राज्यपाल बोले नेत्रदान से बड़ा कोई दान नहीं।

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रांची:-छोटा काम बड़ा होता है, अगर कोई लंबे समय से अंधेरे में हो और उसे अचानक सबकुछ दिखने लगे, तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता, आज संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस की समस्या से ग्रसित है,हमारा देश और प्रदेश भी इन चुनौतियों का सामना कर रहा है। हमने कई अपने लोगों को खो दिया है। इस बीच जिन्होंने नेत्रदान करने का काम किया है, उससे किसी को नया जीवन मिला है। यह बातें राज्यपाल रमेश बैस ने मंगलवार को रांची स्थित कश्यप मेमोरियल आइ हॉस्पिटल के सभागार में आयोजित आइ डोनेशन अवेयरनेस क्लब के द्वारा 36वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा के अंतर्गत आइ डोनेशन अवेयरनेस कार्यक्रम में कही,राज्यपाल ने आगे कहा कि नेत्रदान के प्रति जागरूकता उतनी नहीं है। लोग भावनाओं में बह जाते हैं, लेकिन अगर भावना से ऊपर उठकर सोचें, तो कितना बड़ा काम हो सकता है।

किसी को आंखें मिल जाएं, इससे बड़ी बात कुछ और हो नहीं सकती। कार्यक्रम में मृत्यु उपरांत अपने परिजनों के नेत्रदान करने वाले 10 परिवारों को राज्यपाल ने सम्मानित किया,मालूम हो कि कश्यप मेमोरियल आइ बैंक द्वारा अभी तक कॉर्निया की बीमारी से ग्रसित 606 मरीजों का नेत्र प्रत्यारोपण किया है। कोरोना काल में 120 लोगों के नेत्र प्रत्यारोपण किए गए। कार्यक्रम में मौजूद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि नेत्रदान एक धार्मिक काम है। जब आत्मा और परमात्मा का मिलन होता है, तभी नेत्रदान जैसे काम होते हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड में करीब डेढ़ करोड़ लोग ऐसे हैं, जो देख नहीं सकते। इनमें से 75 प्रतिशत लोगों को ठीक किया जा सकता है,देश में 109 आइ बैंक हैं, लेकिन आपसी समन्वय नहीं होने के कारण कहीं-कहीं कार्निया रहने के बाद भी हम उसका उपयोग नहीं कर पाते हैं। इसका समुचित उपयोग हो सके, इसके लिए राज्य सरकार कटिबद्ध है और हमलोग केंद्र से सहयोग के लिए भी पत्र लिखेंगे। सबसे कम उम्र (18 दिन) की आइ डोनर अपराजिता की मां का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनसे लोगों में नेत्रदान को लेकर जागरूकता जरूर फैलेगी।

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