टाटा स्टील ने उत्सर्जन कम करने को ब्लास्ट फर्नेस में कोल बेड मीथेन (सीबीएम) के निरंतर इंजेक्शन के लिए ’दुनिया में अपनी तरह का पहला’ परीक्षण शुरू किया

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  • यह प्रक्रिया हाइड्रोजन-आधारित स्टील निर्माण में सक्षम बनने के बड़े प्रयास का एक हिस्सा है और कंपनी के ’शुद्ध शून्य’ (नेट जीरो) उत्सर्जन की दिशा में भी एक अन्यान्य कदम है

 

जमशेदपुर :- सस्टेनेबल स्टील उत्पादन की ओर बढ़ने के अपने निरंतर प्रयासों के तहत टाटा स्टील ने जमशेदपुर वर्क्स के अपने एक ब्लास्ट फर्नेस (ई ब्लास्ट फर्नेस) में कोल बेड मीथेन (सीबीएम) गैस के निरंतर इंजेक्शन के लिए परीक्षण (ट्रायल) शुरू किया है। किसी स्टील कंपनी द्वारा सीबीएम को इंजेक्टेंट के रूप में इस्तेमाल करने का यह दुनिया में पहला उदाहरण है।

इस प्रक्रिया से कोक की दर 10 किग्रा/टीएचएम कम होने की उम्मीद है, जो कच्चे स्टील के 33 किलोग्राम कार्बन डायऑक्साइड कम करने के बराबर होगा। परीक्षण अगले कुछ हफ्तों तक चलेगा। सीबीएम इंजेक्शन की सुविधा के लिए ई-ब्लास्ट फर्नेस में पूरे सिस्टम की टेक्नोलॉजी, डिजाइन और विकास टाटा स्टील की इन-हाउस टीम द्वारा किया गया है।

देबाशीष भट्टाचार्जी, वाइस प्रेसिडेंट, टेक्नोलॉजी ऐंड न्यू मैटेरियल्स बिजनेस, टाटा स्टील ने कहा, “हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन के बारे में बातचीत ने अभूतपूर्व गति प्राप्त की है। इस अनिवार्यता को देखते हुए, स्टील उद्योग को भी अपने पर्यावरण फुटप्रिंट को कम करने के लिए स्थायी विकल्पों का तत्काल पता लगाने की आवश्यकता है, जहां अमूमन पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना कठिन माना जाता है। टाटा स्टील में हम कार्बन-रहित होने की यात्रा पर हैं और यह पहल इस उद्देश्य की दिशा में एक और कदम है। हम सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में परिवर्तन के लिए इनोवेशन और इन्वेस्टमेंट जारी रखेंगे।”

टाटा स्टील आयरन मेकिंग के वाइस प्रेसिडेंट उत्तम सिंह ने कहा, “स्टील को बड़े पैमाने पर डीकार्बोनाइज करने की टेक्नोलॉजियां अभी तैयार नहीं है। टाटा स्टील ने डीकार्बोनाइजेशन के लिए नये और स्केलेबल समाधानों का पता लगाने के लिए पायलट्स और ट्रायल्स समेत कई टेक्नोलॉजी पहल की हैं। ब्लास्ट फर्नेस में सीबीएम इंजेक्शन की यह पहल हमें हाइड्रोजन आधारित इंजेक्टेंट्स के साथ ब्लास्ट फर्नेस के संचालन में उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान करेगी और उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगी। हम 2030 तक कार्बन डायऑक्साइड उत्सर्जन को 1.8 टन कार्बन डायऑक्साइड प्रति टन कच्चे स्टील तक कम करने के मिशन पर हैं।”

यह परीक्षण ब्लास्ट फर्नेस में प्रयुक्त कोक रेट में कमी की मात्रा और उत्पादकता पर इसके प्रभाव को निर्धारित करने में मदद करेगा और हाइड्रोजन आधारित इंजेक्टरों के साथ ब्लास्ट फर्नेस के संचालन के बारे में उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा। इन जानकारियों का उपयोग अधिक हाइड्रोजन युक्त हरित ईंधन के साथ भविष्य में ब्लास्ट फर्नेस के टिकाऊ संचालन के लिए एक रूपरेखा तैयार करने के लिए किया जाएगा।

सीबीएम में भूमिगत कोयला भंडारों से निकाली गई अन्य गैसों की कुछ मात्रा के साथ मुख्य रूप से 98 प्रतिशत मीथेन होता है। भारत सीबीएम के प्रचुर संसाधनों से संपन्न है, जिसका प्रमुख स्रोत देश का पूर्वी क्षेत्र है। यह इंजेक्शन उद्देश्यों के लिए सीबीएम के उपयोग का लाभ उठाने के लिए तार्किक और आर्थिक रूप से एक आशाजनक अवसर प्रदान करता है।

टाटा स्टील प्रक्रिया में सुधार, कुशल कच्चा माल व संसाधन प्रबंधन, बाय-प्रोडक्ट्स का अधिकतम उपयोग, उत्पादों के जीवनचक्र आकलन आदि के माध्यम से उच्चतम पर्यावरणीय प्रदर्शन मानकों को प्राप्त करने के लिए लगातार ब्रेकथ्रू टेक्नोलॉजियों में निवेश कर रही है। सस्टेनेबिलिटी के क्षेत्र में नेतृत्व करते हुए कंपनी ने हरियाणा में भारत का पहला स्टील रिसाइक्लिंग प्लांट आरंभ किया, तैयार स्टील के परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग शुरू किया और जमशेदपुर में ब्लास्ट फर्नेस गैस से सीओ2 कैप्चर के लिए भारत का पहला प्लांट स्थापित किया।

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