success story – UPSC की तैयारी करने ट्रेन में खड़े होकर पहुंचे थे दिल्ली , यहां आकर उन्होंने एक फ्री कोचिंग का फॉर्म भरा जो यूपीएससी एस्पिरेंट्स को मुफ्त में तैयारी करवाती थी , और तब बने IAS

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एजेंसी :- कहा जाता है कि सफलता पाने का कोई शॉर्टकट नहीं होता है। कड़ी लगन औऱ मेहनत से ही इंसान सफलता का स्वाद चखता है। सफल आईएएस औऱ आईपीएस अफसरों की कई कहानियां हमने आपको बताई हैं। आज बात एक ऐसे ही शख्सियत कि जिन्होंने जिंदगी कि तमाम परेशानियों को मात देकर सफलता का स्वाद चखा। महाराष्ट्र के विदर्भ प्रक्षेत्र के यवतमाल में रहने वाले अजहरुद्दीन काज़ी ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर अपने गरीब पिता का मान बढ़ाया।अजहरुद्दीन काजी के पिता जहीरुद्दीन काज़ी पेशे से टैक्सी ड्राइवर थे। पिताजी की टैक्सी से होने वाली कमाई के जरिए ही अजहरुद्दीन उनकी मां और चार भाइयों की जिंदगी चल रही थी। अजहरुद्दीन अपने चारों भाइयों में सबसे बड़े थे। एक खास बात यह थी कि उनकी मां भी पढ़ाई-लिखाई का शौक रखती थीं। हालांकि कम उम्र में विवाह हो जाने की वजह से वो अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकी थीं। लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को बेहतरीन शिक्षा देने की ठान ली थी। घर में पैसों की कमी जरुर थी लेकिन मां के दिल में बच्चों को पढ़ाने-लिखाने और उन्हें काबिल बनाने की हसरत उससे कहीं बड़ी थी। मां ने चारों बच्चों को दसवीं क्लास तक घर पर ही बढ़ाया। वजह यह थी कि किसी कोचिंग या ट्यूशन के पैसे उनके पास नहीं थे। आगे जाकर अजहरुद्दीन ने कॉमर्स विषय चुना और अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। घर को आर्थिक मदद देने के लिए अजहरुद्दीन ने एक प्राइवेट जॉब भी पकड़ लिया। इस बीच साल 2010 में अजहरुद्दीन ने दिल्ली जाकर यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया। लेकिन अजरुद्दीन के पास इतने पैसे नहीं थे कि दिल्ली जा सके। जैसे-तैसे पैसों का इंतजाम कर उन्होंने ट्रेन का टिकट लिया और ट्रेन में खड़े होकर दिल्ली तक का सफर पूरा किया। यहां आकर उन्होंने एक फ्री कोचिंग का फॉर्म भरा जो यूपीएससी एस्पिरेंट्स को मुफ्त में तैयारी करवाती थी। यहां उनका सेलेक्शन हो गया। हालांकि शुरुआती कुछ प्रयासों में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता नहीं मिलने के बाद उनका चयन एक सरकारी बैंक में पीओ के पद पर हो गया। अच्छी नौकरी मिलने के बाद अजहरुद्दीन के घर की हालत सुधरी। हालांकि अजहरुद्दीन के दिल-ओ-दिमाग से सिविल सेवा की तैयारी करने का धुन अभी खत्म नहीं हुआ था। ब्रांच मैनेजर के पद पर पहुंचने के बाद अजहरुद्दीन ने यह नौकरी छोड़ दी और फिर सिविल सर्विस की तैयारी करने लगे। इसके बाद फिर उन्हें एक बार इस परीक्षा में असफलता हाथ लगी। लेकिन आखिरकार 2019 में उनकी मेहनत रंग लाई और उनका चयन हो गया। अजहरुद्दीन साल 2020 बैच के आईएएस अधिकारी बने और सफलता का स्वाद चखा।

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