कोरोनाकाल में मुह चिढ़ा रहा अनुमंडलीय रेफरल अस्पताल की कुब्यवस्था,शाम ढलते ही हो जाते डॉक्टर नदारद,कर्मचारी व गार्ड बन जाते डॉक्टर

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सासाराम / बिक्रमगंज ( दुर्गेश किशोर तिवारी / रवि प्रकाश ):- नगर परिषद बिक्रमगंज के वार्ड संख्या नौ धनगाई में वर्षो से स्थापित अनुमंडलीय रेफरल अस्पताल की कुब्यवस्था कोरोनकाल में मुह चिढ़ा रहा है।इस अस्पताल की भभ्यता जितनी लोगो को अपनी ओर आकर्षित व प्रभावित करता है उतना ही यहां की कुब्यवस्था लोगो के जिंदगी बचाने की जगह दम तोड़ने पर विवश कर दे रहा है।यहां लोग आते तो है बेहतर इलाज की कामना लेकर लेकिन अधिकांश अपनो का जिंदगी बचाने में नाकाम हो जाते है या फिर इन्हें गम्भीर बताकर रेफर कर दिया जाता है।जिससे लोग आशा की जगह निराशा होकर वापस लौट जाते है या फिर आखो में आंसुओ की सैलाब लिए अपनो का शव थामे ज्ञातब्य स्थान की ओर रवाना हो जाते है।संक्रमणकाल में विभिन्न बीमारियों से ग्रसित पीड़ित मरीज नित दिन बेहतर इलाज की आस लिए अस्पताल पहुच रहे है।जहां कुब्यवस्थाए लोगो को तार तार कर दे रही है।बेड के अभाव में मरीजो को फर्स भी लेटकर इलाज करवाना पड़ रहा है।विभिन्न बीमारियों से ग्रसित होकर भर्ती मरीजों के परिजनों के बातो पर यकीन करें तो इस अनुमंडलीय रेफरल अस्पताल में इलाज की समुचित ब्यवस्था नही होने के कारण आकरण ही लोग मौत के गाल में समा जा रहे है।परिजनों का कथन है कि यहां पहुचने वाले मरीजो को इलाज के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है।गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि दिन में आने वाले जेनरल मरीज जैसे हृदय रोग,किडनी,सुगर आदि जैसे बीमारियों से ग्रसित मरीजो का भी इलाज करने से डॉक्टर व नर्स बगैर कोविड जांच के हाथ तक नही लगा रहे है और ऑक्सीजन लगा कर भगवान भरोसे छोड़ दी जा रही है।जबकि ऐसे मरीजो में कोरोना का कोई लक्षण भी देखने को नही मिलता।इनका यह भी आरोप है कि अस्पताल को एक दो नर्स एवं कर्मचारियों के हवाले कर रात्रि समय डॉक्टर नदारद हो जाते है।नर्स और कर्मचारी ही डॉक्टर बन पूरी रात कड़ी मशक्कत कर मरीजो की जिंदगी बचाने का अथक प्रयासरत रहते है।इलाजरत लोगो ने बताया कि अधिकांश दवाइयां बाहर से ही मंगवाने पड़ते है।यहां पर दावा की भी अनुपलधता है।बेड की भी घोर कमी। बताया जाता है कि खासी ,सर्दी जुकाम से पीड़ित मरीजों के अलावा अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीज आते है तो उन्हें कोविड का मरीज बताकर इलाज करने से कतराने लगते है।डियूटी में तैनात चिकित्सक से बार बार अनुरोध करने पर कहते है कि मैं शिशु रोग विशेषज्ञ हूं तो कोई बताता है कि मैं दंत चिकित्सक हूं।इन सब का इलाज मेरे बस का नही है।दाट फटकार कर भगा देते है।जिससे समुचित इलाज के अभाव में अधिकांश मरीज अपना दम तोड़ देते है। अस्पताल के एक चिकित्सक का कहना है ऐसे मरीजो का इलाज फिजिशियन डॉक्टर से ही संभव है या फिर विभिन्न रोगों से सबंधित विशेषज्ञ।जिस तरह मरीज यहां पहुच रहे है उनका इलाज केवल फिजिशियन ही कर सकते है।लेकिन सबंधित बीमारी से जुड़े चिकित्सक यहां उपलब्ध नही होने की वजह से हमलोग मजबूरी में देख रहे है।हालांकि परिजनों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों को जमकर कोसते नही थक रहे।फिलहाल कुब्यवस्थाओ के बीच परिजन अपनो की जिंदगी बचाने की जदोजहद कर रहे है।

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