

दिल्ली :- .दक्षिणी दिल्ली के युवा छात्र आर्यन गुलाटी ने कोरोना संक्रमण की पहचान करने वाला ऐप बनाकर अपनी नई पहचान बनाई है। आर्यन ने अपने वेब आधारित एप्लीकेशन लंगएआइ को साल 2020 में आत्मनिर्भर भारत आइडियाथान प्रतियोगिता में प्रस्तुत किया था, जिसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय (human resource development ministry) ने चयनित भी किया था। इनके आवेदन को स्थायी वातावरण की श्रेणी में प्रमुखता से जगह मिली है। गुलाटी दिल्ली पब्लिक स्कूल, आरके पुरम के छात्र हैं। वह इस समय भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research) के साथ अपने इस एप्लीकेशन को आगे के परीक्षण के लिए मान्य कराने पर चर्चा कर रहे हैं। यह एप्लीकेशन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित है और इसका एक्यूरेसी रेट 90 फीसद तक है। यह एप्लीकेशन तीन से पांच सेकेंड में कोविड की पहचान कर सकता है।

16 बीमारियों की पहचान करने में सहायक
यह फेफड़े के कैंसर के साथ फेफड़े से जुड़ी 16 बीमारियों की पहचान कर सकता है। आर्यन ने बताया कि जब कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाए तो फेफड़ों के तरल पदार्थ में आए बदलाव के विषय में जांच करके हम कोरोना संक्रमण का ज्यादा आसानी से पता लगा सकते हैं। इस तकनीक की मदद से अस्पतालों में भी टेस्टिंग की जा सकेगी। इसके लिए किसी विशेष लैब की जरूरत नहीं होगी, बस उस मरीज के एक्सरे की आवश्यकता होगी।
आटोमेटिक मैसेजिंग सिस्टम का भी इस्तेमाल
आर्यन की ओर से बनाया गया यह एप्लीकेशन शरीर के अंदर हो रहे बदलाव की जांच करता है और इस बात को देखता है कि कितने फैक्टर कोविड के लक्षणों से मिलते हैं। इसके अलावा एप्लीकेशन में आटोमेटिक मैसे¨जग सिस्टम का भी इस्तेमाल किया गया है। यह एक बार में एक से ज्यादा अस्पतालों और डाक्टरों को रिपोर्ट भेज सकता है। आर्यन ने बताया कि उन्हें विश्व की नंबर दो विश्वविद्यालय स्टैनफोर्ड में प्रवेश मिला है। वह आने वाले सितंबर से विश्वविद्यालय में तकनीकी की पढ़ाई के लिए जाएंगे।

Reporter @ News Bharat 20