सरकार की घोषणा के बावजूद सभी ट्रांसजेंडरों तक नहीं पहुंंचा पेंशन

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न्यूजभारत20 डेस्क,जमशेदपुर:- सरकार ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड का जल्द करे गठन, उत्थान सीबीओ संस्था के बैनर तले एकत्रित ट्रांसजेंडरों ने की मांग, हक की आवाज बुलंद करने को कम्युनिटी एडवाइजरी बोर्ड का हुआ गठन। भले ही नालसा जजमेंट को दस साल हो गए और ट्रांसजेंडर एक्ट 2019को आए पांच साल, लेकिन झारखंड में अब तक ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड का गठन सरकार ने नहीं किया। यहां तक कि कुुछ महीना पूर्व झारखंड सरकार ने ट्रांसजेंडरों के लिए एक हजार प्रतिमाह पेंशन देने की घोषणा की थी, लेकिन उत्थान सीबीओ संस्था से मिली जानकारी के अनुसार जमशेदपुर और अन्य जगहों में आईडेंंइटी कार्ड न बनने और अन्य कई कारणों की वजह से अब तक यह सुविधा ट्रांसजेंडरों तक नहीं पहुंची है। आज इन्हीं मुद्दों को लेकर उत्थान सीबीओ संस्था की तरफ से बिष्टुपुर होटल सेंटर प्वाइंट लेमन ट्री में एक कार्यक्रम का आयोजन कर संस्था के एडवाइजरी बोर्ड का गठन हुआ। इस बोर्ड में शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं, नेताओं, पत्रकारों व अन्य को शामिल किया गया। एडवाइजरी बोर्ड में इनको शामिल किया गया। इंटक नेता राकेश्वर पाण्डेय, सामाजिक कार्यकर्ता पूर्वी घोष,कांग्रेस नेता सह मानवाधिकार संगठन से जुड़ी उषा सिंह, अनीता सिंह, टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष टुन्नू चौधरी।

शिक्षाविद डाॅ मंजू सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता, उत्थान सीबीओ की सचिव अमरजीत, फ्रांसिस, निकी और अन्य ट्रांसजेंडर सदस्य, रिनपास की एसोसिएट प्रोफेसर सह एचओडी डाॅ मनीषा और उनकी सहयोगी संगीता, रांंची के एडवोकेट सोनल तिवारी व अन्य।

उससे पहले कार्यक्रम में एडवोकेट सोनल तिवारी ने नालसा जजमेंट 2014 और ट्रांसजेंडर एक्ट 2019की बारीकियों को समझाया। उन्होंने बताया कि नालसा जजमेंट में यह साफ था कि खुद ही लिंग पहचान करनी है और थर्ड जेंडर की मान्यता मिली, दूसरी तरफ ट्रांसजेंडर एक्ट 2019 में आईडेंटिटी कार्ड हेतु डीएम को ट्रांसजेंडर के सत्यापन और सर्टिफिकेट देने का पावर दिया गया, जिसको लेकर विवाद और विरोध है। अधिकांश ट्रांसजेंडरों को मेडिकल चेक अप के लिए कहा जाता है जो नालसा जजमेंट के विपरीत है। सोनल तिवारी ने बताया कि उन्होंने ट्रांस कलेक्टिव के साथ मिलकर इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल किया है। वहीं एडवोकेट सोनल तिवारी ने आगे बताया कि ट्रांसजेंडर को लेकर उनकी हाई कोर्ट में चल रहे संघर्ष के फलस्वरूप(झारखंड ट्रांस कलेक्टिव वर्सेस स्टेट ऑफ झारखंड केस)

जल्द से जल्द सरकार को ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड बनाने का हाई कोर्ट ने आदेश दिया है, फिर भी सरकार उस दिशा में उदासीन दिख रही है। सोनल ने बताया कि ट्रांसजेंडर एक्ट 2019 ट्रांसजेंडरों के अधिकार और कल्याण के लिए अस्तित्व में आया है। उन्होंने इस संबंध में जागरुक करते हुए बताया कि एक्ट के तहत प्रत्येक प्रतिष्ठान को ट्रांसजेंडर के लिए अलग से ग्रीवांस सेल बनाना है। ट्रांसजेंडर बच्चे सामान्य स्कूलों में अन्य बच्चों के साथ पढें और उनके कोई परेशान न करे, यह व्यवस्था करनी है। शिक्षा और नौकरी में समान अवसर मिले और किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो। ट्रांसजेंडर होने की वजह से न तो कहीं जाने से रोका जा सकता है और न ही कोई भेदभाव किया जा सकता है।

