पारंपरिक आदिवासी विशु शिकार पर्व संपन्न, सेंदरा समिति के निर्णय पर नहीं हुआ किसी जानवर का शिकार

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▪️उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, गज परियोजना की पहल पर दलमा राजा ने कोरोना संक्रमण से सुरक्षा को देखते हुए भीड़ जुटान व सांकेतिक रूप से पर्व मनाने की किया था अपील, पारंपरिक विधि विधान से हुआ वन देवी की पूजा

 

जमशेदपुर :- प्रत्येक वर्ष मनाया जाने वाला पांरपरिक आदिवासी विशु शिकार इस वर्ष भी दिनांक 23.05.2021 एवं 24.05.2021 को मनाया गया। इस वार्षिक अनुष्ठान से जुड़ी हुई भावनाओं को ध्यान में रखते हुए वन विभाग के द्वारा एक सुनियोजित एवं संगठित तरीके से निम्नांकित कदम उठाए गए जिनसे जंगली जानवरों के शिकार पर रोक लगाई जा सके-

उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, गज परियोजना, जमशेदपुर द्वारा दलमा राजा श्री राकेश हेम्ब्रम से सभी स्थानीय लोगों से यह आग्रह करने का अनुरोध किया गया कि इस पारंपरिक पर्व में किसी जंगली जानवर का शिकार न करें। उनके द्वारा भी स्पष्ट आश्वासन दिया गया कि वैश्विक कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुई गंभीर स्थिति के परिपेक्ष्य में इस वर्ष उनके द्वारा भी किसी भी व्यक्ति या दल को इस पर्व में भाग लेने हेतु आमंत्रित नहीं किया जायेगा।

दिनांक 22.05.2021 को दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के दोनों प्रक्षेत्रों के वनरक्षियों द्वारा अपने अपने क्षेत्र में सधन गश्ती की गई। इस गश्ति के दौरान आश्रयणी के विभिन्न नदी नालों एवं जलश्रोतों के आस पास के इलाके पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया क्योंकि इसी इलाके में ही शिकार को फंसाने के लिए जाल फांस लगाने के दृष्टिकोण से अनुकूल होते हैं। वरीय पुलिस अधीक्षक से अनुरोध किया गया था कि विभिन्न संवेदनशील स्थलों जहाँ से विशु पर्व हेतु लोगों के आने की संभवना है उन जगहों पर विशेष चौकसी प्रदान करने का आग्रह किया गया था। गोबिन्दपुर थाना अन्तर्गत गदड़ा-गोविन्दपुर से आने वाले वाहन जिसमें सेंदरा हेतु आने वाले लोगों को रोकना। बोड़ाम थाना अन्तर्गत शशांकडीह गाँव से जंगल में प्रवेश करने वाले लोगों को रोकना। पटमदा थाना अन्तर्गत बेलटाँड़ संवेदनशील ग्राम क्रिटिंग पश्चिम बंगाल से आने वाले लोगों को रोकना तथा पोटका थाना अन्तर्गत हाता, पोटका से सेंदरा हेतु प्रस्थान पर रोक हेतु आग्रह किया गया था।

