समूह अपनी ‘अम्बे महिला समिति’ के माध्यम से गांव की पारंपरिक महिला पहचान को फिर से परिभाषित कर रहा है, जो कई महत्वकांक्षी ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
इचाकडीह गांव की 12 महिलाओं ने 2009 में एक स्वयं सहायता समूह ‘अम्बे महिला समिति’ का गठन किया और तब से यह समूह निरंतर काम कर रहा हैं। समूह ने प्रारंभ में पौधे उगाने के साथ शुरुआत की थी और समय के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए 2017 में बतख पालन के क्षेत्र में कदम रखा। समिति ने प्रारंभ में 100 बत्तखों के साथ इस उपक्रम की शुरुआत की। इस स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा प्रारंभिक समर्थन और सहयोग दिया गया। रामगढ़ और हजारीबाग के कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा क्रमशः प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन की सुविधा प्रदान की गई।
पिछले तीन वर्षों में उतार-चढ़ाव के बीच अम्बे महिला समिति की महिलाओं ने एक लंबा सफर तय किया है। बतख पालन पहल अब एक इनका एक सस्टेनबल मॉडल बन गया है और वर्तमान में एसएचजी के पास 150 से अधिक बतख हैं। यह एसएचजी अब इस पहल के माध्यम से एक वर्ष में 1 लाख से अधिक कमाता है।
इचाकडीह गांव की 27 वर्षीय सुश्री मंजू देवी ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया, “गांव में महिलाएं आमतौर पर अपने पुरुष बराबर काम नहीं करती हैं और मुश्किल समय में उन्हें भी पैसे की जरूरत होती है। एक साथ आने और एक एसएचजी बैंक बनाने से विभिन्न उपक्रमों के प्रति हमारे विचारों को नया आयाम मिला। हमारा मार्गदर्शन करने और हर संभव तरीके से हमारी मदद करने के लिए टाटा स्टील फाउंडेशन को धन्यवाद।”
अम्बे महिला समिति की ये महिलाएं एक गांव-स्तरीय एसएचजी बैंक भी चलाती हैं और उन्हें उधार देने एवं वसूली प्रक्रियाओं को कारगर बनाने के लिए तदनुसार प्रशिक्षित भी किया गया है। उन्हें पंजाब नेशनल बैंक रूरल सेल्फ एम्प्लॉयमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, रामगढ़ द्वारा प्रशिक्षित किया गया है, जो व्यक्तियों और ग्राम स्तर के संस्थानों के रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण का एक केंद्रीकृत केंद्र है। श्री उपेंद्र नाथ शाह, जिला विकास प्रबंधक, राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), रामगढ़ ने भी बैंक लिंकेज, आजीविका सृजन और इसकी सस्टेनेबिलिटी के लिए विभिन्न सरकारी पहलकदमियों पर एक जागरूकता सत्र का संचालन किया।
अम्बे महिला समिति की महिलाएं एक समय में एक कदम उठा कर एक उज्जवल भविष्य की ओर अपना मार्ग प्रशस्त कर रही हैं। एक ऐसे भविष्य की ओर, जो अधिक सहयोगी और समावेशी है।