अब तक 15 राज्यों में बन चुका है वेलफेयर बोर्ड, तमिलनाडु का वेबसाइट बना उदाहरण 

सोनल ने बताया कि अब तक 15 राज्यों में सरकारों की तरफ से ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड बनाया जा चुका है। वहीं तमिलनाडु में न सिर्फ बोर्ड बना है,बल्कि उसका वेबसाइट सभी ट्रांसजेंडरों को एक प्लेटफॉर्म पर लाने में अहम भूमिका निभा रहा है। इनके वेबसाइट पर आधार से ही ट्रांसजेंडर अपना रजिस्ट्रेशन करा पाते हैं और इनको आइडेंटिटी कार्ड मिल जाता है। दूसरी तरफ झारखंड में आईडेंटिटी कार्ड की प्रक्रिया सरल नहीं है और आई कार्ड न होने से ट्रांसजेंडरों तक सरकारी सुविधाएं भी नहीं पहुंच पा रही हैं। यहां तक कि पेंशन की सुविधा भी घोषणा मात्र बनकर रह गई है। सोनल ने बताया कि सरकार ने पेंशन के संबंध में जो कोर्ट को जानकारी दी है, उस हिसाब से चतरा में चार ट्रांसजेंडरों को पेंशन मिल रहा है,वहीं जमशेदपुर में पेंशन के लिए 12 आवेदन प्राप्त हुए हैं।

उत्थान सीबीओ की सचिव अमरजीत ने कहा कि घर से ही दुत्कार की शुरुआत हो जाती है जब किसी ट्रांसजेंडर बच्चे को घर से निकाल दिया जाता है। कोई आश्रय न मिलने पर वह गुरु के पास जाता है और कई बच्चों को सेक्स वर्कर बनना पड़ता है। जब माता-पिता ही साथ नहीं देते तो समाज से कैसी उम्मीद?

कार्यक्रम में इंटक नेता राकेश्वर पाण्डेय ने कहा कि जितनी जागरुकता फैलेगी उतना ही अभियान तेज होगा और तब ट्रांसजेंडर के विषय पर बढिया पहल होगी। वहीं टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष टुन्नू चौधरी ने कहा कि एडवाइजरी बोर्ड बनना सुखद है। उन्होंने बताया कि टाटा स्टील ने कैसे ट्रांसजेंडरों को नौकरी दी है और अब तो वर्क्स में ‘ट्रांस’ लिखना भी बंद हो गया है, अब सब वर्कमैन हैं। उषा सिंह, पूर्वी घोष और अनीता सिंह ने अपने संबोधन में ट्रांसजेंडर के प्रति संवेदनशीलता अपनाने पर जोर देते हुए ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाने की बात कही। वहीं वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता ने बताया कि कैसे ट्रांसजेंडरों के लिए वे स्वयं और अन्य मीडियाकर्मियों ने हमेशा आवाज उठाई और ट्रांसजेंडर समुदाय को न्यूज में हमेशा प्राथमिकता दी।अन्नी ने इस बात पर दुख प्रकट किया कि झारखंड में ट्रांसजेंडर के मुद्दे पर विधायक और सांसद उदासीन हैं और उनको जगाने की जरुरत है।

कार्यक्रम में एक पूरा सेशन ट्रांसजेंडरों के मेंटल हेल्थ को समर्पित रहा। इसके लिए खास तौर पर रिनपास की एचओडी सह एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ मनीषा और उनकी सहयोगी संगीता जमशेदपुर पहुंची, जहां उन्होंने उपरोक्त सेशन को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि बचपन से परेशानियां, अपमान, नजरअंदाज झेलते- झेलते ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग विभिन्न प्रकार की मानसिक परेशानियों से जूझने लगते हैं। लेकिन काउंसिलर की सलाह से सब ठीक हो जाता है। वहीं चाईबासा की ट्रांसजेंडर कमली ने बताया कि पहले से ही ट्रांसजेंडर समुदाय का होने की वजह से समाज के ताने वे सहते हैं, उस पर मेंटल हेल्थ से संबंधित किसी समस्या के आने पर वह ताना और न बढ़ जाए, इसलिए ज्यादातर ट्रांसजेंडर उसे छुपाते हैं। वे मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक के पास जाने से बचते हैं।

कार्यक्रम में एडवाजरी बोर्ड के गठन के बाद तय हुआ कि अलग अलग कुछ कमेटियां बनेंंगी जो सांसद, विधायकों और डीसी से मिलकर ट्रांसजेंडरों के लिए जिला स्तर पर सरकारी योजनाओं से जोड़ने और सरकार द्वारा घोषित पेंशन उन तक पहुंचाने की मांग करेंगी। वहीं एक कमेटी इस संबंध में पत्राचार के कार्य में सहयोग करेगी।

अंत में अमरजीत ने सबका धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में रजिया किन्नर, डाॅली किन्नर और अन्य शामिल हुए।

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