

न्यूजभारत20 डेस्क:- जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए घातक हमले को लेकर अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्टिंग ने विवाद खड़ा कर दिया है। अखबार ने इस हमले को “आतंकी हमला” कहने के बजाय “मिलिटेंट अटैक” (उग्रवादी हमला) करार दिया, जिसके चलते भारत में सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक और कूटनीतिक गलियारों तक नाराज़गी देखने को मिल रही है। हमले में कई निर्दोष नागरिकों की जान गई थी, जिसे भारत सरकार ने साफ तौर पर एक “आतंकी हमला” करार दिया था और इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन पर डाली थी। ऐसे में न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा आतंकियों को “मिलिटेंट” और हमले को “मिलिटेंट अटैक” कहना भारतीय जनता को खल रहा है। जैसे ही रिपोर्ट सामने आई, भारतीय सोशल मीडिया यूज़र्स ने न्यूयॉर्क टाइम्स की भाषा को लेकर नाराज़गी जाहिर की। कई यूज़र्स ने कहा कि यह आतंकवाद को नरम भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास है और इससे आतंकियों को अप्रत्यक्ष समर्थन मिलता है।भारतीय राजनेताओं ने भी इस रिपोर्टिंग पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने कहा, “जब निर्दोष नागरिकों की जान जाती है और हमले को स्पष्ट रूप से आतंकी संगठनों ने अंजाम दिया हो, तब उसे ‘मिलिटेंट अटैक’ कहना एक तरह की पत्रकारिता की कमजोरी और पक्षपात को दर्शाता है।” विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया की भाषा आतंकवाद को लेकर वैश्विक नजरिए को प्रभावित कर सकती है। “मिलिटेंट” शब्द अक्सर राजनीतिक या सैन्य उद्देश्यों के लिए लड़ने वाले समूहों के लिए इस्तेमाल होता है, जबकि “टेररिस्ट” शब्द जानबूझकर भय फैलाने और निर्दोषों को निशाना बनाने वालों के लिए प्रयोग किया जाता है। हालांकि अब तक भारत सरकार की ओर से न्यूयॉर्क टाइम्स की इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन उम्मीद है कि कूटनीतिक स्तर पर इस मुद्दे को उठाया जाएगा। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्टिंग को लेकर मचा यह विवाद सिर्फ शब्दों का नहीं, बल्कि आतंकवाद की परिभाषा और वैश्विक दृष्टिकोण पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। भारत में इस तरह की भाषा को आतंकवाद के प्रति असंवेदनशीलता के रूप में देखा जा रहा है।