दिखा आस्था,उमड़ा जनसैलाब,शांति पूर्वक सपन्न हुआ सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ, छठव्रतियों ने दिया उदयमान सूर्य को अर्ध्य,घाटो पर रही रौशनी के ब्यपक प्रबंध,सुरक्षा का भी रहा इंतजाम,डीएम ने की छठ, एसपी ने दिया अर्ध्य

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सासाराम:- 21वीं सदी के वर्ष 2020- 021 में कोरोना का महात्रासदी की कोहराम झेलने तथा शिथिलता नजर आते ही इस बार चाक चौबन्द ब्यवस्था एवं सुरक्षा के कड़े इंतजाम तथा ठंड व हल्के कोहरा के बीच आस्थाचलगामी भगवान भास्कर को बुधवार के दिन संध्या समय डूबते सूर्य को छठव्रतियों ने जहां पहला अर्ध्य अर्पण किया।वही गुरुवार के अहले सुबह उदयमान सूर्य को छठव्रतियों द्वारा अर्ध्य देने के साथ ही व्रत संतान की खुशहाली,परिवार की समृद्धि के सूर्योपासना का चार दिवसीय महापावन पर्व छठ जिला मुख्यालय सासाराम सहित संपूर्ण रोहतास  में शांति पूर्वक सपन्न हो गया।इस दौरान विभिन्न घाटो पर रौशनी एवं सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किये गये थे।लोक आस्था एवं पवित्रता व शुद्धता का महापावन पर्व छठ गुरुवार को हल्का हल्का ठंड पड़ने के वावजूद व निले आसमान में कोहरा छाए रहने के उपरांत उदयमान भगवान भास्कर की करीब साढ़े छह बजे लालिमा दीखते ही छठव्रतियों में अर्ध्य देने के लिए होड़ मच गया।

सूर्योदय के पश्चात छठ व्रतियों ने अर्ध्य देने के बाद जहा अपने अपने घाटो से वापस घर लौटने लगे।वही सूर्योपासना का महापर्व छठ सासाराम, बिक्रमगंज व डेहरी अनुमंडल मुख्यालय सहित सम्पूर्ण रोहतास जिले में शांति पूर्वक सपन्न हो गया।इस दौरान कही से भी अप्रिय वारदात घटित होंने की सुचना नही मिला है।बुधवार के दिन दोपहर बाद से जहा सूर्योपासना का महापर्व छठ के मद्देनजर भागवान भास्कर को अपना पहला अर्ध्य अर्पण करने लिए छठव्रतियों का विभिन्न घाटो पर आने का सिलसिला तेजी से शुरू हो गया।जो कुछ ही देर के बाद घाटो पर जनसैलाब उमड़ते दिखा।वही छठ से सबंधित विभिन्न पारंपरिक गीत गाते हुए जहां छठव्रतियों का घाटो की ओर आने का ताता लगा रहा।वही बड़े बड़े साउंड बक्सों से निकलते ध्वनि से विभिन्न घाट गुलजार होते दिखे।महिलाए एवं युवतियां विभिन्न परिधानों एवं आभूषणों से सुसज्जित होकर नजर आ रही थी ।वही ईख, दौरा, डाल विभिन्न पूजा के फलो व पकवानो से सज सजाकर घाटो पर जाते दिखे। जबकि पीछे पीछे व्रती महिलाए गीत गाते हुए घाटो पर पहुची। घाट जुगनुओं के भांति घी के दिये से पुरे रात टिमटिमाते नजर आए।बुधवार के दिन पूरी तैयारी और व्यवस्था के साथ छठव्रती डाल व बॉस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाकर और व्रति के साथ परिवार तथा आस पड़ोस के लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाट की ओर आते देखा गया।

