लोवलिना बोरगोपैन ने भारत के लिए एक और मेडल लाना पक्का हो गया, देशवासियों और खेले प्रेमियों में जगी उम्मीद सबने कहा जमके खेलो.

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टोक्यो ओलिंपिक (जापान): ओलंपिक खेलों में भारत का एक और मेडल पक्का हो गया है. भारतीय महिला मुक्केबाज लोवलिना बोरगोपैन ने जारी तोक्यो ओलंपिक खेलों में इतिहास रचते हुए मुक्केबाजी में शुक्रवार सुबह भारत के लिए पदक सुनिश्चत कर दिया. इसका मतलब कांस्य पदक आना पक्का हो गया. अब देखना यह है कि लोवलिना इस पदक को स्वर्ण या रजत में तब्दील कर पाती हैं या नहीं.

लोवलिना ने 69 किग्रा भार वर्ग में चीनी प्रतिद्वंद्वी चेन को 4-1 से हराकर अंतिम चार में जगह बनायी.निश्चित ही, लोवलिना से देश में आगे उम्मीदें और भरोसा बहुत ही ज्यादा बाढ़ गया है क्योंकि इस भारतीय बॉक्सर ने उस चीनी निएन-चिन को मात दी, जिन्होंने साल 2018 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण और एशियन चैंपियनशिप 2019 में रजत पदक जीता था.

लोविलना ने यह पदक कुछ दिन पहले मीराबाई चानू के रजत जीतने के बाद सुनिश्चित किया, जब चानू ने वेटलिफ्टिंग के 49 किग्रा भार वर्ग में रजत पदक जीता था. इसके बाद शूटरों और तीरंदाजों ने देश को खासा निराशा किया. और सौरभ चौधरी और मनु भाकर के प्रदर्शन से खेलप्रेमियों में निराशा का माहौल हो चला था, लेकिन शुक्रवार सुबह लोवलिना ने अपने मुक्के के प्रहारों का एहसास कराते हुए भारतीय खेमे और देशवासियों कहा में जगी उम्मीद सबने कहा जमके खेलो लोवलिना .

 लवलीना के लिए ओलंपिक तक का सफर आसान नहीं रहा. वो भी छोटे शहरों और गांवों से आने वाले खिलाड़ियों की तरह आर्थिक तंगी का सामना और सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए यहां तक पहुंचीं है. लवलीना का जन्म असम के गोलाघाट जिले में 2 अक्टूबर 1997 को हुआ था. उनके पिता टिकेन छोटे से व्यापारी थे और अपनी बेटी के शौक को सपने को पूरा करने के लिए उन्हें काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा. लवलीना की दो बड़ी जुड़वां बहनें लिचा और लीमा हैं. दोनों किकबॉक्सिंग खेलती थीं. उन्हें देखते हुए ही लवलीना ने भी इस खेल में हाथ आजमाने शुरू किए. दोनों बहनें तो किकबॉक्सिंग की नेशनल चैम्पियन बनीं.

लवलीना के बॉक्सिंग में आने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. पिता एक दिन अखबार में लपेट कर मिठाई लाए थे. उस अखबार में दिग्गज मुक्केबाज मोहम्मद अली की एक तस्वीर थी. इसके बाद बेटी ने पिता से मुक्केबाज के बारे में पूछा. पिता ने लवलीना को मोहम्मद अली के फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी सुनाई. इसके बाद लवलीना की पूरी जिंदगी बदल गई और किकबॉक्सिंग छोड़ उनके मुक्केबाज बनने का सफऱ शुरू हुआ.

 

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