सृजन-संवाद की 116वीं गोष्ठी विश्व साहित्य पर रही केंद्रित, जमशेदपुर तथा मुंबई से वक्ताओ ने रखी अपनी बात

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जमशेदपुर :- साहित्य-सिने-कला संस्था सृजनसंवाद की 12वें वर्ष की तीसरी गोष्ठी यानि इसकी 116वीं गोष्ठी ‘विश्व साहित्य’ पर केंद्रित रही। जमशेदपुर तथा मुंबई से वक्ताओं ने अपनी बात रखी।

डॉ. विजय शर्मा ने वक्ताओं, टिप्पणीकारोंश्रोताओं-दर्शकों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि सृजन संवाद‘ ने साहित्य, सिनेमा तथा विभिन्न कलाओं पर कार्यक्रम प्रत्येक माह गोष्ठी करते हुए 11 वर्षों की सफ़ल यात्रा सम्पन्न की है। इसने अपनी पहचान एक गंभीर मंच के रूप में स्थापित की है। 12वें वर्ष की तीसरी गोष्ठी यानि इसकी 116वीं गोष्ठी में जमशेदपुर से साहित्य प्रेमी डॉ. ऋतु शुक्ला तथा मुंबई से प्रसिद्ध कहानीकार-जीवनीकार ओमा शर्मा वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।

सर्वप्रथम डॉ. ऋतु शुक्ला ने जापानी उपन्यासकार तोसीकाजू कावागूची का परिचय दिया। उन्होंने अपनी बात कावागूची के उपन्यास ‘बिफ़ोर द कॉफ़ी गेट्स कोल्ड’ केंद्रित की। उपन्यास के पात्रों का परिचय कराते हुए बताया कि इस उपन्यास में टाइम ट्रेवल की बात आती है। यह एक अनोखे कॉफ़ी कैफ़े की कहानी है, जहाँ कुछ शर्तों के साथ अतीत या भविष्य में जाकर अपनी गलतियों को सुधारा जा सकता है। उन्होंने किताब इंग्लिश अनुवाद में पढ़ी है और कहानी एवं पात्रों के विषय में विस्तार से बताया। यह रोचक किताब कई लोगों के अनुभव को बताती है। पूरा उपन्यास जापानी संस्कृति में रचा-बसा है।

दूसरे वक्ता प्रसिद्ध कहानीकार तथा जीवनीकार ओमा शर्मा ने जर्मन रचनाकार स्टीफ़न स्वाइग की जीवनी ‘वो गुजरा जमाना’ लिख कर इस लेखक को हिन्दी में प्रस्तुत किया है। ओमा शर्मा ने स्टीफ़न स्वाइग पर त्रयी रची है। ‘वो गुजरा जमाना’ के अलावा ‘स्टीफ़न स्वाइग की कालजयी कहानियाँ एवं ‘अंतरयात्राएँ वाया वियेना’ इस त्रयी की अन्य दो किताबें हैं। अपनी वार्ता में स्वाइग के मार्फ़त ओमा शर्मा ने विश्व साहित्य पर बात की। बताया कि एक जीवनीकार उस पूरे कालखंड को पकड़ता है। जीवनी या आत्मकथा अपने समय का दस्तावेज होती है। इस रोचक वार्ता को सबने बहुत ध्यान से सुना और कई सकारात्मक टिप्पणियाँ कीं।

इस अवसर पर महान रचनाकार गेटे तथा अनोखे संपादक राजेंद्र यादव को स्मरण किया गया। डॉ. इलाभूषण जैन ने पूरे कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग की तथा परमानंद रमण ने इस कार्यक्रम का सुंदर पोस्टर बनाया। शिक्षाविद डॉ. नेहा तिवारी ने वक्तव्यों का सार बताते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया। डॉ. विजय शर्मा ने वक्तव्यों पर टिप्पणी करते हुए कार्यक्रम का संचालन किया। इस वर्चुअल गोष्ठी में जमशेदपुर से गीता दुबे,डॉ. नेहा तिवारी, डॉ. बीनू कुमारी, डीएनएस आनंद, डॉ. याहिया इब्राहिम, नागपुर से कहानीकार जयशंकर, कला जोशी, राँची से डॉ. कनक ऋद्धि, मनोरंजन सिन्हा, दिल्ली से डॉ. इलाभूषण जैन, प्रेमपाल शर्मा, डॉ. राकेश कुमार, पुणे से फ़िल्म इतिहासकार मनमोहन चड्ढ़ा, मुंबई से कहानीकार ओमा शर्मा, राजेश ऋतुपर्ण, राजेश जोशी, प्रदीप सक्सेना, प्रकाश कांत, रक्षा गीता, प्रिया जैन, प्रेरणा तिवारी, रानु भोगल, संगीता भुसारी, कमलेश पाण्डेय, पुष्प कुमार, देवास से हरि जोशी, वर्धा से डॉ अमरेंद्र कुमार शर्मा, अहमदाबाद से राजेंद्र जोशी, लखनऊ से डॉ. मंजुला मुरारी, डॉ. राकेश पांडेय, गोमिया से डॉ. प्रमोद कुमार बर्णवाल, बैंगलोर से पत्रकार अनघा, गुजरात से उमा सिंह ‘किसलय’, बनारस से नाटककार जयदेव, राँची से वैभवमणि त्रिपाठी, डॉ. क्षमा त्रिपाठी आदि बहुत सारे दर्शक जुड़े, उन्होंने इसे देखा, सराहा तथा इस पर टिप्पणियाँ कीं। इस दौरान यह भी तय हुआ कि  ‘सृजन संवाद’ की सितम्बर माह की गोष्ठी डॉक्यूमेंट्री पर आयोजित की जाएगी । 

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