Dholkal Ganesh mandir: प्रथम पूज्य गणपती बप्पा को कई नामों से जाना जाता है जिसमें एकदंत बप्पा का काफी प्रसिद्ध नाम है. छत्तीसगढ़ में कई सारे प्राचीन मंदिर एवं प्रतिमाएं है जो विश्व भर में प्रसिद्ध हैं साथ ही कई सारे मंदिर, स्थल है जो पौराणिक कथाओं से संबंधित है, उन्हीं में से एक है ढोलकल गणेश मंदिर. छत्तीसगढ़ के नक्सल इलाके दंतेवाड़ा में एक पहाड़ी पर विराजमान बप्पा की महिमा पूरे देश में फैली हुई है. लोगों का मानना है कि ढोलकल पहाड़ी पर मौजूद गणेश भगवान की ये प्रतिमा 1100 साल पुरानी है.
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मान्यताओं की मानें तो यहां पर परशुराम और गणपति में युद्ध हुआ था. उस युद्ध में गणेश जी का एक दांत टूट गया था, जिसके कारण बप्पा एकदंत कहलाए. परशुराम के फरसे से गजानन का दांत टूटा, इसलिए पहाड़ी के शिखर के नीचे के गांव का नाम फरसपाल रखा गया. इतना ही नहीं कई लोगों का मानना है कि गणपति की प्रतिमा ढोलक के आकार की तरह दिखती है, जिस कारण से इस पहाड़ी का नाम ढोलकल पड़ा. ढोलकर मंदिर में सालभर भक्तों का मेला लगा रहता है. इस मंदिर में फरवरी महीने में एक मेले का आयोजन भी किया जाता है. दक्षिण बस्तर के भोगामी आदिवासी परिवार अपनी उत्पत्ति ढोलकट्टा (ढोलकल) की महिला पुजारी से मानते हैं. इस घटना की याद में ही छिंदक नागवंशी राजाओं ने शिखर पर गणेश की प्रतिमा स्थापित की. पुरातत्व विभाग के अनुसार, ढोलकल गणेश प्रतिमा 11वीं शताब्दी की बताई जाती है.
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Reporter @ News Bharat 20