जमशेदपुर / आदित्यपुर :- एनआईटी जमशेदपुर के रजिस्ट्रार एक बार फिर से चर्चा में है। मामला है उनकी नौकरी का। जानकारी के मुताबिक रजिस्ट्रार कर्नल एन के रॉय पूर्व में मिथिला यूनिवर्सिटी स बर्खास्त किए जा चुके है बावजूद उसके एनआईटी जैसे राष्ट्रीय संस्थान में पैसे और पहुँच के बल पर अपने टर्मनैशन की बात को छुपाते हुए कार्यरत है। शिकायतकर्ता संतोष मंडल ने बताया कि 63वीं बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक के के अनुसार, दो सदस्यीय जांच समिति, जिसमें प्रो. टी.एन. सिंह, निदेशक, आईआईटी पटना और सदस्य, बीओजी, एनआईटी जमशेदपुर और श्री एन.एस. बिष्ट, उप सचिव, एमओई, नई दिल्ली शामिल थे, ने 08.7.2024 को संस्थान का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने डॉ. एन.के. राय की नियुक्ति और निधियों के दुरुपयोग, धोखाधड़ी, गबन और निर्माण परियोजनाओं में अनियमितताओं सहित विभिन्न शिकायतों की जांच की। इसके परिणामस्वरूप; डॉ. एन.के. राय, वर्तमान रजिस्ट्रार, एनआईटी जमशेदपुर को 05.7.2024 अपराह्न को रजिस्ट्रार के प्रभार से मुक्त किया गया, जो की सप्ताह के अंतिम कार्य दिवस शुक्रवार की समाप्ति का समय था, और उन्हें पुनः 9.7.2024 को पुर्वाह्न रजिस्ट्रार का कार्यभार संभालने की अनुमति दी गई, जो मंगलवार था। इसलिए यह स्पष्ट है कि केवल जांच के दिन 08.7.2024 को सिर्फ़ एक कार्य दिवस के लिए रजिस्ट्रार के पद से मुक्त किया गया था। यह पूरी प्रक्रिया एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा था जो कि निदेशक प्रो. (डॉ.) गौतम सुत्रधार की मिली भगत से लीपा पोती करने का प्रयास किया गया। जांच के दिन, जांच समिति ने केवल डॉ. एन.के. राय को कई घंटों के लिए उपस्थित रहने की अनुमति दी, वह भी निदेशक की उपस्थिति में।
शिकायतकर्ता संतोष मंडल ने समिति के समक्ष अपने तथ्यों एवं साक्ष्यों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया लेकिन जाँच समिति द्वारा इसकी अनुमति नही दी गई। मैंने जब मोबाइल पर उनसे संपर्क करके अपनी बात रखनी चाही तो उन्होंने मुझे धमकाते हुए कहा कि “NIT जमशेदपुर में और किसी शिक्षकों के विरुद्ध क्यों नहीं करते हो, केवल रजिस्ट्रार के पीछे पड़े रहते हो। मैं तुम्हारी शिकायत भाजपा के उच्च अधिकारी से करुंगा। मैं यहाँ Director रहता तो सभी फर्जी शिक्षक एवं तुमको भी सबक सिखा देता”। यहां तक कि तत्कालीन मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ), डॉ. हीरालाल यादव, जिन्होंने पहले मामले की गहन जांच की थी और बीओजी के अध्यक्ष एवं संस्थान के निदेशक प्रो (डॉ.) गौतम सुत्रधार को इस सम्बंध में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, को भी पूरी जांच प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया। इसके बजाय, (डॉ.) एन.के. राय के अपने ही जाति के जूनियर स्टाफ, श्री सुमित कुमार पांडे, जो क़ि स्थापना अनुभाग में कार्यरत हैं, को सीवीओ और सभी वरिष्ठ अधिकारियों को दरकिनार करके प्रस्तुत अधिकारी नियुक्त किया गया। स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के नियमों के अनुसार, डॉ.एन.के. राय को बीओजी के निर्णय के तुरंत बाद रजिस्ट्रार के पद से हटा दिया जाना चाहिए था ताकि कोई भी साक्ष्य डॉ. एन.के. राय द्वारा प्रभावित या बदला न जा सके, क्योंकि रजिस्ट्रार के रूप में वे सभी रिकॉर्ड और कार्यालय के संरक्षक हैं, लेकिन इसके बजाय उन्हें निदेशक प्रो. (डॉ.) गौतम सुत्रधार द्वारा ऐसा करने का पूरा मौका दिया गया। उन्हें केवल एक कार्य दिवस के लिए, यानी 8.7.2024 को, औपचारिकता बस पद से मुक्त किया गया। इसके अलावा, डॉ. एन.