

न्यूजभारत20 डेस्क:- देश भर में मंदिरों, मठों और अन्य धार्मिक संस्थाओं की संपत्तियों को लेकर अब एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा होता दिखाई दे रहा है। हाल ही में सामने आए कुछ सरकारी दस्तावेजों और नीतिगत घोषणाओं से यह संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा (BJP) सरकार की नजर अब हिंदू, जैन और बौद्ध मंदिरों की जमीनों पर है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकारें उन धार्मिक संस्थानों की संपत्तियों का सर्वेक्षण कर रही हैं जिनके पास बड़े भूभाग हैं। इसका उद्देश्य कथित तौर पर “अनुपयोगी” पड़ी जमीनों का पुनर्विकास करना और सार्वजनिक हित में इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। हालांकि, कई धार्मिक संगठनों ने इस कदम को उनकी धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति अधिकारों पर हमला बताया है। हिंदू मंदिर ट्रस्टों, जैन समाज और बौद्ध संघों ने सरकार के इस कदम का विरोध करना शुरू कर दिया है।

उनका कहना है कि ये संपत्तियां सदियों से धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए प्रयोग होती आ रही हैं और सरकार का इस तरह हस्तक्षेप करना अस्वीकार्य है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “भाजपा एक तरफ तो मंदिरों की राजनीति करती है, और दूसरी तरफ उन्हीं मंदिरों की संपत्तियों पर कब्ज़ा करना चाहती है। ये दोहरा चरित्र देश देख रहा है।” भाजपा नेताओं का कहना है कि सरकार केवल उन जमीनों की जांच कर रही है जो या तो वर्षों से अनुपयोगी पड़ी हैं या जिन पर विवाद है। उनका दावा है कि इसका उद्देश्य अवैध कब्जों को हटाना और ज़मीन का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है। कई संवैधानिक विशेषज्ञों ने भी सवाल उठाया है कि क्या यह कदम अनुच्छेद 25 और 26 के तहत दिए गए धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है। संविधान धार्मिक संस्थाओं को अपनी संपत्ति रखने और प्रबंधित करने का अधिकार देता है, जिसे बिना पर्याप्त कानूनी प्रक्रिया के छीना नहीं जा सकता।