विजय शर्मा के साथ फ़िल्म कलरिस्ट रतन सिल शर्मा एवं फ़िल्म लेखनके लिए स्वर्ण कमल पुरस्कृत रत्नोत्तमा सेनगुप्तास ज्यूरी में शामिल थे। यह ज्यूरी क्रिस्टोफ़र डॉल्टन द्वारा स्थापित फ़िल्म स्टूडियो ‘द हाउस ऑफ़ इल्यूशन्स’ ने बनाई थी। इस संस्था का प्रमुख उद्देश्य सिने-जगत से जुड़ी प्रतिभाओं को सामने लाना और उन्हें अच्छा सिनेमा बनाने केलिए प्रेरित करना है।
समारोह में प्रतियोगिता केलिए जो फ़िल्में आई थीं, उनमें से सर्वोत्तम फ़िल्म, निर्देशक, अभिनेता चुनना ज्यूरी केलिए एक बड़ी चुनौती थी। फ़िल्मों में स्त्रियों का कार्य चकित करने वाला था, जिससे सिनेमा के अच्छे भविष्य की आशा बँधती है। ‘द हाउस ऑफ़ इल्यूशन्स’ की ज्यूरी ने सर्वोत्तम स्त्री निर्देशक का पुरस्कार गैरकानूनी प्रवासी जीवन पर बनी फ़िल्म ‘फ़ूटप्रिंट्स ऑन वाटर’ केलिए नथैलिया स्याम को दिया। इसी फ़िल्म के प्रमुख पात्र के अभिनेता आदिल हुसैन को ‘द फ़िल्म क्रिटिक्स सर्किल ऑफ़ इंडिया’ (विजय शर्मा इस संस्था की भी सदस्य हैं।) ने भी पुरस्कृत किया था साथ ही इसे सर्वोत्तम प्रथम फ़िल्म का सम्मान भी मिला था। सम्मानित ज्यूरी ने डॉक्यूमेंट्री ‘टू किल ए टाइगर’ (निशा पाहुजा) को विशेष रूप से मेंशन किया। साथ ही ‘द हाउस ऑफ़ इल्यूशन्स’ ज्यूरी ने मनोवैज्ञानिक लघु फ़िल्म ‘बैड एग’ की दोहरी भूमिका केलिए अभिनेत्री ज़ोया हुसैन को खासतौर इंगित किया।
यह चौथी बार है जब विजय शर्मा सिने-ज्यूरी में शामिल हुई हैं। इसके पहले वे 5वें चलचित्रम् नेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल एवं न्यू यॉर्क इंडियन फ़िल्म फ़ेस्टिवल,सीआईएफ़एफ़सीवाई फ़िल्म फ़ेस्टिवल की ज्यूरी में रही हैं। 13 वर्षों से साहित्य, सिनेमा, कला संस्था ‘सृजन संवाद’ का संचालन कर रही हैं। सिनेमा पर उनकी दस पुस्तकें प्रकाशित हैं।
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