अपने बच्चों के लिए फरिश्ते का इंतजार कर रही है गुमला की इस मां, इलाज के अभाव, खा रहे हैं दर-दर की ठोकरें।

Spread the love

गुमला:-  गुमला के पनसो गांव की उषा देवी को अपने दो बच्चों के इलाज के लिए किसी फरिश्ते का इंतजार है.वह हमेशा मुट्ठी बांधे रहता है. पैर भी अकड़ गया है. वहीं उसकी बेटी अंकिता कुमारी (2) अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाती है. उसके दोनों पैर आग से जल गये थे. उसके पैर का पूरा जख्म ठीक हो गया है, लेकिन वह पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही है.

उषा देवी ने बताया कि उसका पति अशोक महतो शराबी है. उसे बच्चों से कोई लेना-देना नहीं है. वह कोई काम भी नहीं करता है. उषा मजदूरी कर अपना व अपने बच्चों का भरण पोषण करती है. उसने बताया कि बच्चों के इलाज के लिए उसने एक एकड़ खेत को बंधक कर रांची के सूर्या अस्पताल में इलाज कराया. इसके बाद भी दोनों बच्चों की बीमारी ठीक नहीं हुई. उसके बाद बच्चों को रिम्स में भर्ती कराया.

दोनों बच्चों का आधार कार्ड व राशन कार्ड नहीं होने पर रिम्स में हर जगह पैसे की मांग होने पर वह बच्चों को लेकर पुन: वापस अपने गांव पनसो लौट गयी. वर्तमान में उसके दोनों बच्चों का इलाज सदर अस्पताल गुमला में कोरोना पेड्रियाट्रिक वार्ड ( pediatric ward ) के बेड नंबर 9 व 10 में चल रहा है. लेकिन चिकित्सक द्वारा बच्चों की जांच लिखने पर पैसे के अभाव में उनकी जांच नहीं करा पा रही है. अस्पताल से मिलनेवाली दवा के भरोसे है. महिला ने अपने बच्चों के इलाज के लिए गुमला शहर की आम जनता से सहयोग की मांग की है.

गुमला अस्पताल के डीएस डॉक्टर आनंद किशोर उरांव ने कहा कि ब्रेन के नस की शिकायत के कारण ऐसा है. ऐसे बच्चों का न्यूरो, पीड्रियाट्रिक व सर्जरी के चिकित्सकों की संयुक्त टीम ही जांच कर इलाज कर सकती है. इलाज से पूर्व एमआरआइ, सिटी स्कैन और रेडियोलॉजिस्ट की जांच जरूरी है, जो गुमला सदर अस्पताल में उपलब्ध नहीं है. गुमला में चिकित्सक का भी अभाव है, जिसके कारण उसे रिम्स रेफर किया गया. अस्पताल प्रबंधन सहयोग के रूप में सिर्फ उसे रिम्स में भिजवा सकता है. इलाज रिम्स में ही संभव है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *