जमशेदपुर एफसी फैंस का जर्सी पर नो मर्सी

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जमशेदपुर :- इंडियन सुपर लीग ( आईएसएल ) के नये सीजन के दो महीने पूर्व ही जमशेदपुर एफसी के फैंस जिनका अधिकारी नाम दी रेड माइनर्स है और जमशेदपुर फुटबॉल क्लब के मैनेजमेंट के बिच एक मुकाबला शुरू हो चुकी है| जहां एक और फैंस की मांग है की वर्तमान जर्सी को बदला जाये वहीं दूसरी ओर जेएफसी की मैनेजमेंट अभी तक कोई निर्णय नहीं ले पायी है |
जमशेदपुर एफसी एक क्लब जिसे 2017 में स्थापित किया गया था, जिसने 2017-18 सीज़न के दौरान इंडियन सुपर लीग में अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की। क्लब का स्वामित्व और प्रबंधन टाटा समूह की सहायक कंपनी टाटा स्टील के पास है। क्लब की स्थापना 12 जून 2017 को हुई थी, जब टाटा स्टील ने इंडियन सुपर लीग में दो नए स्लॉट में से एक के लिए बोली लगाने का अधिकार जीता था। जमशेदपुर एफसी के साथ बेंगलुरू एफसी आईएसएल टीम रोस्टर में जोड़ी गई दो नई टीमें थीं|
इंडियन सुपर लीग के चार सीज़न में, जेएफसी प्लेऑफ़ में पहुंचने में विफल रही है, और दो बार 5वें स्थान पर रही है, जो अब तक का उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। क्लब पिछले साल 6 वें स्थान पर रहा, जो कि एक साल पहले के अपने 8 वें स्थान से एक महत्वपूर्ण सुधार है। अपनी स्थापना के बाद से क्लब के पास एक ही जर्सी है। होम किट गहरे नीले रंग की आस्तीन के साथ लाल है और झारखंड के समृद्ध आदिवासी इतिहास को श्रद्धांजलि के रूप में आदिवासी कला और प्रतीकों को पेश करता है, जिस राज्य से क्लब संबंधित है।और दूर की जर्सी में सफेद रंग के साथ आसमानी रंग की आस्तीन रही है |
पिछले एक -दो सीजन से फैंस क्लब से एक नई जर्सी, एक नई पहचान, या क्लब के लिए एक नया चेहरा रखने के लिए कहते रहे हैं। इन वर्षों में क्लब ने मुख्या स्पोंसरों, आस्तीन प्रायोजकों और उस स्थान को बदलते आएं है जहां प्रायोजकों के लोगो रखे जाते हैं। एक जर्सी कई मायनों में क्लब, लोगों, प्रशंसकों, शहर और बहुत कुछ का प्रतिनिधित्व करती है, और हर क्लब के अधिकांश फैंस हर सीज़न से पहले एक नई जर्सी रखने के लिए तत्पर रहते हैं। जमशेदपुर एफसी पिछले चार वर्षों में एक नई किट बनाने में विफल रही है, चाहे वह घर हो या बाहर। फैंस ने अपनी चिंताओं को उठाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है, और हैशटैग का उपयोग करना शुरू कर दिया है | #JFCJerseyChangeKaro and #ChangeTheJersey जैसे हैशटैग अभी सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे है| अब जमशेदपुर एफसी, टाटा स्टील और यहां तक कि टाटा समूह के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रशंसकों ने विरोध के रूप में हैशटैग पर टिप्पणी करना शुरू कर दिया है|
निविया क्लब का आधिकारिक किट प्रायोजक है, और उनका कहना है की वह हर साल नये डिज़ाइन क्लब को भेजा करते है पर टाटा के प्रबन्दको द्वारा सबको अस्वीकार कर पुराना वाला ही रखने को कहा जाता है | इसका कारन यह भी माना जा रहा है की जर्सी के काम बिकने के कारन प्रबंधन को उसे बदलने की कोई जल्दी नहीं है |
फैंस का मन्ना है की एक किट एक कवच की तरह होता है जो की उस टीम के साथ -साथ उनके फैंस का भी व्यक्तिवा दर्शाता है| फैंस द्वारा उठाए गए सवाल कुछ बड़े नहीं हैं, लेकिन लीग के अन्य क्लबों के साथ एक स्वाभाविक तुलना है। केरला ब्लास्टर्स, बेंगलुरु एफसी, मुंबई सिटी एफसी और अधिक जैसे क्लब हर साल एक अलग अवधारणा और दृष्टिकोण के साथ नई किट लॉन्च करते हैं। जर्सी खिलाड़ियों और प्रशंसकों द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों के एक टुकड़े से कहीं अधिक है, यह खिलाड़ियों के लिए युद्ध में जाने के लिए कवच है, और यह क्लब को प्रशंसकों के साथ अधिक जोड़ता है।

कई फैंस का तोह यह भी कहना है की पुराने जर्सी के साथ कुछ खराब है और नये जर्सी के साथ टीम जीत जाएगी | अब यह देखना दिलचस्प होगा की जेएफसी के फैंस को क्या मिलता है क्या उनके प्रबंधक उनके भावनाओ को समझ कर एक छोटी मांग पूरी करते है या अपने निर्णय पे डटे रहती है|

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