सरस्वती पूजा को लेकर प्रतिमा बनाने में जुटे मूर्तिकार

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बिक्रमगंज /रोहतास (राजू रंजन दुबे):- वरदायिनी मां सरस्वती की पूजा को लेकर ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में चहल पहल तेज हो गयी है । मूर्तिकार नयनाभिराम मूर्तियों को गढ़ने में अपना श्रेष्ठ भूमिका देने के लिए जी जान से जुट गए हैं । मूर्तियों को नई नई भाव भंगिमाओं के साथ करीने से गढ़ने का कार्य परवान पर है । मिट्टी की जीवंत मूर्तियां तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं । प्रतिमा को चार चरणों मे तैयार किया जाता है । पहले चरण में लकड़ी और पुआल से मूर्तियों का ढांचा तैयार किया जाता है । दूसरे चरण में मिट्टी से मूर्तियों का मॉडल एवं भाव भंगिमा तैयार किया जाता है । तीसरे चरण में रंग रोगन कार्य एवं चौथे चरण में साज सज्जा को अंतिम रूप दिया जाता है । हालांकि मूर्तियों को बनाने और बेचने का कार्य अनुमंडल क्षेत्र के सभी प्रखंडों के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में वर्षों से चल रहा है । लेकिन मौजूदा दौर में मूर्तिकार ज्यादा खुश नजर नहीं आते हैं । क्योंकि इस वक्त सरस्वती पूजा कोरोना काल से होकर गुजर रही है । इसकी वजह जानने के लिए मूर्तिकार ललन पंडित से बात की तो उन्होंने कहा कि पहले जैसी बात अब रही नहीं । क्योंकि इस समय कोरोना जैसी महामारी को लेकर सारा व्यवसाय धीमा पड़ गया है । क्योंकि कोरोना को लेकर सारा स्कूल लंबे दिनों से बंद पड़ा था , जो अब खुला है । जिससे हमलोगों के व्यवसाय में काफी असर पड़ा है । अगले साल की अपेक्षा इन साल लगभग 20 से 25 मूर्तियों को कम बनाया गया है । उन्होंने कहा कि अब तो ज्यादा मेहनत करना पड़ता है पर उस अनुपात में मुनाफा नहीं होता है । कहा कि आजकल लोग स्टाइलस्टि मूर्तियां चाहते हैं । कहा कि ज्यादा मेहनत कर नए अंदाज में मूर्तियां गढ़नी पड़ती हैं । ऊपर से रंग और श्रृंगार प्रसाधनों की बढ़ती कीमत से औसतन कमाई घटी है । मूर्तिकार श्री पंडित ने बताया कि इस बार मेरे यहां मूर्ति की कीमत न्यूनतम 1200 रुपये से लेकर अधिकतम 6000 रुपये तक बनाया गया है । उन्होंने बताया कि मूर्ति के अलावा शादी – विवाह सहित अन्य प्रसाधनों का काम कर लगभग 6 परिवारों का भरण पोषण किसी तरह से चल बन जाता है ।

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