अस्त होते सूर्य को जहां जल से अर्ध्य दिया तो वही उदयमान सूर्य को दूध से अर्घ्य दिया गया। इस बाबत नगर प्रशासन,स्वयंसेवी संगठन तथा छठ पूजा समिति के सदस्यों द्वारा घाट से लेकर सड़क ,गली ,मुहल्लो की साफ सफाई कर जहा फूल पतियो से आकर्षक तरीके से सजाया गया था वही सड़को व घाटों की ओर जाने वाले हर रास्ते को विभिन्न रंगो से रंगोली बनाकर व्रतियों के स्वागत में सजाया गया था।वही रौशनी के भी ब्यापक प्रबंध किये गये थे। हालांकि नगर प्रशासन इस बार काफी मुस्तैद नजर आई।विभिन्न घाटो की जहां साफसफाई कराई गई थी।वही नदी,नहर ,तालाब आदि में बास बल्ला गाड़कर बैरिकेटिंग कराया गया था।जबकि रौशनी का प्रबंध छठ पूजा समितियों ने कराई थी। इस बीच जगह जगह बिहार पुलिस के पुरुष व महिला जवान भी मुस्तैदी से तैनात नजर आए।रोहतास के पुलिस कप्तान आशीष भारती,बिक्रमगंज अनुमंडल पदाधिकारी प्रियंका रानी,एसडीपीओ शशि भीषण सिंह, सासाराम व डेहरी एसडीओ व एसडीपीओ आदि पुलिस प्रशासनिक पदाधिकारी विधि ब्यवस्था का कमान अपने हाथों में थामे घाटो का निरीक्षण करते हुए नजर आए।जबकि बुधवार के सायंकाल में विभिन्न नप के कार्यपालक पदाधिकारी, वार्ड व जिला पार्षद, विधायक, पूर्व विधायक,सांसद,राजनीतिक दलों से जुड़े नेताद्वयगणों ने छठ घाटो का जायजा लिया और छठव्रतियों से आशीर्वाद ग्रहण की।  त्याग तपस्या एवं श्रद्धा का कठिन महापर्व छठ को अर्ध्य देने के लिए प्रवाहित जल,नदी ,तलाब व सरोवरों में हल्के ठंड के वावजूद घन्टो खड़ा होकर छठव्रती बुधवार को जैसे जैसे सूर्य अस्त होते जा रहे थे। वैसे वैसे जल में खड़े श्रद्धालुओं व व्रतियों की बेचैनी परवान पर थी।यही हालात गुरुवार के अहले सुबह भी रहा जहां कोहरे के बीच से भागवान भास्कर जैसे जैसे उदय होते जा रहे थे।वैसे वैसे छठव्रतियों में अर्ध्य देने की बेचैनी बढती जा रही थी तथा अर्ध्य देने के उपरांत व्रतियों में वापस घर लौटने की वेचैनी भी दिखी।बुधवार के शाम रौशनियों तथा परंपरागत गीतों से घाट सराबोर दिखे।इस मनोरस दृश्य को देखने के लिए छठव्रतियों के आलावा अन्य नागरिको का भारी हुजूम विभिन्न घाटों पर देर रात तक उमड़ा रहा।कही कही देर शाम के बाद रात्रि समय ही छठव्रती वापस घर लौट आए तो कही पुरे रात घाटो पर ही छठव्रती डटे रहे। इस पूजा के अवसर पर कोविड 19 को लेकर कही भी मनोरंजन हेतू सास्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नही किया गया और न ही शहर,बाजार समेत कई पूजा स्थलों व ग्रामीण इलाकों में छठव्रतियों के मनोंरजन के लिए मशहूर भोजपुरी गायकों का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते नजर आया।

छठव्रत के मौके पर वैसे तो कमोबेश सभी जगह भीड़ भाड़ चरमोत्कृष्ट रहा।लेकिन विशेष आकषर्ण का केंद्र महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि मां यक्षणी (भलुनी) भवानी का दरवार के अलावा सूर्यपुरा तालाब, बिक्रमगंज के काशी घाट, नोखा स्थित सूर्यमंदिर तालाब,संझौली के उदयपुर, दावथ में पंचमन्दिर आदि स्थलों पर रहा। जहा हजारो की संख्या में श्रद्धालुओं ने वहा स्थित नदी व सरोवर पर स्थान ग्रहण कर आस्थाचलगामी व उदयमान भगवान भास्कर को अर्ध्य दिया ।वही सिद्ध शक्तिपीठ माँ भलुनी का दर्शन पूजन भी किया गया।जबकि सूर्यपुरा स्थित तालाब पर इस वर्ष वाराणसी के दशासुमेर घाट की गंगा आरती का आयोजन किया गया।

इस बीच कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने इलाके के विभिन्न छठ घाटो का भ्रमण किया। हिंदी दैनिक “सन्मार्ग” रोहतास के ब्यूरो प्रमुख दुर्गेश किशोर तिवारी ,के अलावे राजद,कांग्रेस,जद यूं, भाजपा,माले आदि दल के नेताओ ने घाटो का दौरा कर विधि ब्यवस्था का जायजा लिया। वही छठव्रतियों से मुलाकात कर इस पावनपर्व पर आशिर्बाद प्राप्त किया।जबकि विभिन्न छठ घाटो पर छठ पूजा समितियों द्वारा छठव्रतियों को उदयमान भागवान सूर्य को अर्ध्य देने के लिए अहले सुबह जहा गाय के दूध उपलब्ध कराया ।वही स्टाल लगाकर चाय ,दातुन आदि सामग्री निःशुल्क उपलब्ध कराते नजर आए।जबकि विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा बुधवार के दिन फलों से सजा सुप,नारियल आदि सामग्री छठव्रतियों को दान दिया गया। इस महापर्व में नगर प्रशासन ने भी अपना भरपूर सहयोग देकर चलंत शौचालय निर्माण से लेकर घाटो की साफसफाई आदि में कोई कसर नही छोड़ा।रोहतास जिलाधिकारी धर्मेन्द्र कुमार ने अपने आवास पर छठ पूजा की और सर पर फल व पकवान से सुसज्जित दौरा लेकर बने घाट तक पहुचे।डीएम आवास परिषर को सुसज्जित तरीके से सजाया गया था।

जहां भक्तिमय माहौल में डीएम ने अपनी मां के साथ आस्थाचलगामी सूर्य को अर्ध्य अर्पण किया। वही उदयमान भगवान भास्कर को अर्ध्य अर्पित कर चार दिवसीय व्रत के अनुष्ठान को समाप्त किया।जबकि रोहतास पुलिस कप्तान आशीष भारती ने छठ घाटो का भ्रमण कर छठव्रतियों को अर्ध अर्पित की।

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