पैरोकार का आठवाँ स्थापना दिवस सह प्रेमचंद जयंती सम्मानपूर्वक मनाई गई

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जमशेदपुर :- शंकोसाई रोड नं. 5 स्थित  जमशेदपुर आई.टी.आई. में  पैरोकार संस्था का आठवाँ स्थापना दिवस सह प्रेमचंद जयंती सम्मानपूर्वक मनाई गई । कार्यक्रम की शुरूआत प्रेमचंद की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर की गई । उसके बाद वक्ताओं ने प्रेमचंद के साहित्य और समाज में उसकी प्रासंगिकता पर चर्चा की ।

तरुण कुमार ने कहा कि आज समाज में साहित्य पढ़ने की प्रवृत्ति घटती जा रही है । मगर प्रेमचंद के साहित्य में अभी भी वह बात है जो पढ़ने के लिए प्रेरित करती है ।

तत्पश्चात शांति महंति ने आज की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज जब हमारा समाज तरह – तरह की समस्याओं से त्रस्त है, जब युवा आत्महत्या करने की सोच रहा है तब प्रेमचंद का साहित्य ही हमें रास्ता दिखा सकता है इसलिए प्रेमचंद के साहित्य को पढ़ना बहुत ज़रूरी है । अमित राय ने बताया कि जब भी समाज में बदलाव आया है , समाज के सबसे आदर्शवान व्यक्तियों ने ही  वह बदलाव लाया । देशबंधु चित्तरंजन दास, भगत सिंह, प्रेमचंद आदि उच्च चरित्र के अधिकारी थे । वे उच्च आदर्शों से लैस व्यक्तित्व थे । इसलिए जब भी किसी समाज को बदलना होता है उसका अध्ययन करना पड़ता है और वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करना पड़ता है । प्रेमचंद का साहित्य हमें समाज को अध्ययन करने में मदद करता है ।

कार्यक्रम की  अध्यक्षता करते हुए संस्था के अध्यक्ष गोपाल कुमार ने बताया कि प्रेमचंद  का गाँव अभी भी मौजूद है । ‘सवा सेर गेहूँ’ का मजबूर ग्रामीण आज भी हमारे आस – पास दिख जाता है । साहित्यकार एक आम आदमी नहीं होता । वह काफी आगे का समाज और आनेवाली समस्याओं को ठीक उसी तरह देख पाता है जिस तरह चील आसमान में उड़ती हुई ज़मीन में क्या है यह देख लेती है । इसलिए प्रेमचंद का साहित्य प्रासंगिक है क्योंकि प्रेमचंद ने अपने समय से बहुत आगे की आनेवाली समस्याओं को देखा, महसूस किया और बहुत पहले ही समाज को चेताया ।

धन्यवाद ज्ञापन संस्था के सचिव कांति महंति ने किया ।

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