आदित्यपुर थाने का मुख्य गेट हुआ बंद, थाना प्रभारी ने रचा इतिहास, नशा और अपराधों पर नकेल कसने के बजाय पत्रकारों पर हो रही है कार्रवाई, 24 घंटे बाद भी थाना प्रभारी आलोक दुबे ने नहीं दिया पाँच सवालों का जवाब…

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आदित्यपुर :- सरायकेला जिले के आदित्यपुर थाना के प्रभारी आलोक दुबे को अब अचानक सुरक्षा का डर सताने लगा है। थाना के मुख्य गेट को बंद कर के वहाँ संतरी को बैठा दिया गया है । कारण पूछने पर आलोक दुबे ने बताया कि सुरक्षा की दृष्टिकोण से ऐसा किया गया है । जिस थाने में आज तक मुख्य गेट कभी बंद नहीं हुआ वहाँ अब हर किसी को गेट पर ही अपना पूरा ब्योरा देकर अंदर जाने की अनुमति दी जाएगी। कुल मिलाकर देखा जाए तो थानेदार आलोक दुबे ने आदित्यपुर के इतिहास को बदलने का काम किया है । लेकिन ऐसा ही काम अगर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए भी करते तो शायद लोगों के नजर में आदित्यपुर का नाम कही और होता। हालांकि पिछले कुछ महीनों में जिस तरह अपराध का ग्राफ बढ़ा है और लोगों में खौफ पैदा हुआ है, हो सकता है कि अब थानेदार आलोक दुबे को भी इसी बात का खौफ हो गया हो कि अपराधी इनके कब्जे से बाहर हो गए है। पिछले दो महीने में चार हत्याओ के बाद आदित्यपुर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे है। साथ ही थाना प्रभारी आलोक दुबे की काबिलियत पर भी सवाल उठने लगे है।

60 के दशक का स्थापित है आदित्यपुर थाना 

जानकारों के अनुसार आदित्यपुर थाना 60 के दशक से ही स्थापित है और आजतक कभी ऐसा नहीं हुआ जब कि थाने का गेट बंद करना पड़ा हो लेकिन अभी गेट बंद करने से लोगों को काफी परेशानी का सामना कर पड़ रहा है। थाना के पास के मार्केट में कई बार अतिक्रमण हटाया गया है लेकिन पैसे और पैरवी के बल पर दुबारा से दुकाने लगने लगती है। पास में स्थित सरकारी अस्पताल में मरीजों को आने जाने में भी काफी परेशानी होती है लेकिन उसका भी ख्याल कभी नहीं आया। अगर कोई घटना या दुर्घटना हो जाए तो थाना से मुख्य रोड तक पुलिस की गाड़ी को आने में भी कम से कम 20-30 मिनट लग जाता है। अब इस हाल में थाने का गेट बंद करने से आने वाले लोग अपनी गाड़ी कहाँ पार्क करेंगें । अगर रोड में करते है तो जाम की स्थिति और बढ़ जाएगी। लेकिन इस बात का ख्याल भी थाना प्रभारी को नहीं है ।

24 घंटे बाद भी सवालों का नहीं मिला जवाब

पत्रकारों के साथ हुए बदसलूकी के बाद न्यूज भारत 20 ने थाना प्रभारी आलोक दुबे से पाँच सवाल पूछा था लेकिन 24 घंटे पूरे होने के बाद भी आलोक दुबे के तरफ से किसी तरह का जवाब नहीं आया है । यहाँ तक कि अब तो आलोक दुबे पत्रकारों से मिलने और बात करने से भी कतराने लगे है । हालांकि अपने चहेते खबरों पर आज भी साहब बड़े खुशमिजाज रहते है।

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