के. राय, अपनी जिम्मेदारियों से अस्थायी रूप से मुक्त होने के बावजूद भी सभी आवश्यक रिकॉर्ड जांच प्रक्रिया के दौरान खुद ही प्रस्तुत करते रहे और अधिकांश समय वे जांच टीम या निदेशक गौतम सुत्रधार के साथ थे। अंत में, जांच की औपचारिकता उसी दिन पूरी हो गई जिस दिन शुरू हुई थी। जाँच समिति द्वारा प्रस्तुत अधिकारी की प्रस्तुतियों और डॉ. एन.के. राय द्वारा खुद उपलब्ध कराये गए दस्तावेज़ों के आधार पर एवं निदेशक प्रो गौतम सुत्रधार के समर्थन से जाँच की औपचारिकता पूरी करने का उपक्रम रचा गया।
तथ्य यह है कि डॉ. एन.के. राय को लालित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के रजिस्ट्रार पद से माननीय बिहार के तत्कालीन राज्यपाल के ज्ञापन संख्या बीएसयू (रजिस्ट्रार) 27/2017(भाग I)-2172/ जीएस (I) दिनांक 24.09.2020 के माध्यम से बर्खास्त (Terminate) कर दिया गया था। माननीय पटना उच्च न्यायालय ने केस संख्या सीडब्ल्यूजे178/2021 में निशित कुमार राय द्वारा अपनी याचिका में किए गए दावे को खारिज कर लालित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा से राय के बर्खास्तगी को भी बरकरार रखा था, और इस प्रकार माननीय पटना उच्च न्यायालय ने राय पर लगे आरोपों को सही ठहराया। ज्ञातव्य हो कि समय-समय पर निधियों के दुरुपयोग, धोखाधड़ी, गबन और निर्माण परियोजनाओं में अनियमितताओं सहित विभिन्न भ्रष्टाचार लगभग सभी स्थानीय समाचार पत्रों में समय-समय पर उजागर होती रहती हैं और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर भी अक्सर वायरल हो रही हैं। जिससे एनआईटी जमशेदपुर की छवि और धारणा जनता के बीच गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।
निष्कर्ष में, शिकायतकर्ता का दावा है कि पूरी प्रक्रिया पहले से ही पूर्वनिर्धारित और डॉ. एन.के. राय को फायदा पहुंचाने के लिए योजनाबद्ध लगती है। संभावित रूप से आरोपों की गंभीरता को दबाने और हल्का करने के लिए, बजाय इसके कि बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी)/शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार से अंतिम निर्णय/निर्देश की प्रतीक्षा की जाए। सार में, उपरोक्त सारे तथ्य जाँच प्रक्रिया की निष्पक्षता और नैतिक आचरण में गंभीर उल्लंघनों की ओर इंगित करते हैं। इस तरह के गम्भीर आरोप संस्थान के गरिमा एम व्यवस्था के बारे में भी गम्भीर सवाल खड़ा करते हैं। इसलिए महोदय से यह अनुरोध है कि संस्थान के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए और पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कृपया CBI द्वारा एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और व्यापक जांच का आदेश दें। जाँच प्रक्रिया के दौरान डॉ. एन.के. राय को रजिस्ट्रार के पद से तब तक मुक्त रखा जाए जब तक कि जांच के निष्कर्षों के आधार पर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी)/शिक्षा मंत्रालय से अंतिम निर्णय/निर्देश प्राप्त न हो जाए।
सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि निशत कुमार राय के भ्रष्टाचार से सम्बंधित जाँच के प्रकरण को संस्थान के बीओजी के अध्यक्ष श्री टी कृष्णा प्रसाद को अनभिज्ञ रखा जा रहा है एवं संस्थान के निदेशक गौतम सूत्रधार एवं निशित कुमार राय द्वारा छिपाया जा रहा है।
इस मामले में न्यूज भारत 20 को डॉ एन के रॉय ने निराधार बताया। उन्होंने कहा कि आरोप लगाने वालों को मामले और नियमों की जानकारी ही नहीं है। हालांकि अपने टर्मिनेशन को लेकर रजिस्ट्रार सटीक जवाब नहीं दे पाए।