

न्यूजभारत20 डेस्क:- जनगणना आयोग ने देश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण सिफारिश की है। आयोग ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा को वर्तमान 32% से बढ़ाकर 51% किया जाए। यह सिफारिश हाल ही में हुई जातिगत जनगणना और उससे जुड़े आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर दी गई है। आयोग के अनुसार, हालिया जनगणना में यह स्पष्ट रूप से सामने आया है कि ओबीसी वर्ग की आबादी देश में काफी अधिक है, और वर्तमान आरक्षण सीमा उनके सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए पर्याप्त नहीं है। आयोग का मानना है कि इस वर्ग को और अधिक अवसर उपलब्ध कराना सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

ओबीसी की जनसंख्या हिस्सेदारी: रिपोर्ट में कहा गया है कि ओबीसी वर्ग की कुल जनसंख्या देश की कुल आबादी का बड़ा हिस्सा है।
सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन: ओबीसी वर्ग अभी भी शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं में पीछे है।
आरक्षण सीमा बढ़ाने की जरूरत: आयोग ने यह तर्क दिया कि यदि आरक्षण सीमा नहीं बढ़ाई गई, तो ओबीसी वर्ग को मुख्यधारा में लाना मुश्किल होगा।
संविधानिक दायरे में प्रस्ताव: आयोग का कहना है कि यह प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के अंतर्गत आता है, जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को विशेष सुविधा देने की अनुमति देता है।
इस सिफारिश के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कुछ दलों ने इसका स्वागत किया है, जबकि कुछ विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि यह आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया कदम हो सकता है। अब केंद्र सरकार इस सिफारिश का अध्ययन कर रही है और इस पर कानूनी राय भी ली जा रही है। यदि सरकार इस प्रस्ताव को स्वीकार करती है, तो संसद में एक विधेयक लाकर संविधान संशोधन किया जा सकता है, ताकि ओबीसी आरक्षण को 51% तक बढ़ाया जा सके।