विशु शिकार के लिए निर्धारित तिथियों के कुछ दिनों पहले से ही विभाग के द्वारा वनों की सुरक्षा एवं उनमें में निवास करने वाले विभिन्न वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु स्थानीय लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए अनेकों बैठक का आयोजन किया गया। विशु शिकार के दौरान प्रायः देखा गया है कि आस पास के जिलें के लोग भी इस पर्व में भाग लेने के लिए आश्रयणी में आते हैं। जंगली जानवरों के शिकार को रोकने के लिए एवं इस पर्व की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन के अन्य उच्च पदाधिकारियों के साथ भी समन्वय स्थापित किया गया। मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी द्वारा अपने स्तर से आरक्षी महानिरीक्षक एवं प्रमंडलीय आयुक्त से संपर्क स्थापित किया गया था तथा वन संरक्षक, वन प्रमण्डल पदाधिकारियों एवं वन क्षेत्र पदाधिकारियों पर गठित गश्ती दलों के कार्यों का समन्वय एवं अनुश्रवण किया गया। जिला स्तर पर एक कार्य उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, गज परियोजना, जमशेदपुर के द्वारा किया गया। विशु शिकार के नियंत्रण हेतु दिनांक 23.05.2021 एवं 24.05.2021 को सधन गश्ति के लिए 10 अलग अलग पथों का चयन किया गया। यह सभी पथ उन क्षेत्रों से होकर गुजरते है जो शिकार के दृष्टिकोण से संवेदनशील माने जाते हैं या फिर वैसे स्थल जहाँ से दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में प्रवेश किया जा सकता है। चूंकि इस कार्य में अत्यधिक मात्रा में बल की आवश्यकता थी इसलिए जमशेदपुर प्रक्षेत्र के विभिन्न प्रमंडलों में पदस्थापित सहायक वन संरक्षक, वनों के क्षेत्र पदाधिकारी, वनपाल एवं वनरक्षियों को शामिल किया गया।

दिनांक 23.05.2021 केा वन चेतना केन्द्र, मानगो में मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी की अध्यक्षता में एक विवरण सत्र का आयोजन किया गया जिसके जमशेदपुर प्रक्षेत्र के सभी पदाधिकारी एवं वनकर्मी उपस्थित हुए। इस सत्र में मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी द्वारा सभी उपस्थित व्यक्तियों को विशु शिकार के विभिन्न पहलुओें से अवगत कराया गया। इस बैठक में उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक के द्वारा विभिन्न गश्ति पथों के बारे में बताया गया तथा सभी उपस्थित वनकर्मियों को विशु शिकार के नियत्रंण के लिए उचित मार्ग दर्शन दिया गया। तदोपरांत सभी दलों के द्वारा अपने अपने निर्धारित गश्ति पथों पर देर रात तक गश्ति की गई। इसके अतिरिक्त आस पास के ग्रामों में जागरूकता फैलाने के लिए संध्या के समय प्रोजेक्टर के माध्यम से लोगों को वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण संबंधी विडियो दिखाया गया। वन एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा एवं महत्व के बारे में ग्रामीणों को प्रेरित किया गया था तथा वन्यप्राणियों की शिकार नहीं करने जिससे कि वन्यप्राणियों के लुप्त होने के बारे में बताया गया था। वन्यप्राणियों से ही प्रकृति का पारिस्थितिकी संतुलन बनाये रखने में महत्वपूर्ण योगदान निभाने का सूचना दी गयी थी। जिसे इस प्रकृति में बाढ़, चक्रवात एवं ज्वालामुखी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है।

 

उप वन संरक्षक द्वारा श्री राकेश हेम्ब्रम, देश प्रधान दलमा बुरू सेंदरा समिति, पूर्वी सिंहभूम, श्री दादा समीर एवं श्री फकीर चन्द्र सोरेन को पत्र के माध्यम से निर्धारित लाॅकडाउन में भीड़ नहीं करने तथा संकेतिक रूप से विशु पर्व मनाने हेतु अनुरोध किया गया था। दलमा राजा राकेश हेब्रम के द्वारा सामाचार पत्र के माध्यम से सूचित किया गया है कि कोरोना महामारी को देखते हुए इस वर्ष दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी में शिकार नहीं करने का निर्णय लिया गया था। विशु पर्व के इतिहास में पहली बार सेंदरा समिति ने शिकार नहीं करने का निर्णय दलमा राजा राकेश हेब्रम के नेतृत्व में दिनांक 21.05.2021 को गदड़ा में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया था। दिनांक 22.05.2021 की शाम दलमा बुरू सेंदरा समिति के सदस्य फदलोगोड़ा में साधारण पूजा-पाठ कर वापस आने घरों की ओर लौट जाने का निर्णय लिया गया था। दिनांक 23.05.2021 दिन रविवार की सुबह फदलोगोड़ा गए जहाँ वनदेवी की पूजा पारम्परिक रिति रिवाज के साथ किया गया।

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